may14

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

इस साल तो पा ही लें ........







                                इस साल तो पा ही लें .........


दोस्तों ,

आप सभी को नव-वर्ष 2013 की अनेकों शुभ-कामनाएं .........

दुआ है ...

ये नव-वर्ष जीवन में .....

उमंग , उत्साह ,खुशियाँ ,सफलता ,धन , समृद्धि  और संतोष लेकर आये  !

दोस्तों ,

हर व्यक्ति के जीवन में हर साल  2 ऐसे दिन आते हैं ,जब वो अपने अतीत को देख अपने भविष्य की योजनाओं का निर्धारण करता है ! एक तो स्वयं उसका जन्मदिन और दूसरा नए साल का पहला दिन !

हम हर नए साल के लिए कुछ संकल्प लेते हैं ! हर जाते साल के आखिरी दिनों में हमें बड़ा अफ़सोस होता है ,उन कामों के लिए जो हम नहीं कर पाये ,वो लक्ष्य जो अपने आलस ,लापरवाही ,दीर्घसूत्रता  की वजह से नहीं हासिल कर पाए !  हमें साल के अंतिम दिन बड़ी ग्लानी होती है की पूरा साल जाया कर दिया ! ऐसे ही गँवा दिया ! बहुत कुछ था जो हम थोड़ी सी भी मेहनत करते तो पा सकते थे ! ऐसे मे हम थोड़े दार्शनिक हो जाते हैं ! है ना ?

लेकिन तभी हमारा मन हमें बहला देता है की इस साल हम कुछ नहीं कर पाए तो कोई बात नहीं , नया साल आ रहा है ना !  इस नए साल मैं जिंदगी में बहुत कुछ करूँगा ,बहुत से लक्ष्यों को हासिल करूँगा ,ये करूँगा ,वो करूँगा ..........!


फिर मन हमको आत्मसंतुष्टि   के सफ़र पर ले जाता है ! मन अनेकों कल्पनाएं करता है ,नए साल के नए नए मंसूबे बांधता है !
 हम अपने ख्यालों में ही  अपने आने वाले साल के लक्ष्य सोच लेते हैं ! फिर मन ही मन हम संतुष्ट भी हो लेते हैं ,की चलो 
अगले साल के लिए कितना सारा  काम ,कितने सारे लक्ष्य इकट्ठे कर लिए हैं ! 
 हम में से अधिकतर लोग अपने अगले साल के लक्ष्य निर्धारित कर के ही संतुष्ट हो जाते हैं , हमारा मन हमें वहीँ आत्मतृप्ति दे देता है की देखो  कितना काम (?) कर लिया ! चलो अब चैन से सोते हैं !


हमें,हमारी आत्मा को जो थोड़ी देर पहले अपना समय ,अपना साल जाया करने की ग्लानी हुई थी ,जिससे सबक लेकर हम अपने अगले वर्ष के लक्ष्यों की प्राप्ति  हेतु पूरी तरह जुट सकते थे ! मन उस ग्लानी रुपी चिंगारी को अपने आत्म तृप्ति के भुलावे से बुझा देता है ! है ना ?


हम सभी के मन में अनेकों (हजारों ) कल्पनाएं उठती हैं ! उन कल्पनाओं में से कुछ (सेंकडों ) विचारों में परिणित होती हैं ! उन विचारों में से भी मात्र 2-4 % ही संकल्प में तब्दील होती  हैं ! और उन मानसिक 2-4 % संकल्पों में भी मात्र 1 या 2 % ही कर्म में परिणित हो पाती हैं ! हम सोचते तो लाख की हैं ,पर करते एक के लिए भी मुश्किल से ही हैं !


  • कल्पना --->  विचार --->  संकल्प  ---> कर्म  ---> लक्ष्य  प्राप्ति 


हर साल बहुत उमंग ,उत्साह से हम अपने लक्ष्यों की list बनाते हैं , बहुत कुछ निर्धारण करते हैं  की नए साल में ये सब करना है , फिर करना शुरू करते भी हैं  लेकिन अधिकतर के लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयत्न जनवरी के ही ख़त्म होते होते दूध के उफान की तरह ठंडा हो जाता है ! है ना ?

