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मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

sardar vallabhbhai patel quotes in hindi





लोह पुरुष "सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नाडियाड  गुजरात में एक गुजरती कृषक परिवार में हुआ था ! आप स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री थे ! देसी रियासतों का स्वतंत्र भारत में एकीकरण आपकी एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी !  बारडोली कसबे में सशक्त सत्याग्रह करवाने के लिए ही आपको सरदार कहा जाने लगा !  15 दिसम्बर 1950 को मुंबई में आपका निधन हो गया !  आप सच्चे अर्थों में स्वतंत्र भारत के निर्माता और राष्ट्र एकता के बेजोड़ शिल्पी थे !

सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल कथन ---

  • जो काम कल करना है ,उसकी बातों में ही आज का काम बिगड़ जाएगा ! और आज के काम के बिना कल का काम नहीं होगा ! आज का काम कीजिये ,तो कल का काम अपने आप हो जाएगा !

  • काम करने में तो मजा ही तब आता है ,जब उसमे मुसीबत होती है ! मुसीबत में काम करना बहादुरों का काम है ! मर्दों का काम है ! कायर तो मुसीबतों से डरते हैं ! लेकिन हम कायर नहीं हैं ,हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिये !

  • लोहा भले ही गरम हो जाए ,परन्तु हथोड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिये ! हथोडा गरम हो जाए तो अपना ही हत्था जला देगा ! 

  • मेरी तो आदत पड़ गई है की जहाँ पैर रख दिया ,वहां से पीछे न हटाया जाए !जहाँ पैर रखने के बाद वापस लोटना पड़े ,वहां पैर रखने की मुझे आदत नहीं ,अँधेरे में कूद पड़ने का मेरा स्वभाव नहीं है !

  • अविश्वास भय का कारण है !

  • जो तलवार चलाना जानते हुए भी तलवार को म्यान में रखता है ,उसी की अहिंसा सच्ची कही जाएगी ! कायरों की अहिंसा का क्या मूल्य ?

  • इंसान जितने सम्मान के लायक हो ,उतना ही उसका सम्मान करना चाहिये ,उससे अधिक नहीं करना चाहिये ,नहीं तो उसके नीचे गिरने का डर रहता है !

  • मान-सम्मान  किसी के देने से नहीं मिलते ,अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं !

  • थका हुआ इंसान दोड़ने लगे ,तो स्थान पर पहुँचने के बजाय जान गंवा बेठता है !      ऐसे समय पर आराम करना और आगे बढ़ने  की ताकत जुटाना उसका धर्म हो जाता है !

  • मुफ्त चीज मिलती है ,तो उसकी कीमत कम हो जाती है ! परिश्रम से पाई हुई चीज की कीमत ही ठीक तरीके से लगाई जाती है !

  • कोशिश करना हमारा फर्ज है ! अगर हम अपने फर्ज को पूरा ना करें तो हम ईश्वर के गुनहगार बनते हैं !

  • बहुत बोलने से कोई लाभ नहीं ,बल्कि हानि ही होती है !

  • जवानी को जाते देर नहीं लगती ,और गई हुई जवानी फिर वापस नहीं आती ! जो मनुष्य जवानी के एक एक पल का उपयोग करता है ,वह कभी बूढा नहीं होता !  सदा जवान बने रहने की इच्छा वाला मनुष्य मरते दम तक अपने कर्त्तव्य पालन में जुटा  रहता है !

  • विश्वास रख कर आलस्य छोड़ दीजिये ,वहम मिटा दीजिये ,डर छोड़िये ,फूट का त्याग कीजिये ,कायरता निकाल डालिए ,हिम्मत रखिये ,बहादुर बन जाइए ,और आत्मविश्वास रखना सीखिए ! इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे ,अपने आप मिलेगा ! दुनिया में जो जिसके योग्य है ,वह उसे मिलता ही है !

  • जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है ,इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती !

  • उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये !

  • कठिनाइयाँ दूर करने का प्रयत्न ही न हो ,तो कठिनाइयाँ मिटें कैसे ?  मुश्किलें दिखते  ही हाथ-पैर बाँध कर बैठ  जाना  और उन्हें दूर करने की कोशिश न करना  निरी कायरता है !

  • यह सच है की पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं ,किनारे खड़े रहने वाले नहीं ! मगर ऐसे लोग तैरना भी नहीं सीखते !

  • हमें गम खाना सीखना चाहिये ! मान-अपमान सहन करने की आदत डालनी चाहिये !

  • अपने जीवन में हम जो कुछ कर पाते हैं ,वह कोई बड़ी बात नहीं ,जिसके लिए हम मगरुरी ले सकें ! क्योंकि जो कुछ हम करते हैं ,उसमे हमारा क्या भाग है ? असल में कराने  वाला तो खुदा है !

  • हमें चिंता कभी नहीं करनी चाहिये ! जितना दुःख भोगना नसीब में लिखा होगा ,उतना भोगना ही पड़ेगा !

  • जीवन में सब दिन एक से नहीं जाते !

  • पिछला दुखड़ा रोना कायरों का काम है ! हिसाब लगा कर मुकाबले की तैयारी करना बहादुरों का काम है !

  • कल हमें कोई मदद देने वाला है ,इसलिए आज बेठे रहे ,तो आज भी बिगड़ जाएगा ,और कल तो बिगड़ेगा ही !

