may14

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

story End of whiteness in hindi



सफेदी का अंत 


दोस्तों,
आज एक अच्छी कहानी आपके लिए ……. 


सारे रंग बहुत उदास थे ! कल रात सफेदी ने आत्महत्या कर ली थी !   मरने के पहले सफ़ेद रंग ने suicide letter  छोड़ा था ,  जिसमे लिखा था !

सृष्टि के शुरुआत में जब ये धरती बनी ,बड़ी बेरंग और नीरस थी ! फिर प्रकृति  की देवी ने इसमें रंगों का संचार किया ! हमें पैदा किया ! और देखते ही देखते दुनिया रंग-बिरंगी  उल्लासित हो गई !  हम सात भाइयों को पृकृति ने अलग अलग गुण और योग्यताएँ दीं !   हरे को जहां खुशहाली  और हरियाली की नेमत दी !  वहीँ मुझे धवलता ,शुचिता ,शान्ति और पवित्रता का प्रतीक बनाया !  मैं बहुत खुश था ,अपने गुणों को लेकर ! बहुत फक्र था मुझे इन पर ! 

पर मेरे ये गुण ही मेरे लिए घातक बन गए ! मेरा पतन तो तब ही शुरू हो गया था जब नेताओं ने मुझे अपनाया था ! लेकिन तब मुझे सुकून था की चलो अधिकतर नेता अच्छे हैं ! लेकिन अब बिलकुल उल्टा हो गया है ! इनके काले कारनामे इतने बढ़ गए हैं ,कि अब मेरा दम सा घुटता है ! अब तो हर बेईमान ,भ्रष्ट ,पापी  मेरी आड़ में अपने आप को छुपाता  है !

मेरी घुटन और शर्म की परकाष्ठा तो तब हो गई ,जब कुछ लोग धर्म की आड़ में अधर्म करने लगे ! कुछ ढोंगी और कामी लोग मुझे पहन कर दिखावटी संत,सुधारक बन गए ! और मेरी आड़ में ऐसे ऐसे कुकर्म करने लगे कि बताने में भी घिन आती है ! 

मैं खुल कर साँस नहीं ले पा रहा हूँ ! मेरे होने का अर्थ ही ख़तम होता जा रहा है !  कहीं ऐसा न हो भविष्य में, कि लोग सफ़ेद कपडे पहनने वाले को शक की नजर से देखना शुरू कर दें ! इससे पहले कि ये बेईमान अपने कुकर्मों से और समाज अपनी शक की नजरों और तानों से मुझे मारें ,मैं खुद ही अपने अस्तित्व को खत्म कर रहा हूँ !

लेकिन जाते जाते अपने बाकी भाइयों को आगाह और सचेत करना चाहता हूँ कि सावधान रहना ! कहीं ऐसा न हो कि मेरे बाद ये ढोंगी, बेईमान , कुकर्मी , भ्रष्टाचारी  तुम्हें अपनी ढाल बना लें ! तुम्हारी आड़ में अपने कुकर्म करें !

खासतोर पर हरा और केसरिया रंग इन दोनों को सजग रहने की ज्यादा जरुरत है !  क्योंकि इनके गुण और इनका वजूद  और  इनकी सार्वभोमिकता भी खतरे में है ! 

हम सब रंग आये तो थे इस धरा को रंगीन करने ,लेकिन आज हम खुद ही बेरंग हो गए हैं ! ठीक है भाइयों चलता हूँ ,अपना ध्यान रखना !

तुम्हारा अभागा भाई……… 
       सफ़ेद 



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डॉ नीरज यादव ,
बारां 

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रविवार, 20 अक्तूबर 2013

3 kind of people in hindi





3 तरह के इंसान 



दोस्तों,

एक तालाब में 3 मछलियाँ रहती थीं !   एक बार कुछ मछुआरे वहां आये और आपस में बोले --  यहाँ पर बहुत सारी मछलियाँ दिखती हैं ,  हम कल यहाँ आकर जाल डालेंगे ! उनकी यह बात सुन कर पहली मछली बोली ,--अरे , हम यहीं ठीक हैं ,जरुरी नहीं के यह लोग कल आयें ही सही !  दूसरी बोली,-भलाई इसी में है कि हम आज रात को ही कहीं और चले जाएँ !   और वो तालाब से जुड़े दूसरे पोखर में चली गई ! तीसरी बोली कल जब ये लोग आयेंगे तभी परिस्थिति के अनुसार निर्णय ले लूंगी !

