may14

मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

Motivational and Inspirational Quotes...part 3





Motivational and Inspirational Quotes...part 3





दोस्तों,

कुछ और प्रेरणादायक कथन ,दुनिया की उन महान हस्तियों के ,जिनके नाम तो मुझे नहीं पता ,लेकिन पूरे आभार सहित ये quotes आप सबकी नजर हैं --


  • Start every day with an inspiring thought.


  • Our aspirations are our possibilities.

  • We can't direct the wind but we can adjust the sail.

  • The secret of happiness is to admire without desiring.

  • Winners never quit  & quitters never win.


  • Don't find fault......find remedy.


  • Live your life as an exclamation ..... not an explanation.


  • One man with courage makes a majority.


  • Courage is grace under pressure.


  • Thinking is the capital......enterprise is the way....hard work is the solution.


  • The road to excellence rarely has traffic.


  • The impossible is often the untried.


  • Excellence is rarely found,more rarely valued.


  • In life , as in a football game, the principle to follow is :hit the line hard,


  • Truth, like surgery,  may hurt,  but it cures.


  • Be a good listener... your ears will never get you in trouble.


  • Surround yourself with only people who are going to lift you higher.


  • We cannot really love anybody with whom we never laugh.


  • We can only learn to love by loving.


  • The supreme happiness in life is the conviction that we are loved.


  • The more we give of anything, the more we shall get back.


  • People with goals succeed because they know where they are going..


  • You will never find time for anything. If you want the time, you must make it .


  • You may be disappointed if you fail, but you are doomed if you don't try.


  • Do not go where the path may lead, go instead where  there is no path  and leave a trail.


  • It is never too late to be what you might have been.....


  • You must do the thing you think you cannot do...


  • Man is free at the moment he wishes to be .


  • Do what you can with ,what you have , where you are.


  • Out of clutter,find simplicity.  from discord ,find harmony. in the middle of difficulty find opportunity...


  • Vision : the art of seeing things invisible.


  • The meaning of things lies not in the things themselves, but in our attitude towards them.


  • The future depends on what we do in the present...


  • Intelligence without ambition is a bird without wings.


  • Every thing you need for a happy life is within yourself.


  • Trust your hopes... not your fears.


  • We will either find a way....or make one.



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Also see.....


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बुधवार, 24 अप्रैल 2013

गर्मी में रखें सेहत का ध्यान......





गर्मी में रखें सेहत का ध्यान......... 


दोस्तों,

गर्मी आ गई है ,अप्रैल जाने को है ! सूरज की प्रखरता और तेजी बढती जा रही है ,साथ ही इंसानों और जीव जंतुओं की बेचेनी भी !

गर्मी के मोसम में सेहत का ध्यान कैसे रखें ,इससे पहले थोड़ी सी बात मोसम या ऋतुओं के बारे में ,ठीक है ?

दोस्तों , आयुर्वेद में 6 ऋतुएं और 2 काल माने गए हैं ,ज्यादा विस्तार से नहीं ,short में ही बताऊंगा  

ये ऋतुएं हैं --शिशिर, बसंत, ग्रीष्म ,  वर्षा , शरद और हेमंत  !
इनमे 3-3 ऋतुओं का एक काल होता है --

शिशिर, बसंत, ग्रीष्म (jan. to june ) -- आदान काल 
वर्षा , शरद और हेमंत (july  to  dec. ) -- विसर्ग काल 

आदान काल में उत्तरोत्तर (gradually) सूर्य का तेज और गर्मी बढती है ,लू चलती है ! वहीँ विसर्ग काल में सूर्य का तेज ,तीव्रता घटती है ,सर्दी बढती है और धूप  सुहानी लगती है !

गर्मी में होने वाली आम परेशानियाँ --गर्मी में हमें लू लगना ,sunburn होना ,prickly heat, नकसीर आना ,बेचेनी ,घबराहट जैसी कई परेशानियाँ होती हैं !
ऐसे में इन परेशानियों से बचने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए !

गर्मी में पालने योग्य सूत्र --

  • गर्मी में सदा पूरी आस्तीन के हलके सूती कपडे पहनने चाहियें !
  • तेज धूप से सिर और आँखों को बचाना चाहिए !
  • आँखों के लिए अच्छे sunglasses का उपयोग करना चाहिए !
  • गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए भरपूर पानी पीना चाहिए ,थोडा-थोडा लेकिन बार -बार पीना चाहिए ! मटके का पीयें तो ज्यादा गुणकारी !
  • गर्मी में ज्यादा देर तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए !
  • तेज धूप में बाहर जाने  से बचें ,लेकिन जाना ही पड़े तो खाली  पेट न जाएँ, कुछ खा कर जाएँ ! 
  • खाने में प्याज का सेवन करें ,और अपनी जेब ने भी एक छोटी सी प्याज रखें ,ये उपाय आपको लू से बचाने में सहायक है !
  • खाना हल्का ,सुपाच्य और ताजा ही खायें ! रात का बासा ,फ्रिज में रखा ठंडा खाना न  खाएं ! इस मोसम में gastritis और diarrhea होना आम बात है !
  • पानी के अलावा ठन्डे पेय पदार्थों का सेवन करें !
  • बाजार की cold drink की जगह घर का बना शुद्ध ,ताजा और healthy drink लें !
  • नीबू पानी ,छाछ,लस्सी,केरी की आंच (पना ) , जलजीरा ,श्रीखंड ,ठंडाई ,खस,गुलाब,चन्दन ,केवड़े का शरबत ,रूह अफजा ,my energy drink  आदि का सेवन करें !
  • सुबह-शाम मुँह में पानी भर कर आँखों को साफ़ पानी से 10 -12 बार हलके से छींटे मार कर धोएँ !और फिर मुह के पानी को थूक दें ! ऐसा करने से आँखों की अतिरिक्त गर्मी निकल जाती है ,और  आँखें स्वस्थ तथा शीतल रहती हैं !
  • बादाम,मिश्री और सौंफ का powder बना कर फ्रिज में रख लें ,इसको खाना आपके मस्तिष्क को शीतलता और तरावट देगा !
  • चाय-काफी ,hard drink ज्यादा न लें !
  • सप्ताह में एक दिन मुल्तानी मिटटी और कपूर के उबटन  से नहाएं ,इससे skin में ठंडक और ताजगी रहेगी ,साथ ही घमोरियों से भी बचाव रहेगा !
  • अगर आप योग के जानकार हैं तो शीतकारी ,शीतली ,चन्द्र भेदी प्राणायाम करें ,ये आपके शरीर में ठंडक की वृद्धि करेंगे ! इन दिनों में ज्यादा भस्त्रिका ,कपालभाती और सूर्य भेदन प्राणायाम नहीं करने चाहियें ! 
तो आइये इन उपायों को अपनाएं ,ताकि हमारी गर्मियाँ बने शीतल और सुहानी ...........!

डॉ नीरज 


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शनिवार, 20 अप्रैल 2013

How to make the right decisions in life in hindi






कौआ बनें ,गिलहरी नहीं ........

दोस्तों ,
एक सवाल आपसे ,क्या आप  जानते हैं ,सड़क दुर्घटना में सबसे ज्यादा जान किस जानवर की जाती है ?....................
सही सोचा आपने ,गिलहरी की !

आपने देखा होगा की drive करते समय अचानक गिलहरी भाग कर सड़क के बीच में आ जाती है ,आप अपनी speed पर होते हैं ,आपको लगता है कि वो सड़क के दूसरी तरफ निकल जाएगी ! अचानक बीच सड़क पर वो गिलहरी रुक जाती है confusion में थोडा इधर -उधर देखती है और वापस पीछे की तरफ दौड़ लगा देती है ,और परिणाम ........गाडी का tyre उसके ऊपर से निकल जाता है ...............बेचारी गिलहरी !

वहीं  आपने यह भी देखा होगा की कौआ या कौओं का झुण्ड बीच सड़क पर कुछ खा रहा होता है ,किसी भी गाडी के आने के पहले वो या वो सब तुरंत वहां से उड़ जाते हैं !
मैंने आज तक किसी भी कौए को सड़क दुर्घटना में मरते हुए नहीं सुना है ,या देखा है ,शायद आपने भी नहीं ,है ना ?