  • भगवान् के आगे झुकना चाहिये ,दूसरों के आगे नहीं ! हमारा सर कभी ना झुकने वाला होना चाहिये !

  • बेकार मत बेठिये ! बेकार बेठने वाला सत्यानाश कर डालता है ! इसलिए आलस्य छोड़िये ! रात-दिन काम करने वाला इन्द्रियों को आसानी से वश में कर लेता है !


  • बोलने में मर्यादा मत छोड़ना ,गालियाँ देना तो कायरों का काम है !

  • आम का फल समय से पहले तोड़ोगे तो वह खट्टा लगेगा , दांत खट्टे हो जाएंगे ! मगर उसे पकने देंगे तो वह अपने आप टूट जाएगा और अमृत के सामान लगेगा !

  • जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए ,तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये ,यही सच्ची विजय है 

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शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

your health your choice in hindi





मन से करें या बेमन से ,करना तो पड़ेगा ही .....


दोस्तों ,

एक सवाल आपसे ?  आप किसी को रोज 10 रुपये ख़ुशी से देना पसंद करेंगे या किसी दिन कोई आपसे जबरदस्ती 10,000 रुपये ले जाए ! कोनसी  परिस्थिति आप चाहेंगे की आप के साथ हो ?

जाहिर है , आप सभी ख़ुशी से रोज 10 रुपये देना ज्यादा पसंद करेंगे !  है ना ?

तो फिर आप क्यों  नहीं ख़ुशी से रोज 10 मिनट अपने शरीर ,अपनी सेहत के लिए देते ! रोज के 10 मिनट का किया गया ये निवेश आपको स्वस्थ और सेहतमंद रखेगा !

अब आप कहेंगे की 10 मिनट तो हम जरूर दे देंगे  पर हमारे पास इतना काम का बोझ है की हमें 10 मिनट भी हमारे अपने लिए समय नहीं है !

            दोस्तों , ये तो वही  बात हुई की आप अपनी गाडी चलाने  में इतने व्यस्त हैं  की  आपको पेट्रोल भरवाने का भी समय नहीं है ! इसका परिणाम आप जानते ही हैं !  कभी अचानक कहीं रास्ते में आपकी गाडी का पेट्रोल ख़तम हो जाएगा और आपको परेशान हो कर अपनी गाडी को खींच कर पेट्रोल पम्प तक लाना पड़ेगा और पेट्रोल भरवाना पड़ेगा ! है ना ?

तो क्यों ना ,आप पेट्रोल ख़तम होने के पहले ही टेंक full करवा लेते ?

दूसरी बात ,अगर हम रोज अपने शरीर पर ध्यान नहीं देंगे ,उसकी देखभाल नहीं करेंगे तो वह कमजोर होगा ,बीमार होगा ,आपको इशारे देगा की थोडा मुझ पर भी ध्यान दे लो भाई !
लेकिन फिर भी अगर काम की अधिकता ,आलस और लापरवाही की वजह से आप उसके लक्षणों की उपेक्षा करेंगे, तो थक हार कर वो हथियार डाल  देगा !

         आप किसी कमजोर ,थके घोड़े को चाबुक मार कर ज्यादा देर नहीं चला सकते ! एक समय बाद वो सड़क पर ही बैठ जाएगा ,फिर आप चाहे कितना भी चाबुक मारें वो हिलेगा भी नहीं !

उसी तरह शरीर का ध्यान नहीं रखने पर एक समय बाद वो कमजोर हो जाएगा ,बीमार पड़ जाएगा ! तब फिर आपको मजबूरी में hospital भी जाना पड़ेगा ,डॉक्टर  को फीस भी देनी पड़ेगी ,दवा भी खानी पड़ेगी और सारे जरुरी काम छोड़ कर total rest भी करना पड़ेगा ,खर्चा होगा वो अलग ! येही है जबरदस्ती किसी का आपसे 10,000 रुपये लेना !

बीमार होकर भी जब हमें शरीर का ध्यान रखना ही है ,तो क्यों न सेहतमंद रहते हुए ख़ुशी से केवल 10 मिनट रोज देकर अपने शरीर और सेहत का ध्यान रखें !

 मन से करें  या बेमन से ,करना तो पड़ेगा ही ....आखिर सेहत का सवाल है ! है ना ?

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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

happy dasara.........





              आइये  हम अपने दशानन पर विजय करें ....


दोस्तों ,

                आप सभी को विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएं 


राम भी हमारे में हैं , और रावण  भी हमारे अन्दर ही है !  दोनों के ही गुण हमारे अन्दर हैं !   हम सभी मनुष्य एक पुल की तरह हैं   जिसके एक तरफ अच्छाई (राम) हैं   तो दूसरी तरफ बुराई (रावण)है !  अच्छे की राह थोड़ी ऊँची है उस तरफ जाने में मेहनत  लगती है ,पसीना निकलता है ,  कोशिश करनी पड़ती है और राह थोड़ी पथरीली भी है  लेकिन इसके बाबजुद जो इस राह पर चल देता है ,वही  राम बन जाता है !

वहीं  दूसरी तरफ बुराई की राह ढलान वाली है फिसलने वाली है , उस तरफ जाने पर आपको बिलकुल चलने में मेहनत नहीं करनी पड़ती ,  आप सिर्फ एक कदम बढ़ा दीजिये पाँव अपने आप उस रस्ते पर फिसलने लगते हैं !  लेकिन इस ढलान का अंत बुराई के कीचड रुपी दलदल में होता है !  रावण वही  होता है जो इस बुराई  के रस्ते पर चलता है !

