may14

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

Re-Overview of HAPPY TEACHER'S DAY...



HAPPY TEACHER'S DAY...
  दोस्तों,
 आज शिक्षक दिवस पर आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ! 
दुआ है की जिंदगी एक अच्छे और RESPONSIBLE  TEACHER की तरह आपको जिंदगी मे अच्छे अच्छे अनुभव और ज्ञान दे ! 

TEACHER  वो नहीं होता जो स्कूल या कॉलेज की चार दिवारी के अंदर आपको किताबों का ज्ञान कराता  है !  शिक्षक शिक्षा देता है ,लेकिन गुरु ज्ञान देता है !  और दोस्तों गुरु की महत्ता तो भगवन से भी ऊँची मानी गई  है !  लेकिन गुरु की शिक्षा से कही ज्यादा जरूरी है शिष्य की पात्रता ! अगर आप मे काबिलियत है ,सीखने का जज्बा है मेहनत करने का माद्दा है ,सच्चा समर्पण है ,निष्ठा है तो एक मिटटी का गुरु भी आप को कहीं ज्यादा काबिल बना सकता है ! गुरु अपना ज्ञान हर student को बराबर ही देता है लेकिन ये शिष्य की पात्रता है की वो उस ज्ञान को कितना ग्रहण करता है ! 
संसार की हर वस्तु और घटना आप को ज्ञान और राह दिखाती है ! अवधूत दत्तात्रेय के चींटी ,मक्खी, गणिका जैसे 24 गुरु थे ! ज्ञान तो कही भी मिल सकता है ,लेने वाला होना चाहिये !     गुरु एक नाव की तरह होता है जो  संसार के भंवर रूपी सागर मे आपको सुरक्षित एक किनारे से दुसरे किनारे तक पार लगाता है !

दोस्तों पहले   गुरु शिष्य का संबंध आत्मिक होता था ,गुरु ना सिर्फ किताबी ज्ञान देता था बल्कि अपने student के व्यक्तित्व का निर्माण भी करता था ,students के मन मे भी अपने गुरु के प्रति आदर और सम्मान होता था ! लेकिन आज परिपेक्ष्य बदल गए हैं !  शिक्षा सेवा नहीं अब व्यवसाय हो गई है ! teacher भी अब गुरु जैसे नहीं (सब नहीं पर अधिकतर ) व्यापारी जैसे हो गए हैं , जो की ----rupee/hour के हिसाब से पढ़ाते हैं ! student का कोर्से पूरा करना ही जिनका मकसद है , उसकी गलतियों को सुधारने ,उसको अच्छे संस्कार देने का  ना तो उनके  पास समय है और ना ही इच्छा !
आज ना teacher के मन मे अपने students के लिए वो अपनापन है और ना हीं students के मन मे  गुरु के लिए वो सम्मान और अदब ,है ना?
लेकिन आज भी कुछ गुरु हैं जो गुरु की सच्ची गरिमा को बरकरार रखे हुए हैं ,और कुछ शिष्य भी हैं जो अपना शिष्यत्व बनाये हुए हैं ! 
एक जमाना था जब रास्ते मे गुरु के मिलने पर शिष्य दौड़कर    उनके पास जाता था , उनसे मिलता था   और एक आज का समय है की अगर teacher रास्ते मे सामने से आ भी रहा होगा तो student मिलना तो दूर नमस्ते करना भी जरूरी नहीं  समझेगा ! पीड़ादायक है पर यही हकीकत है ! आज teacher 's day पर आइये थोडा आत्म चिंतन करें ! और कोशिश करें ना सिर्फ एक अच्छा शिष्य बनने की बल्कि एक गरिमामय ,अच्छा गुरु बनने की भी ! 

डॉ नीरज यादव 
बाराँ 


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