फिर भी बीच-बीच में हमारा हृदय हमें याद दिलाने की कोशिश भी करता है ,की सावधान ,समय बेकार जा रहा है ,कुछ करो भाई ?
लेकिन हमारा मन हमें तुरंत ही बहला देता है ,अरे ! ऐसी भी क्या जल्दी है ,अभी तो पूरा साल पड़ा है ,कर लेंगे .......!
फिर पता पड़ता है किसी दिन ,की अरे आज तो 31 दिसम्बर हो गया और हम वहीँ के वहीँ ! इस साल कुछ ख़ास हासिल ही नहीं कर पाए ! फिर वही  क्षणिक ग्लानी ,फिर वही  मन का बहलाना , और यही चक्र अधिकतर व्यक्तियों के जीवन में जीवन पर्यंत चलता है !  है ना ?

दोस्तों आइये इस नए साल में इस चक्र को तोड़ें ! अपने मन की बातों में न आयें ! लक्ष्य कम लेकिन ठोस बनाएं ! और कोशिश करें की नए साल में हम अपनी मेहनत ,नियमितता और एकाग्रता से उन लक्ष्यों को हासिल कर ही लेंगे !

तो देर किस बात की .......लीजिये डायरी -पेन  और लिख डालिए वो लक्ष्य  जिन्हें नए साल में आप हासिल कर के ही रहेंगे !

पुनः आप सभी को नव-वर्ष 2013 की मंगल-कामनाएं ..........


डॉ नीरज यादव 



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गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

कैसा हो जीवन लक्ष्य ?





                       कैसा हो जीवन लक्ष्य ?



दोस्तों ,

हमारा जीवन कैसा होगा ये हमारे निर्धारित किये गए लक्ष्य पर निर्भर करता है !  जैसा हमारा लक्ष्य होगा ,वैसा ही हमारा जीवन होगा ! क्षण -भंगुर लालसाओं को और उनसे मिलने वाली क्षणिक तृप्ति को हम जीवन का लक्ष्य नहीं बना सकते ! अगर हम पानी के बुलबुलों को अपना लक्ष्य बनाएगे  तो जीवन में कुछ हाथ नहीं आएगा ! 

लक्ष्य तो चट्टान की तरह अडिग और मजबूत होने चहिये ! लक्ष्य को पर्वत-शिखर की तरह ऊँचा  और विशाल होना चाहिये ,जिसे परिस्थितियों की आंधी ,धुंध,और तूफ़ान डिगा  न सकें ,जो हमें घनघोर बारिश में भी स्पष्ट रूप से दिखता  रहे !


एक बार एक छोटी सी चिड़िया को आसमान में चमकता एक छोटा बादल  का टुकड़ा दिखा , चिड़िया ने सोचा - चलो में उस बादल  को छु लूँ !  ऐसा सोच बादल  को अपना लक्ष्य बना वो बादल की तरफ उड़ चली , जैसे ही वो बादल  के समीप पहुंची ,बादल  हवा के झोंके से दूसरी  तरफ चला गया , चिड़िया ने फिर उसकी तरफ उड़ान भरी ! लेकिन बादल भी हवा में अठखेलियाँ करता हुआ कभी पूर्व तो कभी पश्चिम में जाने लगा !  वो चिड़िया के साथ आँख-मिचोली खेलने लगा ! तभी हवा का एक झोंका आया और उस बादल को हवा में ही छितरा दिया !  अपनी पूरी कोशिशो के बाद भी चिड़िया उस बादल तक नहीं पहुँच सकी ! उसने सोचा की जिस बादल को पाने के लिए वो अपनी जान लगा कर मेहनत  कर रही थी उसका तो अब अस्तित्व ही नहीं है !

उसे अपनी भूल का अहसास हुआ ,उसे समझ आया की अगर लक्ष्य बनाना ही है तो क्षण-भंगुर बादलो को नहीं ,बल्कि पर्वत की विशाल चोटियों को बनाना चहिये !