अब आपको किस रस्ते पर जाना है ,ये आपकी मर्जी है ,  क्योंकि आपकी जिंदगी के रथ के सारथि तो आप ही हैं !  है ना ?

दोस्तों ,   हमने रावण के पुतले तो बहुत जला लिए लेकिन अब  आइये इस विजयादशमी पर हम अपने ---

काम        क्रोध         अहंकार      डर        तनाव        लालच       निराशा       द्वेष        कटु वचन     और    आलस    रुपी दशानन का 

अपने   दृढ निश्चय       प्रेम       सदबुद्धि      निडरता       निरंतरता       मेहनत      मीठी बोली        आशा      नम्रता    और    शुचिता   रुपी राम के तीरों से संहार करें !

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शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

Be Practical........


                      व्यवहारिक  भी बनिए..... 

दोस्तों ,

जिंदगी में ऐसा अधिकतर होता है की हम किताबी ज्ञान तो बहुत पा लेते हैं ,लेकिन जिंदगी का व्यावहारिक ज्ञान पाने में पीछे रह जाते हैं !  सिर्फ बड़ी बड़ी डिग्री लेने से ही हम हमारे जीवन में सफल  नहीं हो सकते , जब तक की हमें छोटी छोटी लेकिन जरूरी चीजों की जानकारी न हो ! इसमें कोई दो राय  नहीं की किताबी ज्ञान भी जरूरी है ,बिलकुल है , लेकिन उससे कहीं ज्यादा जरूरी व्यवहारिक ज्ञान है ! 

अब आप कहेंगे की हमारे पास बड़ी डिग्री है रुतबा है power  है हम किसी से भी अपने काम करवा सकते हैं , नोकरों  की एक पूरी फ़ौज है हमारे पास ! हमें काम करने की कहाँ जरुरत है ?

दोस्तों   हम दूसरे  की नाव पर पाँव रख कर अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकते !  या हमारी नाव की पतवार भी किसी दुसरे को नहीं दे सकते !  अगर हम हर  काम के लिए दूसरों पर आश्रित हो जाएंगे तो एक पंगु की तरह हो जाएंगे ,जो किसी दुसरे के सहारे के बिना नहीं चल सकता !  हो सकता है की हम कभी किसी ऐसी परिस्थिति में फँस जाएँ ,की जहाँ कोई दूसरा हमारी सहायता न कर पाए ,तब हमें ही अपनी सहायता करनी पड़ती है !  आप अकेले अपनी गाडी चला रहे हों और सुनसान रास्ते पर आपका टायर पंक्चर हो जाए ,कोई मेहमान रात में आ जाए और चाय के लिए दूध न हो और नोकर भी जा चुका  हो ! कोई बोल्ट कसना हो ,या नल टपकने लगे ,कोई बल्ब लगाना हो या चाय ही बनानी हो ,लाइट का फ्यूज बांधना हो ! कहने का आशय है की जितना हमारा व्यवहारिक ज्ञान होगा उतना ही हमारी जिंदगी आसान और सहज होगी !

एक प्रकांड पंडित जी को नदी पार करनी थी ,शाम का समय था ! सारे दूसरे  मुसाफिर पार जा चुके  थे ! अकेले पंडित जी को लेकर मल्लाह नाव नदी में छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ !  पंडितजी ने कहा ,'सुन भाई , तेरी मजदूरी से ज्यादा दूंगा और 2 अनमोल उपदेश भी मुफ्त में दूंगा !   मल्लाह राजी हो गया ! नाव चलने लगी तो पंडित जी ने उससे पुछा --कुछ पूजा पाठ करते हो क्या ? मल्लाह ने कहा --नहीं महाराज !
तब तो तुम्हारा एक चोथाई  जीवन व्यर्थ हो गया ,पंडितजी बोले ! 
थोड़ी देर बाद जब नाव नदी के बीच में थी तब फिर सवाल किया ,---कुछ पढ़े  लिखे भी हो क्या ?
नहीं महाराज ,बिलकुल नहीं पढ़ा  लिखा ' मल्लाह ने बेचारगी से कहा !
अरे ,तब तो तुम्हारा  दो तिहाई जीवन बेकार चला गया !

तभी अचानक नाव किसी चट्टान से टकरा कर टूट गई ! पंडित जी डूबने लगे !मल्लाह बोला --महाराज ,तैरना जानते हो ? 
पंडित जी घबरा कर बोले --नहीं 
"तब तो महाराज अभी आपका  पूरा जीवन ही बेकार चला गया होता  "! मल्लाह ने उन्हें नदी से बाहर निकालते हुए कहा !
पंडित जी को अब  व्यवहारिक ज्ञान की कीमत समझ आ गई थी !

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मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता........





       या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता........



दोस्तों ,

नवरात्र   के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक मंगल कामनाएं ! 

दुआ है 
शक्ति ,साहस ,बल , सदबुद्धि  को देने वाली माता भगवती 
                             achhibatein के सभी सुधि पाठक जनों  और 
                                                       इस संसार के सभी प्राणियों को 
                                                                       अपने आशीष से नवाजें ! 