गिलहरी  अनिर्णय (Indecision) , उहापोह (Uncertainty) , a Wrong decision maker की परिचायक है ! वो सही समय पर सही और तेजी से कोई निर्णय नहीं ले पाती है , इसीलिए अधिकतर अपनी जान से हाथ धो बैठती है !
वहीँ कौआ  तुरंत ,सटीक (Accurate) और सही समय पर सही निर्णय लेता है  और सफल रहता है ......साथ ही जिन्दा भी !

दोस्तों  हम सब अधिकतर जिंदगी में गिलहरी की तरह confuse ही रहते हैं ,कोई सही और सटीक निर्णय ले ही नहीं पाते ,है ना ?
जिंदगी में क्या बनना है से लेकर आज कोनसी शर्ट पहननी है ? हम यह ही decide नहीं कर पाते ! और इसी confusion और दुविधा में जिंदगी जाया हो जाती है !
इस अनिर्णय की स्थिति में भले ही गिलहरी की तरह हमारी जान नहीं जाती  लेकिन जान जितना ही कीमती समय चला जाता है ,सदा के लिए !

तो क्यों नहीं हम कौआ बनें ......निर्णय लेने में ! जो भी करना है पहले थोडा सोचें और फिर तुरंत करते ही होएं !

एक राज की बात दोस्तों ,हम अधिकतर निर्णय इसीलिए नहीं ले पाते ,हमें लगता है की कहीं ये निर्णय गलत न हो जाए ,फिर पता नहीं लोग क्या कहेंगे ! इसीलिए हम अधिकतर निर्णय की घडी को टालते रहते हैं ,कोई निर्णय लेने से बचते रहते हैं ! सही है ना ?

लेकिन दोस्तों आप चाहें ना चाहें ,निर्णय तो लेने ही पड़ते हैं ! और जब तक आप कोई निर्णय नहीं लेंगे ,तब तक आपको कैसे पता लगेगा की यह निर्णय सही है या गलत ??
कहीं सड़क पर हमसे कोई accident नहीं हो जाए इस डर से हम अपनी गाडी को garage से बाहर ही नहीं निकालते हैं और वो बेचारी वहीं  garage में खड़ी - खड़ी खराब हो जाती है , नाकारा हो जाती है !

दोस्तों निर्णय नहीं लेने में 100 % सम्भावना है कि आप जो चाह रहे हैं वो आपको हासिल ही नहीं होगा ,कभी नहीं ! लेकिन ....कोई भी निर्णय लेने में 50 % जी हाँ  50 %  आधी सम्भावना जरुर है की आप जो चाह रहे हैं वो आपको हासिल हो ही जाएगा !

आप दोराहों में से कोई एक चुन कर चलना तो शुरू कीजिये ! अगर सही राह पर हैं तो आप अपनी मंजिल को पा ही लेंगे ! लेकिन अगर गलत राह चुन ली है तो कोई बात नहीं .....वापस लौट आइये ,दूसरी तरफ चलने के लिए ! क्या बिगड़ता है ,थोडा सा समय ही तो ज्यादा जाया (waste ) होता है ! लेकिन ये उस समय की मात्रा से कहीं कम है जो आप निर्णय न लेकर दोराहे पर ही खड़े रहते हैं  ये सोचते हुए ,कहाँ जाऊं ,कहाँ न जाऊं  , है ना ?

मैंने कहीं पढ़ा था "कभी निर्णय न लेने से कहीं अच्छा है गलत निर्णय लेना " ! इसमें आपको एक तसल्ली तो रहती है कि मैंने निर्णय तो लिया ,चाहे गलत ही सही ,यह आदत (निर्णय लेने की ) आपके आत्म विश्वास को बढाती भी है ! अन्यथा जीवन भर पछतावा ही रह जाता है कि  काश ! मैंने जीवन में कोई निर्णय लिया होता ! और ये पछतावा उस गलत निर्णय के पछतावे से कहीं ज्यादा गहरा और जीवन के लिए घातक होता है !

और दूसरी बात , आज जो इंसान गलत निर्णय ले रहा है  वो उस निर्णय से सबक और अनुभव लेकर कल को सही निर्णय भी तो ले सकता है ,और लेता भी है !  बस  जरुरत है निर्णय लेने की !

