may14

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

कैसे बढाएं अपना आत्मविश्वास ............






                 कैसे बढाएं अपना आत्मविश्वास ............


दोस्तों ,

जीवन को उन्मुख होकर संसार की लहरों में बहने दीजिये ! कभी लहर आप पर होकर गुजरेगी ,कभी आप लहरों पर उतराएंगे ! लेकिन समुद्र की गोद में उसकी लहरों से खेलने का साहस -आत्मविश्वास आप में जाग्रत होगा ! 

जो अकेलेपन या पानी में डूब जाने के भय से  पानी में उतरता ही नहीं ,जो इसी सोच विचार में पड़ा रहता है   की क्या करूँ ? कैसे करूँ ? कब करूँ ? मै मंजिल तक कैसे पहुंचूंगा ? वह कुछ नहीं कर पाता ,उसका विश्वास  मर जाता है ! 

किसी भी कार्य में लगने से पहले ही जिनके संकल्प अधूरे रहते हैं ,जो संशय में पड़े रहते हैं ,वे कोई बड़ा काम नहीं कर पाते ! और अगर कुछ करते भी हैं ,तो उसमे असफल ही होते हैं ,जिसके कारण उनका रहा सहा विश्वास भी मर जाता है !

दोस्तों ,अगर अपना आत्मविश्वास बढाना है  तो उस काम में जी जान से जुट जाइये जो आपको हितकर लगता है ,जिसे आप अच्छा समझते हैं ,उस काम को अपने जीवन का स्वभाव का एक अभिन्न अंग बना लीजिये ! इससे आपके विशवास को बल मिलेगा !

लेकिन इस मार्ग में एक खतरा है ---वह है  ,सफलता -असफलता में अपना संतुलन खो बैठना !   इसके लिए जरुरी है की आप सफलता -असफलता ,हार जीत को गोण मानकर उस कार्य को प्रधान मानें !  कर्म की ये निरंतर साधना ही आपमें विश्वास का अविरल स्त्रोत खोज निकालेगी !

अपने आपको भाग्यशाली ,महत्वपूर्ण समझने वालों को संसार भी रास्ता देता है ! ये भावना अपने अन्दर कूट कूट कर भर लें की आपको किसी महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही इस धरती पर भेजा गया है ! आप अवश्य उस काम को करेंगे ,जरूर करेंगे आखिर आप उस परम शक्ति के अंश जो हैं ! इसी महान श्रद्धा के बल पर आप क्या से क्या बन सकते हैं !

समाज की ,संसार की घर-परिवार की ,पड़ोस की राष्ट्र की किसी भी महान कार्य की जो कोई भी जिम्मेदारी आप पर आयें ,उन्हें सहर्ष स्वीकार कीजिये ! जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाने का संकल्प ही आपके आत्म-विश्वास को बढाने का आधा काम पूरा कर देता है !

ध्यान रखिये --संसार में ऐसा कोई भी काम नहीं ,जिसे आप  जी हाँ आप, ना कर सकते हों !

फिर आप जिम्मेदारियों से क्यों डरते हैं ,क्यों झिझकते हैं ? इसलिए जिम्मेदारियों को निभाना सीखिए ! काम करने से ही अपनी कर्मठता ,अपनी शक्तियों पर विश्वास होता है !

 तो उठिए जुट जाइए अपने काम में ! और हाँ ,वो काम पहले कीजिये जिसे करने में आप घबराते हैं ,झिझकते हैं !  कोशिश तो कीजिये ,आखिर भगवान् भी उन्ही की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता खुद करते हैं !

उठाइये कागज़ कलम और बनाइये उन कामों की list जो आप करना तो चाहते हैं पर डर,झिझक ,आलस ,आत्मविश्वास की कमी की वजह से कर नहीं पा रहे हैं ,फिर वो चाहे english सीखना हो ,dance सीखना हो ,लोगों के सामने lecture देना हो ,सुबह जल्दी उठना  हो  या और कोई काम जो आपकी जिंदगी को बदलने की क्षमता रखता हो !

जिंदगी भर झिझकते रहने से अच्छा है एक बार कूद पड़िये  मैदान में ! या तो आप उस काम को कर ही जाएंगे जिसकी सम्भावना ज्यादा है , -इससे आपको कई फायदे होंगे - पहला आपका वो काम हो जाएगा जो इतने दिनों, सालों से नहीं हो रहा था ! आपका आत्मविश्वास बहुत बढ जाएगा  ! आप अपने उस डर से पार पा जाएंगे जो आपको उस काम को करने से रोक  रहा था ! 

ऊंची कूद का धावक अगर 6 फुट की छलांग सफलतापूर्वक लगा लेता है तो यकीं मानिए उसकी  अगली छलांग 7 फूट से कम नहीं होती है , है ना ?

और मान लीजिये अगर आप उस काम में सफल नहीं भी होते हैं तो भी अपने पीठ थपथपाईए ,आखिर आपने उस काम को करने की कोशिश तो की ,काम एक हो सकता है जिसे हम नहीं कर पाए ,लेकिन उसे करने की हमारी कोशिश तो  असंख्य हो सकती हैं ,है ना ? 

हम ये क्यों मान लेते हैं की अगर एक बार में नहीं हुआ तो होगा ही नहीं !

एक सवाल दोस्तों , आपने  किसी को मोबाइल पर कॉल किया और कॉल नहीं लगा ,लाइन बिजी थी या नेटवर्क नहीं था , तो क्या आपने उस नंबर पर फिर कभी दुबारा कॉल नहीं किया ??,  ये सोच कर की एक बार में कॉल नहीं लगा तो अब क्या लगेगा !  नहीं ना 

दोस्तों जब एक बार कॉल नहीं लगने पर हम उसे तब तक लगाते रहते हैं जब तक उस नंबर से बात नहीं हो जाए  है ना ?

तो फिर जिंदगी के उस अहम् काम को हम सिर्फ एक बार करके ही हताश कैसे हो सकते हैं ? हम क्यों नहीं उसे तब तक करते जब तक की आखिर हमसे वो  हो नहीं जाता ! और दोस्तों एक ही जगह हथोड़ा मारने से तो मजबूत से मजबूत चट्टान भी एक समय बाद टूट जाती है चकनाचूर हो जाती है ! 

तो उठिए जुट पड़िये ,आखिर काम करने से ही तो आत्मविश्वास बढता है ,और आत्मविश्वास बढ़ने  से ही तो असंभव काम संभव हो पाता  है , है ना ?


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ये आर्टिकल पूज्य गुरुदेव के शब्दों और प्रेरणा से  सृजित है ...............

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