नवरात्र के नौ दिनों में माँ भगवती के नौ रूपों का पूजन किया जाता है ! इन्हें नौ दुर्गा के नाम से जाना जाता है ! ये नव दुर्गाएं हैं ---

शेलपुत्री ,ब्र्हम्चारिणी ,,चंद्रघंटा ,कुष्मांडा , स्कंध्माता , कात्यायिनी , कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !


दुर्गा शब्द ही अपने आप में विशिष्ट है ! दुर्गा शब्द --द ,उ ,र ,ग ,आ   अक्षरों से मिलकर बना है !

द --देत्यनाशक 
उ -- विघ्ननाशक 
र -- रोगनाशक 
ग --पापनाशक 
आ --भय और शत्रु विनाशक हैं !

देवी भागवत पुराण के अनुसार प्रत्येक कन्या को देवी का स्वरुप ही माना जाता है !   2 से 10 वर्ष की आयु के मध्य अलग-अलग आयु के अनुसार देवी के अलग -अलग नाम होते हैं ----

2 साल की कन्या ----- कुमारी 
3 साल की कन्या ----- त्रिमूर्ति 
4  साल की कन्या ---कल्याणी 
5 साल की कन्या ---- रोहिणी 
6  साल की कन्या ---- कालिका 
7  साल की कन्या ---- चंडिका 
8  साल की कन्या ---- शाम्भवी 
9  साल की कन्या ---- दुर्गा 
10  साल की कन्या ----सुभद्रा    के रूप में होती है !


इस संसार में सर्वत्र शक्ति का ही साम्राज्य है ,अतः शक्ति की उपासना करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ! ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है ,जीवन में सफल होता है और सर्वत्र पूज्य होता है !

आइये इस नवरात्र पर हम भी माँ भगवती से सच्चे मन से शक्ति और सदबुद्धि की कामना करें !

 पुनः आप सभी को नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं ..................

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रविवार, 14 अक्तूबर 2012

keep desire for the best in hindi




श्रेष्ठ तम की चाह रखो ,श्रेष्ठ तो बन ही जाओगे 


एक पहाड़ पर सोना ,चांदी ,हीरा ,ताम्बे की खानें थीं ! कई लोग उनको पाने की कोशिश करते और कुछ लोग पाते भी थे ! एक बार 3 दोस्तों ने निश्चय किया की हम भी इस पहाड़ से सम्पदा लेकर आएँगे !एक दोस्त ने अपना लक्ष्य बनाया की में तो ताम्बे की खान तक पहुँच जाऊं वही मेरे लिए बहुत है ! दुसरे ने अपना लक्ष्य चांदी की खान को रखा ! लेकिन तीसरे ने हीरे की खान तक पहुँचने का लक्ष्य रखा ! तीनों साथ साथ पहाड़ पर चढ़े ! 

सबसे पहले ताम्बे की खान आई ,पहले वाला दोस्त जिसका लक्ष्य ही तांबे  की खान था ,खुश होकर वहीँ रूक गया ! बाकी 2 आगे अपने लक्ष्य की तरफ चल पड़े ! थोड़ी देर बाद चांदी की खान भी आ गई !  दूसरा दोस्त भी खुश होकर वहीँ रूक गया !

तीसरा दोस्त जिसका लक्ष्य हीरे की खान को पाना था ! वो सतत आगे बढता रहा ! रास्ते में सोने और प्लेटिनम की खाने आईं ! पर वो उनको छोड़ आगे बढता रहा ! बहुत कोशिश और परिश्रम करने पर भी उसे हीरे की खान नहीं मिली ! वो वापस लोटा और लोटते समय बहुत सा सोना और प्लेटिनम अपने साथ लेता आया !


दोस्तों , उस तीसरे दोस्त ने भले ही अपना ऊंचा लक्ष्य नहीं पाया लेकिन वो फिर भी अपने उन दोनों दोस्तों से कहीं ज्यादा सम्पदा पा गया ,जिनके लक्ष्य ही बड़े छोटे थे !

कहने का आशय है जिंदगी के हर  क्षेत्र में 100 में से 100 की ही इच्छा रखोगे और उस हिसाब से मेहनत  भी करोगे तो 100 भले ही ना मिलें 90-95 तो मिलेंगे ही !  लेकिन इच्छा ही अगर 100 में से 36 की हो तो अलग बात है !

दोस्तों ,जिंदगी में हमेशा श्रेष्ठतम की आकांशा रखो तो श्रेष्ठ या अच्छा तो पा ही जाओगे ! लेकिन आकांशा ही अगर ओसत की रखोगे तो ओषत से भी कम ही हासिल कर पाओगे ! इसलिए श्रेष्ठ तम की चाह रखो ,श्रेष्ठ तो बन ही जाओगे !
                               
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गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

खाना खाइये ,मोटापा घटाइये ........




          खाना खाइये ,मोटापा घटाइये ........

दोस्तों , 

कई मोटे मरीज मेरे पास आते हैं , जिन्होंने अपने मोटापे की वजह से खाना कम कर दिया है !  या सिर्फ एक समय ही खाना खाते हैं   दूसरे  समय कुछ भी नहीं !  या जो dieting  पर हैं !  लेकिन फिर भी उनका मोटापा कम होने की जगह बढता ही जा रहा है !  ऐसे लोगों मे  से कहीं आप भी तो नहीं ?  अगर हाँ ,तो ये artical शायद  आप के काम आये ! 

इस topic  पर चर्चा करने से पहले कुछ बातें अपने शारीर के बारे मे  हम कर लें ,ठीक है !