तो आगा-पीछा सोचिये ,शांति से सारे पहलुओं पर नजर डालिए और ऊपर वाले को साक्षी मान  निर्णय ले डालिए ! उम्मीद है फिर ,की ऊपर वाले की साक्षी में लिए गए निर्णय सही ही होंगे ! है ना ?

डॉ नीरज 


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बुधवार, 17 अप्रैल 2013

my energy drink.........in hindi




                   my energy drink.........


दोस्तों 

गर्मी आ गई है ! ऐसे में शरीर को ठंडक और energy पहुँचाने के लिए हम cold drink ,ice cream जैसी चीजें लेते हैं ! लेकिन आप जानते ही है  की cold drink ठण्ड और energy से ज्यादा मोटापा ,diabetes ,acidity देती हैं और शरीर के लिए नुकसानदेह भी होती है !

summer में अपने को Energized ,refresh और cool रखने के लिए हम कई देसी पेय ले सकते हैं ! जो स्वाद के साथ-साथ सेहत से भी भरपूर होते हैं ! हम केरी का पना (आँच ), लस्सी ,छाछ ,रूह अफजा ,चन्दन,खस, गुलाब का शरबत , ठंडाई जैसी चीजें ले सकते हैं !

आज में आपको मेरा energy drink बता रहा हूँ ! चूँकि मैं एक ayurvedic doctor हूँ ,इसलिए हमेशा कुछ नई दवा या नई  चीज बनाने की कोशिश रहती है !
मैं ये drink हर summer के पहले बनाता हूँ और जब भी थकान ,गर्मी महसूस होती है इसे पीता हूँ और energetic और fresh महसूस करता हूँ !

आइये आपको बताता हूँ , आशा है ये आपको भी उतना ही फायदेमंद और स्वादभरा रहेगा !

इसके लिए ---

आँवला -1  kg 
नारंगी (orange )-3 kg 
अनार ( Pomegranate) -1 kg 
चुकन्दर (Beet)-200 gm
अदरक (Ginger)-100 gm
नींबू -1 या 2 

इन सबका juicer में रस निकाल लें ! steel के बड़े भगोने में मंदी आँच पर गर्म करने रख दें ! उबाल आने के बाद 4 -5 minute इसे और उबलने दें ! फिर अंदाज से (1 kg रस में 500 gm शक्कर )शक्कर मिला  कर पकायें ! और शहद या रूह अफजा जैसा गाढ़ा (thick ) होने पर गैस बंद कर दें ! और थोडा सा काला नमक मिला दें ! ठंडा होने दें ! फिर किसी साफ़ ,सूखी bottle में fridge में रख लें !
जब भी मन करे एक गिलास में 2 -3 चम्मच शर्बत ,थोड़ी ice थोडा पानी मिलायें और sip-sip करके पीयें !  
tasty भी और Healthy भी ....

दोस्तों ,स्वाद के साथ सेहत और Nutrition भी है ! ये मेरा energy drink है , अगर आप चाहें तो इसे  और भी स्वादिष्ट बना सकते हैं ,इसमें variation कर सकते हैं ! क्या पता और भी ज्यादा  फायदेमंद और स्वादभरा हो आपका energy drink.

डॉ नीरज 

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गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

डर के आगे जीत है ----





                                              डर के आगे जीत है ----



'चल छोटे '

नहीं भैया ,मुझसे नहीं होगा ,मैं यहीं ठीक हूँ !

पर हम यहीं रहने के लिए तो नहीं बने हैं ! हमें बाहर निकलना है ,आगे बढ़ना है ,आकाश की ऊँचाइयों को छूना है ! इसके लिए बाहर तो निकलना ही होगा ! अपने इस सुरक्षित खोल में रह कर हम अपना विकास कैसे कर सकते हैं !  बड़े ने कहा 

पर भईया ,बाहर निकलते ही  हो सकता है कोई जानवर हमको खा जाए ' !

बिलकुल हो सकता है !

या फिर कोई पैरों से हमें रोंद दे ?

ये भी संभव है !