हम भी अपने जीवन में छोटे छोटे लक्ष्य बना लेते हैं !  कभी कोई मोबाइल ,कोई bike  ,कोई कार पाना ,या किसी क्लास में पास होना ही हमारा लक्ष्य बन जाता है ! ठीक है ,लेकिन उसके बाद ??  मोबाइल या कार खरीद कर फिर ?  फिर हम और महंगे मोबाइल या और अच्छे ब्रांड के मोबाइल या कार को अपना अगला लक्ष्य बना लेते हैं !और ये सिलसिला ऐसे ही जीवन पर्यन्त चलता रहता है !

अंत में हमें लगता है की जहाँ हम एक लम्बी छलांग लगा सकते थे ,वहीँ  हमने पूरी जिंदगी छोटे छोटे कदम चल कर ही निकाल दी ! है ना ?
दोस्तों लक्ष्य हमेशा बड़ा बनाइये ,फिर चाहे उसे छोटे छोटे हिस्सों में बाँट लीजिये ! उससे उसे पाने में सुविधा रहेगी !

लक्ष्य को बनाने के पहले हमें ये पता होना चहिये की क्या है हमारे जीवन का लक्ष्य? और जब एक बार ये पता लग जाये तब हमें फिर ये प्रयास करना चहिये की कैसे हासिल करें अपने जीवन का लक्ष्य !



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शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

pt.shriram sharma acharya prayer quotes in hindi







प्रभु, तुम्हारा विश्वास शक्ति बने ,याचना नहीं ....


  • हे प्रभु ! मेरी केवल यही कामना है की में संकटों से घबरा कर भागूं नहीं ,उनका सामना करूँ !  इसलिए मेरी ये प्रार्थना नहीं है की संकट के समय तुम मेरी रक्षा करो ,बल्कि में तो इतना ही चाहता हूँ की तुम ,मुझे उनसे जूझने का बल दो !

  • मैं ये भी नहीं चाहता की जब दुःख -संताप से मेरा चित्त व्यथित हो जाए ,तब तुम मुझे सांत्वना दो ! मैं अपनी अंजलि के भाव -सुमन तुम्हारे चरणों में अर्पित करते हुए इतना ही मांगता हूँ की तुम मुझे अपने दुखों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति दो !

  • जब किसी कष्ट दायक संकट की घडी में मुझे कहीं से कोई सहायता न मिले तो मैं हिम्मत न हारूँ !  किसी और स्रोत से सहायता की याचना न करूँ ,न उन घड़ियों में मेरा मनोबल क्षीण होने पाए !

  • हे प्रभो ! मुझे ऐसी द्रढ़ता और शक्ति देना  जिससे की मैं कठिन से कठिन घड़ियों में भी ,संकटों और समस्याओं के सामने भी दृढ रह सकूँ और तुम्हें हर पल अपने साथ देखते हुए  मुसीबतों ,परेशानियों को हंसी खेल समझ कर अपने मन को हल्का रख सकूँ ! मैं बस यही चाहता हूँ !

  • मेरे आराध्य ! तुम्हारा विश्वास हमेशा मेरे ह्रदय -मंदिर में दीपशिखा की तरह अखंड ,अविराम प्रज्वलित रहे ! मेरे प्रारब्ध के प्रबल झंझावत ,परिस्थितियों की भयावह प्रतिकूलताएँ ,स्वयं मेरी अपनी मनोग्रंथियाँ इस ज्योति को बुझा तो क्या ,कंपा भी ना सकें !

  • विश्वास की ये ज्योति हर पल मेरे अस्तित्व में आत्मबल की उर्जा और तात्कालिक सूझ का प्रकाश उड़ेलती रहे ! यह विश्वास मेरे लिए शक्ति बने -याचना नहीं ,संबल बने -क्षीणता नहीं !

  • कहीं ऐसा न हो की स्वयं के तमो गुण से ,आलस से घिर कर ,तुम्हारे विश्वास का झूठा आडम्बर रख कर  कर्म से विमुख हो जाऊं ,अपने कर्त्तव्य से मुख मोड़ लूँ !

  • चाहे जैसी भी प्रतिकूलताएं हों लेकिन प्रभु मुझे इतना कमजोर मत होने देना की मैं आसन्न संकटों को देख कर हिम्मत हार बैठूं और ये रोने बैठ  जाऊं की अब क्या करूँ ,मेरा सर्वस्व छिन गया !