 हमारा शरीर एक बड़े यन्त्र या मशीन की तरह है ,  वो मशीन जो लगातार बिना रुके  24 घंटे सातों दिन काम करती रहती है !
अब आप कहेंगे  की हम लगातार काम कहाँ करते हैं ?  रात मे सोते  भी हैं ,  दिन में झपकी भी लेते हैं , फिर लगातार काम कहाँ हुआ ?  है ना ?

दोस्तों , सोते आप हैं , आपका हृदय ,आपके lungs ,आपका digestive  system ,  आपका blood circulatory system ये सारे system अनवरत अपना कार्य करते रहते हैं !  जब आप गहरी नींद में होते हैं  तब भी दिल का धडकना , खून का सारे शारीर में घूमना , सांस का आना -जाना ,  खाने का पचना  इत्यादि काम अनवरत होते रहते हैं !  जिनकी बदोलत आप स्वस्थ और जिन्दा रहते हैं !

किसी भी मशीन या गाडी को चलने के लिए उर्जा (energy ) की आवश्यकता होती है फिर वो उर्जा चाहे बिजली हो ,petrol हो या desal  !
उसी तरह आपके शारीर की उपरोक्त क्रियाओं को सतत चलाने  के लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है ,जो आपके शरीर को खाए गए खाने से मिलती है !
        आप जो खाना खाते हैं ,उसके पचने से शक्ति उत्पन्न होती है ,जो शरीर को चलाने में काम आती है !  शक्ति के आमद -खर्च का ये सिलसिला निर्बाध रूप से चलता रहता है !

जो energy आपके खाने से बनती है उसमे से कुछ तो तुरंत काम आ जाती है और कुछ भविष्य के लिए संगृहीत हो जाती है !   जिस प्रकार बैंक में current account  और saving  account  होते हैं ! शरीर की ये जो saving  energy  है ये चर्बी (fat ) के रूप में आपके शरीर में जमा होती है ! 

आपने पढ़ा या देखा होगा की कुछ लोग रेगिस्तान या समुद्र में  कई दिनों तक फँस जाते हैं ,भटक जाते हैं ,उनके पास कुछ भी खाने -पीने को नहीं होता है ,फिर भी वो लोग कुछ दिनों तक अपने आप को बिना कुछ खाए हुए भी जिन्दा रख पाते हैं !  है ना ?
ऐसे आपातकाल के लिए शरीर fat  के रूप में energy को save  रखता है !

जो लोग नियम से सुबह शाम खाना खाते हैं उनकी energy  के आमद खर्च का तारतम्य बना रहता है !और शरीर सहज रूप से उस energy  को खर्च कर लेता है !

दोस्तों ,परेशानी (मोटापा) ,तब शुरू होती है जब आप मोटापे के चक्कर में एक समय का खाना बंद कर देते हैं ,या खाना कम कर देते हैं ,या dieting करने लग जाते हैं !   इससे होता यह है की energy  के आमद खर्च का जो गणित था वो गड़बड़ा जाता है !
आप चाहे खाना खाएं या ना खाएं आपके शरीर को तो energy  चाहिये  ही अपने आपको चलाने  के लिए ! 
जब आपके शरीर को ये लगने लगता है कि  ये आदमी तो मुझे समय से उर्जा नहीं दे रहा है ,जितनी जरूरत है उतनी नहीं दे रहा है ,और जब चाहिए तब नहीं दे रहा है  तब शरीर का आपात तंत्र सक्रिय हो जाता है !

दोस्तों ,आपने देखा होगा की बाजार में किसी चीज की कमी होने पर हर  आदमी उसे जरूरत से ज्यादा खरीद कर अपने घर  में इकठ्ठा कर लेता है ताकि उसकी उपलब्धता बनी रहे ,उसे वो चीज समय से मिलती रहे ,है ना ?

उसी तरह जब आप शरीर को सही समय पर  और पूरा खाना नहीं देते हैं तो वो भी आपातकाल की तरह energy  को reserve कर लेता है !  उर्जा को शरीर में storage  कर लेता है !  और ये storage  fat  के रूप में  आपके शरीर में जमा होता है !

फिर होता ये है की आप जितना कम खाते हैं उतनी ही fat (मोटापा ) बढ़ने लगता है ! आप समझ ही नहीं पाते की कम खाते हुए भी मोटापा क्यों बढ़ रहा है ! है ना ?
जब आपने शरीर का current account   कम कर दिया है तो वो saving  account  तो बढाएगा  ही ! 

दूसरी बात जब आप एक समय ही खाते  हैं तो जाहिर है भूख से थोडा ज्यादा ही खाने में आता है , क्योंकि पेट को पता है की शाम को तो खाना मिलेगा नहीं  इसलिए वो आपको 2 चपाती ज्यादा ही खिला देता है ! 

फिर धीरे धीरे आपके शरीर में fat  जमा होने लगती है ! fat  सबसे पहले आपके पेट पर ,फिर स्तन प्रदेश में, कुल्हे पर तथा जाँघों पर जमा होने लगती है !
फिर आपको लगता है की कम खा कर भी मोटा तो हो ही रहा हूँ ,      तो क्यों ना ???

फिर आप जरुरत से ज्यादा खाने लगते हैं ,जब चाहे तब खाने लगते हैं ! जीवन में ये चक्र चलता ही रहता है और आपका मोटापा वहीं  का वहीं  ! है ना ?