अगले दिन मछुआरे सच में ही आ गए ! जाल डाला गया !  पहली मछली पकड़ी गई ! तीसरी मछली ने तुरंत मरने का ढोंग किया ! मरा समझ कर मछुआरों ने उसे जाल से निकाल दिया और वो तुरंत उचक कर गहरे पानी में तैरती हुई दूर चली गई ! पहली वाली पकड़ी गई और भाग्य भरोसे रहने की अपनी आदत को कोसती रही ,बेचारी !


दोस्तों, वैसे तो संसार में अरबों मनुष्य हैं ,जिन्हें मूल रूप से हम इन मछलियों की तरह 3 categories  में बाँट सकते हैं !


1. दूरदर्शी (prudent)--  वे जो आने वाले कल की सोच कर काम करते हैं ! बादल देख कर घड़े नहीं फोड़ते ! भविष्य की भी सोचते हैं !  ऐसे लोग सारा पैसा एकसाथ ही खर्च नहीं करते ,कल के लिए भी कुछ बचा कर रखते हैं ! FD,RD,PPF,NSE,BANK DEPOSIT आदि में अपने पैसे को invest करते हैं ! अपने ऐशआराम के लिए सारा पैसा खर्च नहीं करते ! 
एक समझदार गिलहरी की तरह भरी गर्मी में अपने बिल में अनाज इकठ्ठा करते हैं ताकि बारिश के प्रतिकूल दिनों में भूखे  मरने की नोबत नहीं आये !

2. तुरंत निर्णय लेने वाले (Instant Decision Makers)--   वे व्यक्ति जो देश ,काल परिस्थिति ,के अनुसार तुरंत निर्णय लेते हैं ! सामने आते हुए तेज truck को देख अपने vehicle को तुरंत निर्णय लेकर दायें-बायें कर लेते हैं ,या अपनी  तेज speed को कम कर अपने को safe कर लेते हैं !

3. भाग्य भरोसे रहने वाले (fatalist)---  वो जो सामने से आती हुई बिल्ली को देख कर भी कबूतर की तरह अपनी आँखें बंद कर लेते है  , और सोचते हैं की अब बिल्ली मुझे नहीं देख रही ! बजाय उसके सामने से हटने के ,कर्म करने के , हाथ पर हाथ रख कर बैठ  जाते हैं , और थोड़ी देर बाद बिल्ली के पेट में होते हैं ,फिर वो अपनी मौत के लिए अपने भाग्य को दोष देते हैं !

हम भी इन्हीं तीन में से किसी एक category में आते हैं !  वैसे भी दोस्तों भाग्य भी उन्हीं का ही साथ देता है जो स्वयं श्रमशील हैं ,  कर्मठ हैं,मेहनती हैं ! है ना ? तो कोनसी category के इंसान कहलाय जाना पसंद करेंगे आप ?

डॉ नीरज…. 

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सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

Avoid these food combinations for health in hindi





                               ये साथ है खराब ....


दोस्तों,

आहार या food ऐसी चीज है जो आपको healthy भी रख सकती है और बीमार unhealthy भी कर सकती है ! क्या खाना चाहिए ,कब खाना चाहिए ,कैसे खाना चाहिए इस बारे में तो हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं !

आयुर्वेद में कई तरह के  विरुद्ध आहार का वर्णन है ! आज हम संयोग विरुद्ध आहार की बात करेंगे !     
अगर आम भाषा में कहूँ तो ,उदाहरण के लिए  , दूध अपने आप में healthy और body के लिए हितकर है ,मूली भी अपने आप में शरीर के लिए अच्छी है ! लेकिन अगर इन दोनों को साथ में या थोड़े gape में खाएँगे ,तो इनका ये combination हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह होगा !