  • मैं न अहंकारी बनूँ और न ही अकर्मण्य !  स्वयं को तुम्हारे चरणों में समर्पित करते हुए मेरी इतनी ही चाहत है की जीवन संग्राम में रणबांकुरे योद्धा की तरह जुझारू बनूँ !  तुम्हारे विश्वास की शक्ति से भयावह संकटों के चक्रव्यूहों का बेधन करूँ ,उन्हें छिन्न-भिन्न करूँ !

  • प्रभु ! तुम्हारा विश्वास मेरे लिए वीरता का पर्याय बने , आलस्य नहीं ! वीरता का संबल बने ,आतुरता का आकुलाहट नहीं ! बस इतनी ही कृपा करना !


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रविवार, 16 दिसंबर 2012

advice for just married couple,in hindi...






नवविवाहितों के लिए जरुरी सलाह .....

दोस्तों ,कई दिनों से सोच रहा था ,की इस topic पर लिखूं या नहीं ? , असमंजस में था ! लेकिन पिछले दिनों एक केस ने मुझे इस topic पर लिखने के लिए प्रेरित किया !

पिछले दिनों एक young couple मेरे पास आया ! लड़का well educated , professional और लड़की भी post graduate थी ! लड़का 27 और लड़की 23 साल के थे ! दोनों ही एक बड़े शहर के रहने वाले थे ! और उनकी अभी 4-5 महीने पहले ही शादी हुई थी !
दोनों अपने वैवाहिक जीवन से खुश होते हुए भी संतुष्ट नहीं थे ! वो दोनों भले ही बहुत पढ़े -लिखे , modern थे ,लेकिन उनके बहुत सारे व्यक्तिगत सवाल थे जो शारीरिक संबंधों के बारे में उनकी अनभिज्ञता को बतला रहे थे !

वो आपस में संतुष्ट होना चाहते हुए भी संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे   क्योंकि उनके आस-पास के लोग   (दोस्त,सहेली ....movies ?,books )उन्हें गलत और भ्रमित करने वाला ज्ञान दे रहे थे !

दोस्तों ,
आज का topic थोडा bold पर जरुरी है ,मेरी कोशिश रहेगी की शालीन शब्दों में अपनी बात आप तक पहुंचाऊं ! और जो just married couple हैं उनके संशयों और doubts को थोडा दूर कर सकूँ !

नई-नई शादी लड़का-लड़की के जीवन में एक अलग अहसास लाती है ! एक अलग ही रूमानियत ,उत्तेजना ,ख़ुशी ,थोडा डर ,झिझक और अपने साथी के शरीर और मन को जानने की उत्सुकता एक अलग ही रूमानी दुनिया का निर्माण करते हैं !
शादी के शुरू में अधिकतर जोड़े अपने साथी के रसायन और भूगोल को समझने में इतनी व्यग्रता से डूब जाते हैं की अधिकतर उस जोश में अपना होश भूल जाते हैं !

हमारे शास्त्रों में भी धर्म ,अर्थ,काम  और मोक्ष ये 4 पुरुषार्थ कहे गए हैं ! और मोक्ष के पहले काम (सेक्स) को स्थान दिया गया है !सही और मर्यादाओ में रहकर किया गया काम खुद आपके मोक्ष की सीढ़ी होता है !

हमारे भारतीय समाज में सेक्स को taboo माना जाता है ! कुछ लिहाज ,कुछ शर्म ,थोड़ी झिझक  कई कारणों से हम आपस में इसकी चर्चा नहीं करते हैं ! लेकिन फिर भी चोरी-छिपे अपने दोस्तों से ,सड़क छाप किताबों से movies और इन्टरनेट की कई sites से हम इसके बारे में जानकारी लेने का प्रयास करते   हैं !
हम जानना तो बहुत कुछ चाहते हैं पर पूछ नहीं पाते ! यह भी नहीं पता होता की पूछें किससे ? ऐसे में हम अपने दोस्तों या सहेलियों से अपनी query करते हैं जो की खुद हमारी तरह ही अनजान और उत्सुक हैं ,इस बारे में किसी से जानने के लिए !
तो ऐसे में फिर होता ये है की एक अँधा व्यक्ति दूसरे अंधे व्यक्ति से रास्ता पूछता है दूसरा पहले से पूछता है और फिर दोनों ही रास्ते से भटक जाते हैं ,है ना ?
अधिकतर ऐसा ही होता है !