और अगर इनसे बच  भी गए तो तेज धूप ,आंधी के थपेड़े ,बरसात के पानी की मार ,इन सबको मैं कैसे सह पाऊंगा ! छोटा गिडगिडाया ,मैं यहीं ठीक हूँ भैया 

छोटे ध्यान से सुन ,  ये सही है जो तुम कह रहे हो ,बाहर निकलने में बहुत चुनोतियाँ हैं ,खतरे भी हैं ,परेशानियाँ भी हैं !

लेकिन अगर जिंदगी में कुछ बड़ा बनना है तो  इन सब चुनोतियों ,खतरों से तो पार जाना ही होगा ,इनका सामना भी करना ही होगा !
वो जीवन ही क्या ,जिसमे चुनोतियाँ ,खतरे न हों ! बिना जीवट वाला जीवन तो  लुंज-पुंज पोचा ही रहता है , उसमे कोई प्रखरता की धार ही नहीं होती !

आओ,जमीन के बाहर निकलें ,देखें प्रकृति कितनी सुन्दर है ! अपने को विकसित करें ! जूझें ,संघर्ष करें ,डटे रहें  तब ही तो हम भी हमारे पूर्वजों की तरह बन पाएंगे , विशालकाय आम के छायादार और फलदार वृक्ष !

जिसके फल (आम) जाने कितने लोगों की क्षुधा को तृप्त करेंगे ,जिसकी घनी छाँव में जाने कितने मुसाफिर भरी गर्मी में अपनी थकान उतारेंगे !
जाने कितने पक्षियों का हम आश्रय बनेंगे ! हमारा वजूद समाज के लिए होगा ! हम अपनी एक अच्छी पहचान बनाएँगे  और जब मरेंगे तो हमारी लकड़ी अनगिनत लोगों का भला करेगी ,है ना ?

इसके लिए हमें इस जमीन के नीचे से ,अपने इस सुरक्षित खोल से तो बाहर निकलना ही होगा छोटे ! आम की बड़ी गुठली ने छोटी गुठली से कहा 

पर भईया ,क्या हम यहीं नहीं रह सकते ?

छोटे ये सही है कि हम इस गुठली के अन्दर सुरक्षित हैं पर हम इसके अन्दर रहने के लिए ही तो नहीं बने हैं ! हममे विकास की,प्रगति की अनन्त संभावनाएं हैं ,जिसे हम अपने इस सुरक्षित खोल से बाहर जाकर ही पा सकते हैं !
इसमें रह कर  तो हम कुंद हो जाएंगे ,जंग लग जाएगी ,यहीं गल जाएंगे ,मरना तो वैसे भी होगा !
तो क्यों न पुरे शबाब पर आकर ,पूरी तरह सफल जिंदगी जी कर ,अपना वजूद बना कर  कुछ हासिल कर के मरें ! 

चल , बाहर चल ,अनंत आकाश हमारा इन्तजार कर रहा है !

पर भईया ,मुझे डर लगता है ,छोटी गुठली ने कहा 

अरे छोटे ,तुझे पता है ,डर के आगे ही जीत होती है ! जो अपने डर से पार पा  लेता है ,अपनी कमजोरियों और दुर्बलताओं को पीछे छोड़ अज्ञात में छलांग लगा देता है ,सफलता के ,उन्नति के मणि-मुक्तक तो उसे ही मिलते हैं !

कुछ समय बाद दो छोटी-छोटी कोंपलों ने जमीन से बाहर अपनी आँखें खोलीं ! अब वो तैयार थीं ,भविष्य का विशाल वृक्ष बनने के लिए !

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डॉ नीरज यादव ,

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रविवार, 7 अप्रैल 2013

पूर्वाग्रह छोडें ..




                                 पूर्वाग्रह छोडें ....



दोस्तों,

ऐसा अधिकतर होता है की हम किसी व्यक्ति विशेष के बारे मे अपनी कोई धारणा बना लेते हैं ! और वो धारणा इतनी मजबूत बनाते हैं कि वो व्यक्ति चाहे कितनी भी कोशिश कर ले ,हम हमारी धारणा नहीं बदलते ! या नहीं बदलना चाहते !हम पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाते हैं !
सामने वाले के द्वारा की गई हजार अच्छाईयां भी हमारी  उसके प्रति अपनी धारणा को बदल नहीं पाती हैं ! बल्कि उसकी किसी एक बुराई को ही हम आधार बना कर उसका मूल्यांकन कर लेते हैं ,है ना ?
चाहे वो पति-पत्नी का रिश्ता हो ,दोस्तों का या कोई और व्यावसायिक संबंध ! सामने वाले इंसान से जाने अनजाने हुई गलती को हम इतना जीवन्त बना लेते हैं ,कि उसकी आड़ में उस बिचारे इंसान की लाखों अच्छाईयां भी दब जाती हैं !

