may14

गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

पता है ,कहाँ रुकना है !




                 पता है ,कहाँ रुकना है !



दोस्तों,

आजकल television पर एक tyre का advertisement आ रहा है ! जिसमे किसी गहरे गड्डे या खाई के बिलकुल पास आकर गाडी रुक जाती है ! और उसका slogan  है --- पता है ,कहाँ रुकना है !

अगर इस slogan को हम हमारे जीवन में शामिल कर लें तो हमारा जीवन कहीं ज्यादा सुखद और सरल हो जाएगा ! आइये जीवन के कुछ पहलुओं पर इस slogan के प्रभाव का विचार करते हैं ----

  • हम  किसी party या होटल में खाना खाने जाते हैं ! खाने के स्वाद के वशीभूत होकर आप भूख से कहीं ज्यादा खा लेते हैं ! परिणामस्वरूप कालान्तर में अपच ,कब्ज ,गैस ,मोटापा ,कोलेस्ट्रोल आदि के शिकार बन जाते हैं ! क्योंकि हमको पता ही नहीं चलता की कहाँ रुकना है ! हम खाने के वशीभूत  बस खाते रहते हैं ! अगर हम को पता हो की कहाँ रुकना है , कब खाना बंद करना है !  तब फिर कोई परेशानी ही नहीं है !  फिर चाहे कितने भी छप्पन भोग हमारे सामने हों ,हम केवल उतना ही खाएँगे जितना जरुरी है ,क्योंकि हमें पता ही है की कहाँ रुकना है ! है ना ?

  • पति-पत्नि  की प्यार भरी बातें कब बहस और फिर तकरार से होती हुई लड़ाई में बदल जाती हैं ,पता ही नहीं चलता ! क्योंकि दोनों को ही पता नहीं है की कहाँ रुकना है ! है ना ?

  • exam में fail हुए अपने जवान , किशोर बेटे-बेटी को माँ-बाप इतना डाँटते हैं की शर्मिंदा होकर वो suicide जैसा आत्मघाती कदम उठा लेते हैं ! क्योंकि माता -पिता को पता ही नहीं है ,की कितना डांटना है और डांटने में कहाँ रुकना है ! है ना ?

  • रात भर की ८ घंटे की गहरी नींद लेने के बाद भी हमारा शरीर ,नींद और बिस्तर  दोनों ही नहीं छोड़ना चाहता ! सुबह होने पर भी उठना नहीं चाहता ! क्योंकि शरीर को पता ही नहीं है की नींद को कहाँ रोकना है ! है ना ?

लेकिन दोस्तों मुझे पता है की इस article में  मुझे कहाँ रुकना है  !  इसलिए आज इतना ही ................


डॉ नीरज ..........


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