मेरे पास जो couple आया था ,वो दोनों ही शारीरिक क्रिया कलापों में पूर्ण होते हुए भी असंतुष्ट और परेशान थे ! कारण था ,ऐसे में जो की अधिकतर होता है ,लड़के के दोस्त और लड़की की सहेलियां ,भाभीयां   जो ऐसे में किसी senior और expert से कम नजर नहीं आते हैं !
ज्यादा विस्तार के भय से संक्षेप में अपनी बात कहने की कोशिश करूँगा !

कुछ सलाह नवविवाहित couple के लिए ----

दोस्तों , 
कभी अपने दोस्तों ,सहेलियों की sex releted सलाह को ज्यादा seriously मत लीजिये ! अधिकतर उनकी ये सलाहें बड़ा चढ़ा कर कही गई होती हैं !
मेरे उस मरीज की पत्नी के मन में ये बात बेठ  गई थी ,जो की उसकी शादी शुदा सहेली ने कही थी की 'उसके पति ने पहले ही दिन ,माफ़ करना रात को उसे रात भर सोने ही नहीं दिया ,वगेरह-वगेरह .........

दोस्तों ,एक साफ़ बात --- बंद कमरे का अफसाना ,किसने जाना ?? है ना ? 
सिर्फ इस बात से वो  लड़की अपने पति के साथ सहज सम्बन्ध होते हुए भी मानसिक रूप से सहज नहीं हो पाती है क्योंकि उसके मन में ये धारणा बन गई है  की --- सम्बन्ध वही ,जो रात भर चले ....!
जबकि हम सब जानते हैं की ये सही और व्यावहारिक नहीं है !

आपकी शादी की रात आपके दोस्त वगेरह अपने आप को expert जतलाने ,अपनी मर्दानगी ?? की कहानियां सुनाने या अपना लोहा मनवाने के लिए जरुरत से ज्यादा बड़ा-चढ़ा कर उनके खुद के किस्से सुनाते हैं !  जो की नए नए जोड़े को और मानसिक रूप से घबरा देते हैं !  इसलिए दोस्तों की सलाह दोस्तों तक !

खाना खाने से आपका पेट भरा या नहीं ,ये कोई दूसरा आपको नहीं बताएगा ,आप स्वयं ही महसूस कर लेंगे ,है ना ?
तो फिर आपके संबंधों से हुयी अनुभूति ,तृप्ति का अनुभव खुद अपने मन और शरीरों को ही करने दीजिये ! किसी दुसरे की राय की हड्डी को ऐसे रूमानी समय में ,अपने बीच में मत लाइये !

उस कपल ने शादी के 4 महीनों में ही पति ने पत्नी को 2-3 बार emergency pills खिला  दी थीं ,अनचाहे गर्भ के डर से !
दोस्तों ,यहाँ में एक बात साफ़ तोर पर आपको कह देना चाहता हूँ की आप जोश में कभी होश मत खोइएगा ! जाहिर है नया जोड़ा कुछ ,महीनो या सालों अकेले रहना चाहता है ! एक दुसरे को पूरी तरह समझना चाहता है ! फ्री रहना चाहता है ! ऐसे में बच्चा उसे किसी अनचाही जिम्मेदारी से कम नहीं लगता !

