may14

शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

Be Practical........


                      व्यवहारिक  भी बनिए..... 

दोस्तों ,

जिंदगी में ऐसा अधिकतर होता है की हम किताबी ज्ञान तो बहुत पा लेते हैं ,लेकिन जिंदगी का व्यावहारिक ज्ञान पाने में पीछे रह जाते हैं !  सिर्फ बड़ी बड़ी डिग्री लेने से ही हम हमारे जीवन में सफल  नहीं हो सकते , जब तक की हमें छोटी छोटी लेकिन जरूरी चीजों की जानकारी न हो ! इसमें कोई दो राय  नहीं की किताबी ज्ञान भी जरूरी है ,बिलकुल है , लेकिन उससे कहीं ज्यादा जरूरी व्यवहारिक ज्ञान है ! 

अब आप कहेंगे की हमारे पास बड़ी डिग्री है रुतबा है power  है हम किसी से भी अपने काम करवा सकते हैं , नोकरों  की एक पूरी फ़ौज है हमारे पास ! हमें काम करने की कहाँ जरुरत है ?

दोस्तों   हम दूसरे  की नाव पर पाँव रख कर अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकते !  या हमारी नाव की पतवार भी किसी दुसरे को नहीं दे सकते !  अगर हम हर  काम के लिए दूसरों पर आश्रित हो जाएंगे तो एक पंगु की तरह हो जाएंगे ,जो किसी दुसरे के सहारे के बिना नहीं चल सकता !  हो सकता है की हम कभी किसी ऐसी परिस्थिति में फँस जाएँ ,की जहाँ कोई दूसरा हमारी सहायता न कर पाए ,तब हमें ही अपनी सहायता करनी पड़ती है !  आप अकेले अपनी गाडी चला रहे हों और सुनसान रास्ते पर आपका टायर पंक्चर हो जाए ,कोई मेहमान रात में आ जाए और चाय के लिए दूध न हो और नोकर भी जा चुका  हो ! कोई बोल्ट कसना हो ,या नल टपकने लगे ,कोई बल्ब लगाना हो या चाय ही बनानी हो ,लाइट का फ्यूज बांधना हो ! कहने का आशय है की जितना हमारा व्यवहारिक ज्ञान होगा उतना ही हमारी जिंदगी आसान और सहज होगी !

एक प्रकांड पंडित जी को नदी पार करनी थी ,शाम का समय था ! सारे दूसरे  मुसाफिर पार जा चुके  थे ! अकेले पंडित जी को लेकर मल्लाह नाव नदी में छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ !  पंडितजी ने कहा ,'सुन भाई , तेरी मजदूरी से ज्यादा दूंगा और 2 अनमोल उपदेश भी मुफ्त में दूंगा !   मल्लाह राजी हो गया ! नाव चलने लगी तो पंडित जी ने उससे पुछा --कुछ पूजा पाठ करते हो क्या ? मल्लाह ने कहा --नहीं महाराज !
तब तो तुम्हारा एक चोथाई  जीवन व्यर्थ हो गया ,पंडितजी बोले ! 
थोड़ी देर बाद जब नाव नदी के बीच में थी तब फिर सवाल किया ,---कुछ पढ़े  लिखे भी हो क्या ?
नहीं महाराज ,बिलकुल नहीं पढ़ा  लिखा ' मल्लाह ने बेचारगी से कहा !
अरे ,तब तो तुम्हारा  दो तिहाई जीवन बेकार चला गया !

तभी अचानक नाव किसी चट्टान से टकरा कर टूट गई ! पंडित जी डूबने लगे !मल्लाह बोला --महाराज ,तैरना जानते हो ? 
पंडित जी घबरा कर बोले --नहीं 
"तब तो महाराज अभी आपका  पूरा जीवन ही बेकार चला गया होता  "! मल्लाह ने उन्हें नदी से बाहर निकालते हुए कहा !
पंडित जी को अब  व्यवहारिक ज्ञान की कीमत समझ आ गई थी !

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