एक बार 2 पहाड़ थे ,एक शक्कर का और एक नमक का ! दोनों पहाड़ पर एक-एक चींटी रहती थीं ! नमक वाली चींटी  शक्कर वाली चींटी से किसी पुरानी  बात पर खफा थी ! एक दिन शक्कर वाली चींटी ने नमक वाली चींटी को अपने यहाँ दावत पर बुलाया ! कहा --बहन ,ये शक्कर का पहाड़ है ,चाहे जितनी मिठास तुम यहाँ से लो ,जी भर कर शक्कर खाओ ! आशा है तुम्हें ये पसंद आएगा !

नमक वाली चींटी ने मुह बना कर कहा , --ठीक है ,देखती हूँ कितनी मिठास है तुम्हारे पहाड़ में और तुम्हारी मेहमाननवाजी में !
वो दिन भर पूरे शक्कर के पहाड़ को घुमती हुई खाती रही ! शाम को वापस जाने के समय शक्कर वाली चींटी ने पूछा --तो बहन ,कैसी लगी मिठास ?

मिठास ! काहे की मिठास , झूठ बोलने की भी हद है बहन , मुझे तो सब जगह खारापन (नमकीन ) ही महसूस हुआ ! मीठे का तो कहीं भी स्वाद ही नहीं आया !

ये सुन कर शक्कर वाली चींटी हतप्रभ रह गई ! बोली -ये क्या कह रही हो बहन ,पूरा पहाड़ ही शक्कर का है और तुम कह रही हो की तुम्हें मीठे की जगह खारा लगा ?

तो क्या में झूठ बोल रही हूँ ? मीठी चींटी की सारी मेहमाननवाजी को धता बता कर   नमक वाली चींटी वापस चली गई !

दोस्तों, आप जानते हैं कि उसे शक्कर का पहाड़ खारा क्यों लगा ? क्योंकि वो शक्कर के पहाड़ पर आने के पहले अपने मुह में नमक का एक ढेला (टुकड़ा ) रख कर लाई थी ! इसीलिए उसे शक्कर में भी नमक का स्वाद आया !

क्या हम ने भी किसी अपने के प्रति नमक रूपी कडवाहट का पूर्वाग्रह तो नहीं रख रखा ?? जो उस सामने वाले इंसान की मिठास के पहाड़ को हम पर जाहिर नहीं होने दे रहा ,जरा सोचिएगा ??

आज के यथार्थ को स्वीकार करना और पूर्वाग्रह को छोड़ संबंधो को नए सिरे से नए रूप में स्वीकार करना ही बड़प्पन है !

केरी खट्टी होती है लेकिन पक कर आम बन कर वो ही बहुत मीठी भी हो जाती है ! अब ऐसे में हम कहें की इसे पहले हमने चखा था जब ये हरी थी ,अब ये पीली हो गई है (आम बन गई है ) लेकिन मुझे लगता है की ये अभी भी खट्टी ही होगी ......! (बेचारा आम )
ये ही पूर्वाग्रह है !

तो पूर्वाग्रह छोडिये ,कई नए और अच्छे सम्बन्ध आपका इन्तजार कर रहे हैं !

डॉ नीरज ........


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सोमवार, 1 अप्रैल 2013

कार्य में व्यवस्था ,देती है सफलता ...





कार्य में व्यवस्था ,देती है सफलता ......