लेकिन पूरी सावधानी रखने पर भी कभी कभी देवयोग से ऐसा होता है की पत्नी की date (menses ) नहीं आती है ! फिर दोनों tension में आ जाते हैं ! घर वालों को पता चले उसके पहले ही कोशिश होती है की तुरंत menses कैसे भी आ जाए ,वरना घर वालों को अगर पता चल गया तो पोते -पोती की ख़ुशी में वो इसे carry करने को कहेंगे ! फिर हमारी आजादी में खलल पड जाएगा ! है ना ?
ऐसे बहुत सारे case देखे हैं ,जिसमे शुरू में couple बार बार रुकने वाले  अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहता है ! फिर कुछ समय बाद जब "काम ज्वर" का खुमार कम होता है तब वो बच्चा पैदा करना चाहता है ! लेकिन तब उन्हें पता पड़ता है की किसी  complication की वजह से गर्भ नहीं ठहर पा रहा है ,या बच्चा नहीं हो पा रहा है ! फिर शुरू होते हैं infertility centers के चक्कर ,है ना ?

एक शेर मुझे याद आ रहा है -----
कुछ ऐसे भी मंजर हैं ,तारीख की नजरो में ,
लम्हों ने खता की थी ,सदियों ने सजा पायी !

आप समझ गए होंगे ,जो मै कहना चाह रहा हूँ ! अपने 2 minute के मजे के लिए अपने भविष्य को दाँव पर मत लगाइए !

वैसे भी शादी का मुख्य मकसद है  अपना कुलदीपक (लड़का /लड़की दोनों ) पैदा करना ! किसी भी लड़की की सम्पूर्णता तो माँ बनने में ही होती है !
sex क्रिया का main product तो child ही होता है , pleasure  या enjoyment तो by -product होता है !

एक बात और दोस्तों ,कभी किसी sex video ,या net video से बहुत प्रभावित मत होईये ! क्योंकि picture और यथार्थ में बहुत अंतर होता है !  फिर वो चाहे action movie हो या adult और porn movie .

रजनीकांत को robot movie सिर्फ एक movie  ही है ,यथार्थ में ऐसा होना संभव नहीं है , है  ना ??
इसलिए adult और porn movie को या किताबी ज्ञान को अपने संबंधों की कसोटी मत बनाइये ,वो यथार्थ नहीं है ! यथार्थ तो वो है ,जो आपके सामने है --आपका साथी ,उसका साथ ,है ना ??
दोस्तों बहुत सारी  बातें दिमाग में आ रही हैं ,आपके साथ बांटने के लिए ! पर चूंकि लेख लम्बा हो रहा है ,इसलिए आज इतना ही .......

एक निवेदन ---- मैंने यह एक प्रयास किया है ! अगर आपको लगता है ,की इससे आपको कुछ मदद मिलेगी या कहीं  न कहीं ये आपके साथी के साथ आपके संबंधों में सहायक होगा ! तो शालीन शब्दों में बताइयेगा जरूर !
मुझे आपके comments का इन्तजार रहेगा !

डॉ नीरज यादव 
MD(ayurveda)

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शनिवार, 8 दिसंबर 2012

कैसे बढाएं अपना आत्मविश्वास ............






                 कैसे बढाएं अपना आत्मविश्वास ............


दोस्तों ,

जीवन को उन्मुख होकर संसार की लहरों में बहने दीजिये ! कभी लहर आप पर होकर गुजरेगी ,कभी आप लहरों पर उतराएंगे ! लेकिन समुद्र की गोद में उसकी लहरों से खेलने का साहस -आत्मविश्वास आप में जाग्रत होगा ! 

जो अकेलेपन या पानी में डूब जाने के भय से  पानी में उतरता ही नहीं ,जो इसी सोच विचार में पड़ा रहता है   की क्या करूँ ? कैसे करूँ ? कब करूँ ? मै मंजिल तक कैसे पहुंचूंगा ? वह कुछ नहीं कर पाता ,उसका विश्वास  मर जाता है ! 

किसी भी कार्य में लगने से पहले ही जिनके संकल्प अधूरे रहते हैं ,जो संशय में पड़े रहते हैं ,वे कोई बड़ा काम नहीं कर पाते ! और अगर कुछ करते भी हैं ,तो उसमे असफल ही होते हैं ,जिसके कारण उनका रहा सहा विश्वास भी मर जाता है !

दोस्तों ,अगर अपना आत्मविश्वास बढाना है  तो उस काम में जी जान से जुट जाइये जो आपको हितकर लगता है ,जिसे आप अच्छा समझते हैं ,उस काम को अपने जीवन का स्वभाव का एक अभिन्न अंग बना लीजिये ! इससे आपके विशवास को बल मिलेगा !

