may14

गुरुवार, 2 अगस्त 2012

जरा संभल कर ..........

                                                   जरा संभल कर ..........
दोस्तों आज हम जिंदगी के इक अहम् विषय पर बात करेंगे !मनुष्य इक सामाजिक प्राणी है ,वो समाज मे रहता है और इस संसार रूपी रंगमंच मे  अपनी हर भूमिका को निभाता है !हमारा हर कदम ,हर व्यवहार ,हर बात हर क्रिया कलाप हमारा उठना,  बैठना,बोलना हर चीज इस समाज मे लोगों की नजरो मे रहती है!  इस संसार की भूमिका को निभाते हुए कई बार ऐसा होता है की जाने अनजाने हमारा कोई कदम, या बात ,या व्यवहार हमारे पूरे व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डाल देता है!

हम कई बार गुस्से मे या तनाव मे कुछ ऐसा कर या बोल जाते हैं की बाद मे हमे बहुत पछतावा होता है, और हम उसे सुधारने की कोशिश भी करते हैं!  उदहारण के लिए कभी कभी हम अपने बच्चो या पति ,पत्नी या माता -पिता से अपशब्द बोल देते हैं,  उनका दिल दुखा    देते हैं!   फिर भूल समझ मे आने पर हम उन्हें उपहार देकर,या बाहर घुमाकर अपनी गलती को मिटाने की कोशिश करते हैं,  है ना?

दोस्तों जिंदगी की गणित मे 3 -2 =1 +2 =3 नहीं होता है,  अगर आपने 3 मे से 2 minus कर दिए आपके व्यवहार से, फिर आप आपके गिफ्ट या दूसरी तरह से 2 को plus करेंगे तो 3 तो हो जाएंगे  mathematically  !   लेकिन  जिंदगी की गणित के हिसाब से वो पहले वाले 3 नहीं होंगे!
कहने का आशय,की अगर धागे मे गाँठ आ जाये ,फिर आप गाँठ को दुबारा खोल भी दें   तो भी गाँठ वाली जगह पर धागे  मे सल आ जाती है ?  है ना!
और दोस्तों याद रखिये इक बार आपकी जो छवि ,image दुनिया मे बन गई  उसे बदलने मे जिंदगी लग जाती है!

इक बार इक राजा के दरबार मे इरान से इक इत्र (perfume )का व्यापारी आया ! उस व्यापारी के पास दुनिया का बेशकीमती इत्र था !  उसकी  हर छोटी से छोटी bottle की कीमत भी हजारों सोने की मोहरें थी ! वो अपना इत्र राजा को बेचने आया था !  उसने राजा से कहा ,  महाराज आपकी दरियादिली और आपकी अनमोल चीजों को क़द्र करने की आपकी पहचान की वजह से  मै आपके लिए बेशकीमती इत्र लाया हूँ!   उसने राजा को एक bottle सूंघने के लिए दी,  राजा ने जैसे ही bottle अपने हाथ मे ली,  उसमे से इक बूँद इत्र जमीं पर गिर गया, राजा ने सोचा इतना कीमती इत्र,  इसकी तो  इक बूँद ही कई मोहरों की है,  उसने कनखियों से अपने दरबार को देखा,  सब अपने मे मशगूल थे , उसे लगा की कोई नहीं देख रहा है,  और उसने धीरे से वो जमीन की गिरी हुयी  बूँद अपनी  ऊँगली से उठा ली, और अपने कपड़ों मे लगा ली!  लेकिन तभी उसकी नजर अपने मंत्री पर पड़ी,  वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था ,  राजा की चोरी पकड़ी गई  थी , उसके मंत्री ने ये सारा नजारा देख लिया था !
अब राजा ने सोचा की   मेरी तो पूरी इज्जत ही ख़तम हो जाएगी अगर इस मंत्री ने ये बात सारी सभा को बता दी तो,  उसने सोचा की अब मे अपनी  इस भूल का सुधार कैसे करूँ?उसने  इत्र वाले से कहा की तुम्हारे पास जो सबसे कीमती इत्र की bottle है  वो दिखाओ, अत्तार (इत्र वाला) ने सबसे बेशकीमती इत्र जो की एक मटके मे रखा था  जिसकी कीमत लाखो सोने की मोहरें थी , उसका जैसे ही ढक्कन खोला ,इत्र की सुगंध  पूरे दरबार मे फ़ेल गई  !
उसने  बड़ी सावधानी से वो मटका राजा के हाथ मे दिया ,  राजा ने उसे हाथ मे लेते हुए असावधानी का दिखावा करते हुए   उस मटके को जमीन मे गिरा दिया ,  सारा कीमती इत्र जमीन पर गिर गया, सब दरबारी एकदम से खड़े हो गए ,और इत्र गिरने का अफ़सोस करने लगे!
लेकिन राजा बिना किसी अफ़सोस के ऐसे बैठा रहा जैसे कुछ नुकसान हुआ ही नहीं,  वो ऐसा दिखाने की कोशिश करने लगा  जैसे लाखो का नुकसान होने पर भी उसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा ,उसने फिर गर्व से अपने मंत्री की तरफ देखा !मंत्री अब भी मुस्कुरा रहा था !  राजा दुविधा  मे पड़ गया , उसने मंत्री  से पूछा की इतना नुकसान हो गया लेकिन आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं?
तब मंत्री ने कहा ,'महाराज ,अब आप कितने भी मटके इत्र के गिरा दो , उससे कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला ,क्योंकि बूँद तो गिर ही गई ! 
अब उस बूँद की भरपाई  आपके हजार मटके गिराने से भी नहीं होगी!

कहने का आशय है की आपकी एक गलती आपके पूरे व्यक्तित्व पर भारी हो जाती है ! फिर आप जिंदगी भर  अपनी उस छवि से बाहर नहीं निकल पाते !  फिर चाहे आप कितने भी मटके अपनी अच्छे व्यवहार के गिरा दें!
इसलिए दोस्तों अपने व्यवहार का हर कदम बढे ही ध्यान से रखिये ! क्योंकि ये सीख जिंदगी के सफ़र मे भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है की--------
                           (व्यव्हार मे)सावधानी  हटी , (संबंधों  मे) दुर्घटना घटी ! है ना?
अपने कमेंट्स जरूर दीजिएगा !