कुछ अनमोल सूत्र , अगर आप मोटापा वाकई में कम करना चाहते  हैं तो ----

  • खाना नियम से दोनों समय खाएं !
  • खाना भूख से कम खाएं ! पेट के 2 भाग अन्न से भरें ,1 भाग पानी और 1 भाग हवा के लिए रखें !   कुकर को चावल से पूरा भर देंगे तो वो पकेंगे कैसे ?
  • दिन भर ही ना खाते रहे !
  • खाने के तुरंत बाद बहुत पानी ना पियें !
  • खाते ही दिन में  ना सोयें !
  •  योग ,व्यायाम ,टहलना ,परिश्रम भी करें !
  • सबसे ख़ास अपने शरीर को आपातकाल जैसी परिस्थिति का सामना न कराएं जिससे की वो घबरा कर energy  का जरुरत से ज्यादा संचय fat  के रूप में शरीर में ना कर ले !

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आपके comments  के माध्यम से ये बताईएगा  की ये लेख आपको कैसा लगा ,और आपके लिए कितना लाभप्रद रहा !

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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

जिंदगी मे हर इंसान जरूरी होता है



                                 जिंदगी मे हर इंसान जरूरी होता है 

दोस्तों ,
जिंदगी के सफ़र मे हम अनेक इंसानों से मिलते हैं ! कुछ हमारे स्तर के होते हैं  कुछ का स्तर हम से कम होता है ! हम अपने ज्ञान ,पद और पैसे के मद मे कई बार छोटे  व्यक्तियों का निरादर कर देते है ! हमे लगता है की हमारे ज्ञान के आगे इस आदमी की क्या औकात ? चाहे फिर वो मेकेनिक हो ,ड्राईवर हो ,housemaid हो या कोई भी इंसान ! लेकिन अधिकतर ऐसा होता है की कभी कभी हमारी डिग्री और किताबी ज्ञान किसी काम  नहीं आ पाता ! फिर ये लोग ही हमे उस समस्या से उबारते हैं !

हम  अपने आप मे परिपूर्ण नहीं हैं ,और ना ही हो सकते हैं ! जिस प्रकार शरीर मे सिर की अपनी कीमत है उसी तरह पैर का तलवा भी उतना ही कीमती है ! दोनों की अपनी महत्ता है !

सफ़र  के बीच रास्ते मे गाडी खराब होने या tyre  puncture होने पर हमारा सारा ज्ञान या रुतबा काम नहीं आता ,काम आता है ड्राईवर या मेकेनिक ,जो हमे चुटकियों मे उस समस्या से उबार लेता है ! है ना ? घर का नल टपक रहा हो तो plumber ही काम आता है ,आपका नजरिया नहीं !

जरा सोचिये  3-4 दिन काम वाली बाई ना आये तो ? सोच कर ही घबरा जाएँगे ,है ना !

दोस्तों mercedes या limozin car चाहे कितनी भी महँगी हों ,चलती  तो काले tyre पर ही हैं ! बिना tyres के तो वो सिर्फ एक सुन्दर डब्बा हैं !

हम हमारी जिंदगी मे कितने भी ऊपर उठ जाएँ ,कितने भी बड़े बन जाएँ ,चाहे जितना भी किताबी ज्ञान पा लें ! फिर भी वे लोग जिनका किताबी ज्ञान भले ही zero हो ,लेकिन जिनका जिंदगी का व्यावहारिक ज्ञान हमसे कई गुना ज्यादा है ,हमे उनकी और उनके ज्ञान की हमेशा क़द्र करनी चाहिये !
डॉ.नीरज 
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शनिवार, 6 अक्तूबर 2012

mahatma vidur neeti in hindi



          विदुर नीति --

महाभारत काल मे   युद्ध  होने की आशंका से चिंतित धृतराष्ट्र विदुर को बुलाते हैं !   विदुर तब उन्हें जो ज्ञान की बातें बताते हैं ,वही विदुर नीति है ! जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं !

  • जो पहले निश्चय कर के फिर कार्य का आरम्भ करता है ,कार्य के बीच मे नहीं रुकता ,समय को व्यर्थ नहीं जाने देता  और मन को वश मे रखता है ,वही पंडित कहलाता है !

  • थोड़ी बुद्धि वाले ,दीर्घसूत्री ,जल्दबाज ,और स्तुति करने वाले लोगों के साथ गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये !

  • सफलता और उन्नति चाहने वाले पुरुषों को नींद ,तन्द्रा (ऊँघना) ,डर, क्रोध ,आलस्य तथा दीर्घसूत्रता (जल्दी हो जाने वाले काम मे अधिक देर लगाने की आदत )-इन 6 दुर्गुणों को त्याग देना चाहिये !

  • राजन!   नीरोग रहना ,ऋणी ना होना , परदेश मे ना रहना ,अच्छे लोगों के साथ मेल होना ,निडर होकर रहना --ये इस संसार के सुख हैं !

  • जो किसी दुर्बल का अपमान नहीं करता ,सदा सावधान रहकर शत्रु के साथ बुद्धिपूर्वक व्यवहार करता है , बलवानों के साथ युद्ध पसंद नहीं करता तथा समय आने पर पराक्रम दिखाता है , वही धीर है !

  • इसे करने से मेरा क्या लाभ होगा  और ना करने से क्या हानि होगी -  इस प्रकार कर्मों के विषय मे भलीभांति विचार करके फिर मनुष्य करे या ना करे !