लेकिन इस मार्ग में एक खतरा है ---वह है  ,सफलता -असफलता में अपना संतुलन खो बैठना !   इसके लिए जरुरी है की आप सफलता -असफलता ,हार जीत को गोण मानकर उस कार्य को प्रधान मानें !  कर्म की ये निरंतर साधना ही आपमें विश्वास का अविरल स्त्रोत खोज निकालेगी !

अपने आपको भाग्यशाली ,महत्वपूर्ण समझने वालों को संसार भी रास्ता देता है ! ये भावना अपने अन्दर कूट कूट कर भर लें की आपको किसी महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही इस धरती पर भेजा गया है ! आप अवश्य उस काम को करेंगे ,जरूर करेंगे आखिर आप उस परम शक्ति के अंश जो हैं ! इसी महान श्रद्धा के बल पर आप क्या से क्या बन सकते हैं !

समाज की ,संसार की घर-परिवार की ,पड़ोस की राष्ट्र की किसी भी महान कार्य की जो कोई भी जिम्मेदारी आप पर आयें ,उन्हें सहर्ष स्वीकार कीजिये ! जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाने का संकल्प ही आपके आत्म-विश्वास को बढाने का आधा काम पूरा कर देता है !

ध्यान रखिये --संसार में ऐसा कोई भी काम नहीं ,जिसे आप  जी हाँ आप, ना कर सकते हों !

फिर आप जिम्मेदारियों से क्यों डरते हैं ,क्यों झिझकते हैं ? इसलिए जिम्मेदारियों को निभाना सीखिए ! काम करने से ही अपनी कर्मठता ,अपनी शक्तियों पर विश्वास होता है !

 तो उठिए जुट जाइए अपने काम में ! और हाँ ,वो काम पहले कीजिये जिसे करने में आप घबराते हैं ,झिझकते हैं !  कोशिश तो कीजिये ,आखिर भगवान् भी उन्ही की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता खुद करते हैं !

उठाइये कागज़ कलम और बनाइये उन कामों की list जो आप करना तो चाहते हैं पर डर,झिझक ,आलस ,आत्मविश्वास की कमी की वजह से कर नहीं पा रहे हैं ,फिर वो चाहे english सीखना हो ,dance सीखना हो ,लोगों के सामने lecture देना हो ,सुबह जल्दी उठना  हो  या और कोई काम जो आपकी जिंदगी को बदलने की क्षमता रखता हो !

जिंदगी भर झिझकते रहने से अच्छा है एक बार कूद पड़िये  मैदान में ! या तो आप उस काम को कर ही जाएंगे जिसकी सम्भावना ज्यादा है , -इससे आपको कई फायदे होंगे - पहला आपका वो काम हो जाएगा जो इतने दिनों, सालों से नहीं हो रहा था ! आपका आत्मविश्वास बहुत बढ जाएगा  ! आप अपने उस डर से पार पा जाएंगे जो आपको उस काम को करने से रोक  रहा था ! 

ऊंची कूद का धावक अगर 6 फुट की छलांग सफलतापूर्वक लगा लेता है तो यकीं मानिए उसकी  अगली छलांग 7 फूट से कम नहीं होती है , है ना ?

और मान लीजिये अगर आप उस काम में सफल नहीं भी होते हैं तो भी अपने पीठ थपथपाईए ,आखिर आपने उस काम को करने की कोशिश तो की ,काम एक हो सकता है जिसे हम नहीं कर पाए ,लेकिन उसे करने की हमारी कोशिश तो  असंख्य हो सकती हैं ,है ना ? 

हम ये क्यों मान लेते हैं की अगर एक बार में नहीं हुआ तो होगा ही नहीं !

एक सवाल दोस्तों , आपने  किसी को मोबाइल पर कॉल किया और कॉल नहीं लगा ,लाइन बिजी थी या नेटवर्क नहीं था , तो क्या आपने उस नंबर पर फिर कभी दुबारा कॉल नहीं किया ??,  ये सोच कर की एक बार में कॉल नहीं लगा तो अब क्या लगेगा !  नहीं ना 

दोस्तों जब एक बार कॉल नहीं लगने पर हम उसे तब तक लगाते रहते हैं जब तक उस नंबर से बात नहीं हो जाए  है ना ?