दोस्तों 

आइये आज आलू की सब्जी बनाते हैं !  इसे हम 2  तरीकों से बना सकते हैं ! तो शुरू करते हैं , पहला तरीका ---

आज सुबह नींद से उठते ही मन में विचार आया  की आज आलू की सब्जी खानी है ! सोचा जब भूख लगेगी तभी रसोई में जा कर तुरंत बना लेंगे ! भूख लगी ,रसोई में गए ,कड़ाही चढाई ,गैस on की ,पर ये क्या ?? सिलेंडर तो खाली पड़ा है ,अरे ........! चलो कोई बात नहीं ,पड़ोसियों से उधार मांग कर गैस जलाई ! 
basket में देखा तो आलू ही ख़तम ...!  तुरंत गाडी उठाई ,बाजार जा कर आलू लाये गए !  चलिए आलू भी आ गए !  कड़ाई गर्म कर तेल डाला , प्याज भुने ! मसालेदानी में देखा ,नमक ही नहीं है ,.........धत्त तेरे कि……………।  फिर दुबारा बाजार ! क्या करें जाना ही पड़ा !  फिर भुने मसाले में आलू पकने को रख कर महाशय अपने दूसरे काम में लग गए ! अचानक जलने की गंध आई ! तो रसोई की तरफ भागे ,देखा  आलू की सब्जी कड़ाई  में जल कर ख़ाक हो गई है ! बेचारा ......आलू भी .........और भूखे हम भी !

चलिए अब दूसरा तरीका--- 

सुबह उठते ही आलू की सब्जी खाने का विचार मन में आते ही आप रसोई में जाते हैं ! देखते हैं की आलू,प्याज ,मसाले,नमक, गैस सब भरपूर है की नहीं ! जो नहीं है उसे बाजार से इत्मिनान से लाते हैं !  भूख लगने के पहले ही रसोई में जाकर सारा सामान करीने से जमा देते हैं , फिर बड़ी सहजता ,इत्मीनान और मन से सब्जी बनाते हैं ! और बड़े स्वाद से खाते भी हैं ! यक़ीनन सब्जी बड़ी testy जो बनी है !

तो दोस्तों ,कोनसा  तरीका आप अपनाना चाहेंगे ? जाहिर है दूसरा वाला ही ,है ना ?

तो क्यों नहीं ,  हम अपने रोज के कामों को भी  दूसरे तरीके से निबटाते हैं ?

हम रोज अस्त-व्यस्त तरीके से दिन शुरू करते हैं ! कोई साफ़ लक्ष्य नहीं ,कोई साफ़ दैनिक कार्य-योजना नहीं ,कोई समय का प्रबंधन नहीं ,बस  बेतरतीब से काम किये जाते हैं ! रात होने पर पता पड़ता है , अरे ! दिन तो यूँ ही निकल गया और कुछ ख़ास और सार्थक हासिल भी नहीं हुआ !  जाना था रामगढ़ ,पहुँच गए श्यामगढ़ ,है ना ?

दोस्तों ,

चाहे सब्जी बनाना हो या काम निबटाना ,व्यवस्था और पूर्व तैयारी तो जरुरी है ,है ना ?

हमारे काम अच्छे से,समय से ,पूरी तरह से पूरे हों ,इसके लिए क्यों ना हम --

  • रात में ही अगले दिन के काम की list बना लें !
  • list हमेशा लिखित में ही बनाएँ !
  • सबसे जरुरी काम सबसे पहले रखें और करें भी !
  • मुख्य-मुख्य कामों को एक diary में लिख लें !  
  • अपने लक्ष्य या कामों को लिखना ,शेर या हिरन के गले में फंदा डालने जैसा है ! वे अब कितना भी उछल -कूद मचा लें ,इधर -उधर छिपने की कोशिश करें ! रहेंगे आपकी नजरों के सामने ही !
  • काम या लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक चीजों को पहले ही इकठ्ठा कर तरतीब से रख लें ,ताकि अनावश्यक समय और शक्ति की बर्बादी न हो !
  • किसी भी लक्ष्य या काम के लिए सोचने के समय सिर्फ सोचें ,अच्छी तरह सोचें ,खूब सोचें ,हर पहलू  को सोचें ,पूरे मन से सिर्फ सोचें !
  • लेकिन कर्म का समय आने पर सिर्फ और सिर्फ काम करें ,सोचा -विचारी या टाल मटोल नहीं करें !
  • सुबह बिस्तर से उठ कर गहरी सांस लें ,मुँह धोएं ,  आज के लक्ष्य और काम वाली list पढें और   जुट जाएँ उन्हें पूरा करने   में, तुरंत ........!

डॉ नीरज 

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