  • राजन !  जो गाय बड़ी कठनाई से दूध दुहने देती है ,वह बहुत क्लेश उठाती है !  किन्तु जो आसानी से दूध देती है ,उसे लोग कष्ट नहीं देते !

  • जो धातु बिना गरम किये मुड जाते हैं ,उन्हें आग मे नहीं तपाते!  इस वचन के अनुसार बुद्धिमान पुरुष को अधिक बलवान के सामने झुक जाना चाहिये !

  • शराब पीना ,कलह ,समूह के साथ बेर ,पति -पत्नी मे भेद पैदा करना ,राजा के साथ द्वेष और बुरे रास्ते --ये सब त्यागने योग्य हैं !

  • हस्तरेखा देखने वाला ,चोरी करके व्यापार करने वाला ,जुआरी ,वैद्य ,शत्रु ,मित्र और नर्तक --इन सातों को कभी गवाह ना बनायें !

  • जलती हुई आग से सोने की पहचान होती है ,सदाचार से सत्पुरुष की ,व्यवहार से साधू की ,भय आने पर शूर की ,आर्थिक कठनाई मे धीर की और कठिन आपत्ति मे शत्रु और मित्र की परीक्षा होती है १

  • दिनभर  मे ही वो कार्य कर लें ,जिससे रात मे सुख से रह सकें ! युवावस्था मे वह काम करें ,जिससे वृद्धावस्था मे सुख से रह सकें !

  • यदि वृक्ष अकेला है तो वह बलवान ,दृढ मूल तथा बहुत बड़ा होने पर भी एक ही क्षण मे आंधी के द्वारा बलपूर्वक शाखाओं सहित धराशाई किया जा सकता है !

  • किन्तु जो बहुत से वृक्ष एक साथ रहकर समूह के रूप मे खड़े रहते हैं ,वे एक दुसरे के सहारे बड़ी से बड़ी आंधी को भी सह सकते हैं !

  • जो मनुष्य आपके साथ जैसा वर्ताव करे उसके साथ वैसा ही वर्ताव करना चाहिये --यही नीति धर्म है !

  • बहुत दुखी होने पर भी कृपण ,गाली बकने वाले ,मुर्ख ,जंगल मे रहने वाले ,धूर्त ,नीच,निर्दयी ,शत्रु और क्र्तघ्न्न से कभी सहायता की याचना नहीं करनी चाहिये !

  • जो विश्वास पात्र नहीं है उसका तो विश्वास करें ही नहीं ,किन्तु जो विश्वासपात्र है उस पर भी अधिक विश्वास ना करें !

  • उन्नति के मूलमंत्र हैं ---उद्योग (work ),संयम ,दक्षता ,सावधानी ,धेर्य ,स्मृति और सोचविचार कर कार्य प्रारंभ करना !

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गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

swami vivekananda quotes in hindi



स्वामी विवेकानंद :युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत्र 

दोस्तों , आज जब कोई युवा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु परिश्रम करता है ,मेहनत करता है और यदि वो असफल हो जाता है ,  तो उसका मन टूट जाता है ! हताशा का अन्धकार उसको घेर लेता है , फिर व्यक्ति या तो आत्महत्या जैसा नकारात्मक निर्णय लेता है या फिर समझोतावादी बन जाता है !   जिंदगी से निराश हो जाता है ,  उसका अपने स्वयं पर से विश्वास उठने लगता है ,है ना ?
ऐसे हताश और निराश युवाओं के लिए स्वामी जी अपने ओजस्वी स्वर मे उनको आशा के प्रकाश की किरण दिखाते हैं ,  वे कहते हैं ---------

  • असफलता तो जीवन का सोंदर्य है ! यदि तुम हजार बार भी असफल हो  तो एक बार फिर सफल होने का प्रयत्न करो !   जीवन में घोर निराशा के अन्धकार  मे भी आशा की एक छोटी सी किरण के साथ अपने जीवन संग्राम मे   डट कर संघर्ष करो !

  • उनका ही जीवन सोंदर्यमय है ,  जिनके जीवन मे निरंतर संघर्ष है !  मानव जीवन का संग्राम एक ऐसा युद्ध है जिसे हथियार से नहीं जीता जा सकता ! वह तो मनुष्य के भीतर छुपी शक्ति को प्रकट कर के ही जीता जा सकता है !

  • यह ध्रुव सत्य है की शक्ति ही जीवन है ,  और दुर्बलता ही मृत्यु है !   दुर्बलता ही शारीरिक और मानसिक रूप से निरंतर तनाव का कारण है ! इसलिए मै कहता हूँ की दुर्बलों और कायरों की आवश्यकता नहीं है !  मुझे चाहिये ऐसे नवयुवक ,जिनके स्नायु लोहे के बने हों  और मांसपेशियां फौलाद की बनी हों तथा जिनकी वृत्ति लोभ और स्वार्थ की सीमाओं के बाहर हों ! 

  • ध्यान रहे जब मनुष्य के भीतर शक्ति का संचार होता है ,तो वह अपनी सभी असफलताओं को सफलता मे परिवर्तित कर लेता है !

  • आज मे तुम्हें भी अपने जीवन का मूल मंत्र बताता हूँ ,वह यह है की ----
प्रयत्न करते रहो , जब तुम्हें अपने चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार दिखता हो ,तब भी मै कहता हूँ की प्रयत्न करते रहो !  किसी भी परिस्थिति मे तुम हारो मत ,  बस प्रयत्न करते रहो !   तुम्हें तुम्हारा लक्ष्य जरूर मिलेगा ,  इसमें जरा भी संदेह नहीं !

  • उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत"      हे युवाओं ,उठो ! जागो ! लक्ष्य प्राप्ति तक रुको नहीं 

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

अहिंसक बनें ,कायर नहीं ...



                   अहिंसक बनें ,कायर नहीं ...


एक बार गाँधी जी की कुटिया मे पंडित जवाहर लाल नेहरु घुसे की अँधेरे मे वो उनकी लाठी  से टकरा गए ,  नेहरु जी को बड़ी खीज हुई ,  बोले --बापू ,आप तो अहिंसा के पुजारी हैं ,   फिर ये लाठी यहाँ क्यों रख छोड़ी है ?  गाँधी जी बोले --'तुम्हारे जैसे शरारती लड़कों को सीधा करने के लिए ! '
थोडा गंभीर होकर बापू पुनः बोले --अहिंसा का मतलब ये नहीं की हर किसी से पिटने के लिए तैयार हों ! अनीति के विरुद्ध आत्मरक्षा के साधन जुटाना भी नीति के अंतर्गत ही आते हैं !

दोस्तों अहिंसा और कायरता मे अंतर है !   विडम्बना है की हम आज कायरता को ही अहिंसा समझ बेठे हैं !   हमारे सामने अगर कोई किसी को मार रहा हो कोई किसी को  सरे आम धमका रहा हो ,  किसी अबला का चीर हरण सरे राह हो रहा हो ,किसी लड़की पर कोई अश्लील फब्तियां कस रहा हो,   हमारे सामने ही कोई हमारे घर को लूट रहा हो तो भी हमारा खून नहीं खोलता ,हम उसे देख कर आगे बढ जाते हैं !  फिर बाद मे हम बड़े फक्र से कहते हैं --भाई ,हम तो बड़े अहिंसावादी हैं ! पर माफ़ कीजिएगा ,ये अहिंसा नहीं कायरता है दोस्तों ! जिसे अहिंसा की आड़ मे हम छुपाना  चाहते हैं !  

अहिंसा है दुसरे को नाजायज तंग नहीं करना ,   लेकिन दुसरे के नाजायज तंग करने को सहना भी नहीं ! 

आज हम देशवासी उस कबूतर की तरह होते जा रहे हैं , जो बिल्ली को देख कर अपनी आँखें बंद कर लेता है और सोचता है की अब उसे बिल्ली नहीं देख रही है !  परिणामतः थोड़ी देर मे वो बिल्ली के पेट मे होता है !   हम युवा देशवासी भी आज भ्रष्टाचार,महंगाई ,अश्लीलता ,नेतिक मूल्यों का अवमूल्यन ,दादागिरी ,सामाजिकता की कमी ,संस्कारों की कमी रुपी बिल्ली को देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं ! 
हम सिर्फ अपने मे ही जी रहे हैं ! हमे लगता है की घर  तो पडोसी का जल रहा है हमे क्या ? हम तो अपने घर मे सुरक्षित है ! हम क्यों बाहर जा कर बिना बात लड़ाई मोल लें ?   कोई आश्चर्य नहीं दोस्तों   की पडोसी के घर  लगी आग की लपट कुछ समय बाद आपके घर  को भी घेर ले ! 
बहुत सह लिया दोस्तों अत्याचार को अनाचार को ,गन्दगी को !  देश हमारा है ,ये समाज हमारा है !  इसे साफ़ करने का दायित्व भी हमारा है !   आइये दोस्तों गाँधी जी और शास्त्री जी के जन्मदिन पर हम संकल्प करें की हम अहिंसक बनेंगे कायर नहीं !  अपने ऊपर होने वाले अत्याचार का डट कर मुकाबला करेंगे !    एक कहानी मुझे याद आ रही है ---

एक बार एक बहुत विशालकाय राक्षस था ,वो गाँव के आदमियों को खा जाता था ! वो जैसे ही गाँव मे आता था ,गाँव वाले डर कर छुप जाते थे ! उससे लड़ने की कोई हिम्मत नहीं करता था ,  आखिर वो बहुत लम्बा चोडा जो था !   एक दिन एक छोटा सा लेकिन बहादुर लड़का गाँव मे आया ! उसने ये सब देखा ! उसने गाँव वालों को इकठ्ठा किया और उनसे कहा की अगर हम सब कोशिश करें तो इस राक्षस को मार सकते हैं ! इस पर एक गाँव वाला डरते हुए बोला की---वो राक्षस इतना बड़ा है की हम उसे मार नहीं सकते !
इस पर उस बहादुर लड़के ने कहा ---नहीं दोस्तों वो राक्षस इतना बड़ा है की हम उसे मारें तो चूक नहीं सकते ! और अंत मे उन छोटे छोटे गाँव वालों ने उस बड़े से राक्षस को मार दिया !

आइये दोस्तों हम भी हमारे समाज मे फेले इन  भ्रष्टाचार,महंगाई ,अश्लीलता ,नेतिक मूल्यों का अवमूल्यन ,दादागिरी ,सामाजिकता की कमी ,संस्कारों की कमी रुपी राक्षसों को ख़तम कर दें ! झूठे अहिंसावादी होना छोडें,सच्चे कर्त्तव्यनिष्ठ और देशभक्त बनें !

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