तो फिर जिंदगी के उस अहम् काम को हम सिर्फ एक बार करके ही हताश कैसे हो सकते हैं ? हम क्यों नहीं उसे तब तक करते जब तक की आखिर हमसे वो  हो नहीं जाता ! और दोस्तों एक ही जगह हथोड़ा मारने से तो मजबूत से मजबूत चट्टान भी एक समय बाद टूट जाती है चकनाचूर हो जाती है ! 

तो उठिए जुट पड़िये ,आखिर काम करने से ही तो आत्मविश्वास बढता है ,और आत्मविश्वास बढ़ने  से ही तो असंभव काम संभव हो पाता  है , है ना ?


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ये आर्टिकल पूज्य गुरुदेव के शब्दों और प्रेरणा से  सृजित है ...............

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मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

जीवन में सफलता पाने के सूत्र ....






               जीवन में सफलता पाने के सूत्र ....


दोस्तों ,

जीवन में सफलता पानी है तो उसके लिए प्रबल संकल्प शक्ति और सतत अध्यवसाय एक अनिवार्य शर्त है !

हम हमारे हर  काम में स्वतः ही सफल होते चले जाएंगे ,कोई देवीय अनुकम्पा  किसी के आशीर्वाद से या कुछ तंत्र-मंत्र-कर्मकांड से हम पर बरसती चली जाएगी ,यह आशा करना तो शेखचिल्ली का सपना भर है !

सफलता के मोती यूँ ही धुल में बिखरे हुए नहीं पड़े हैं !  उन्हें पाने के लिए गहरे में उतरने की हिम्मत इकट्ठी करनी होगी , कठोर परिश्रम करने और सतत करते रहने की शपथ लेनी होगी !

कठोर ,दमतोड़ और टपकते स्वेद कणों वाला परिश्रम ही जीवन का सबसे श्रेष्ठ उपहार है ! इसी के फलस्वरूप इस भोतिक जीवन की समस्त सफलताओं -विभूतियों को पाया जा सकता है !

सुअवसर की प्रतीक्षा में बेठे रहना ,कुछ ना कर काहिली में उपलब्ध समय रुपी सम्पदा को गँवा बेठना तो मानव जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता  है !

मेहनत के लिए हर घडी ,हर पल एक शुभ मुहूर्त है ,सुअवसर है !  सस्ती सफलता पाने की ललक के फेर में पड़े रहने से वस्तुतः कुछ भी लाभ नहीं है !   चिरस्थाई प्रगति के लिए  राजमार्ग पर अनवरत परिश्रम और अपराजेय साहस को साथ को साथ लेकर चलना  होगा !

पगडंडीयां या शोर्टकट ढूंढना बेकार है ,वे भटका सकती हैं !  इतिहास में जिन्होंने भी कुछ सफलता पाई है ,जिसे इतिहास में लिखा गया है ,उन्हें गहराई तक खोदने व उतरने के लिए कमर कसनी पड़ी है !

विजय श्री का वरण करने के लिए कमर कसना ,आस्तीन चढ़ाना और खोदने की प्रक्रिया आरम्भ कर देना आवश्यक है ,पर ध्यान ये भी रखा जाना चाहिये की अनावश्यक उतावली से कहीं कुदाली से पैर ही ना कट जाए !

परिस्थितियां ,साधन और क्षमता का समन्वय करके आगे बढ़ना ही समझदारी है ! यही सफलता के लिए अपनाई गई सही रीति -नीति है ! किन्तु यह तथ्य गाँठ बाँध लेना चाहिये की सफलता केवल समझदारी पर ही तो निर्भर नहीं है , उसका मूल्य माथे से टपकने वाले श्रम -सीकरों से ही चुकाना पड़ता है !


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दोस्तों , ये आर्टिकल पूज्य गुरुदेव के ज्ञान के सागर की कुछ बूंदें हैं !

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