प्रार्थना ही नहीं पुरुषार्थ भी
एक बार एक हनुमान भक्त किसान की बैलगाड़ी कीचड के गड्डे में फंस गई ! वो गाडी से उतरा और एक किनारे बैठ हनुमान चालीसा पढने लगा ! एक पंडित जी वहां से गुजरे ,पूछा क्या कर रहे हो ? किसान ने कहा -मेरी बैलगाड़ी गड्डे में फँस गई है ,हनुमान जी से प्रार्थना कर रहा हूँ इसे बाहर निकालने की !
पंडित जी ने कहा --अरे बाबरे ,हनुमान जी संजीवनी का पता न होने पर भी पूरा पहाड़ ही उठा लाये थे ,तुम कम से कम कोशिश तो करो इसे बाहर निकालने की ,मैं भी हाथ लगवा दूँगा ! सिर्फ प्रार्थना करने से उपलब्धि नहीं होती ! पुरुषार्थ भी करना पड़ता है !
किसान को बात समझ आई ,उसने जोर लगाया और गाडी गड्डे से बाहर आ गई !
परमात्मा भी उन्ही की सहायता करते हैं , जो अपनी सहायता आप करते हैं ! पहले आप कोशिश तो कीजिये ,हाँ प्रार्थना के साथ की गई कोशिश ज्यादा और जल्दी फल देती है !
आजकल हम इंसानों ने अपनी काहिलता और आलस्य को भाग्य और भक्ति का रूप दे दिया है ! हम पाना तो बहुत कुछ चाहते हैं पर उसके लिए करना कुछ नहीं चाहते ! फिर हम बड़े धार्मिक होकर कहते हैं ,अगर प्रभु की इच्छा होगी तो मिल ही जाएगा !
फिर हमें मलूकदास जी का दोहा याद आ जाता है --
अजगर करे ना चाकरी ,पंछी करे ना काम
दास मलूका कह गए ,सबके दाता राम
और हम फिर हाथ पर हाथ रख कर ,आराम से बैठ जाते हैं !
रोटी रोटी रटने से भूख नहीं मिटती उसके लिए तो रोटी खानी पड़ती है ! उसी तरह परमात्मा का अनुदान -वरदान पाने के लिए पहले अपने पसीने के मणि-मुक्तक बहाने पड़ते हैं ! पुरषार्थ की अग्नि में अपने को झोंकना पड़ता है ! आप सच्ची कोशिश तो कीजिये ,परमात्मा पीछे ही खड़ा है आपका संबल बन कर !
आपको मगरमच्छ और हाथी की कहानी याद है ? जब नदी पर पानी पीने गए हाथी का पैर मगरमच्छ ने अपने जबड़े में जकड लिया था ! हाथी ने बहुत कोशिश की ,बहुत पुरषार्थ किया अपने को छुड़ाने का , लेकिन अंत में जब वो सफल नहीं हो पाया और लगा की अब मृत्यु निश्चित है तब उसने करुण स्वर में ,पूरी श्रद्धा और आस्था से ,पूरे विश्वास और भावना से ईश्वर को पुकारा ,उसकी सच्चे मन से की गई प्रार्थना भगवान् तक पहुंची ,वो आये अपने सुदर्शन चक्र से मगर का सर काट दिया और हाथी के प्राणों की रक्षा की !
हम प्रार्थना करे पुरुषार्थ की ,विश्वास की ,भक्ति की ,सच्ची शक्ति की ,सफलता की ,श्रेष्ठता की ,और एक सही ,सफल जीवन की ………
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