अगर हम अधिकतर इसी तरह के contrary food का सेवन  रहेंगे ,तो हमें allergy, skin disease , विसर्प ,उन्माद , आध्मान , पाण्डु ,गले के रोग ,विसूचिका , कुष्ठ , ज्वर, जुकाम और दोषों की विषमता जैसे कई रोग हो सकते हैं ! क्योंकि इन विरुद्ध आहार के खाने से हमारा रक्त दूषित होता है ! और फिर ये रक्तजन्य बीमारियाँ और बाकी धातुओं को भी दूषित करता है !

कुछ चीजें nature से ही ,  ज्यादा खाने पर ,बार-बार खाने पर unhealthy होती हैं ,like--
उड़द की दाल ,खारा नमक , सरसों का साग ,गर्मी का मौसम , दही ,क्षार (soda ), माँस ,राब आदि 

संयोग विरुद्ध पदार्थ(contrary food) ---

दूध के साथ --
सभी खट्टे फल (नीबू ,नारंगी ,अनानास आदि )
कुलथी दाल , मटर ,मोठ ,बेलफल ,तोरई ,नमक ,तिलकुट ,जामुन, दही, तेल, मछली ,सत्तू ,बेंगन ,मूली ,कटहल ,उड़द दाल आदि नहीं खाने चाहिए !

दही -केला , शहद -घी , शहद-मछली , शहद-मूली ,शहद-गर्म पानी, खिचड़ी -खीर , छाछ-केला ,उड़द दाल-मूली आदि साथ में नहीं खाने चाहियें !

अगर हम इन छोटी पर काम की बातों का ध्यान रखेंगे तो हम कई तरह के रोगों से सहज ही बचे रहेंगे !

डॉ नीरज यादव 
MD ,(आयुर्वेद )


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सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

we are responsible




                                  हम पर निर्भर है



एक गाँव में एक सन्त रहा करते थे ! वो अपने पास आने वाले भक्तों ,व्यक्तियों के सवालों का सही जवाव दिया करते थे ! लोगों की उन पर बड़ी श्रद्धा थी ! गाँव के एक शरारती लड़के ने सोचा कि में इन महात्मा जी को गलत साबित कर के रहूँगा ! वो अपने हाथ की हथेली में एक छोटी सी चिड़िया छुपा कर ले गया ! अपने हाथ अपनी पीठ के पीछे कर उसने महात्मा जी से पूछा ---महाराज ,मेरे हाथ में क्या है ?   एक चिड़िया है ,महात्मा जी ने कहा 
वो चिड़िया जिन्दा है या मरी हुई ,लड़के ने पूछा ! वो ये सोच के गया था कि अगर महात्मा जी जिन्दा बताएँगे तो में पीठ के पीछे ही उस चिड़िया की गर्दन मरोड़ कर मार दूंगा , और अगर मरी हुई बताएँगे तो उसे जिन्दा आजाद कर दूंगा ! इस तरह उन महाराज को में गलत साबित कर दूंगा ! 
बताइये महाराज चिड़िया जिन्दा है या मरी है ? 
महात्मा जी मुस्कुराए ,बोले --ये तुम पर निर्भर है !

दोस्तों ,हम भी अपनी जिंदगी में जो बनना चाहते हैं ,पाना चाहते हैं ,करना चाहते हैं ,ये सब बहुत कुछ हम पर ही निर्भर है ! हम एक सफल इंसान बनेंगे या ऐसे ही जिंदगी बिता देंगे ,हम पर निर्भर है ! सब कुछ नहीं पर बहुत कुछ तो हम पर ही निर्भर है !

सुबह जल्दी उठने के लिए आप अलार्म लगाते हैं ,माँ bed-tea बनाकर ला देती हैं ! बहिन बार बार आवाज लगा कर उठाती  है ! छोटा भाई आपके मुंह पर पानी के छींटे डालता है ! कोशिश सब करते हैं आप को सुबह जल्दी उठाने की ,लेकिन जल्दी  उठना   या  नहीं उठना , finally तो आप पर ही निर्भर है ,है ना ?

मातापिता हमारे अच्छे भविष्य के लिए हमें अच्छी शिक्षा दिलाते हैं ,जरुरत की हर चीज ला कर देते हैं ! हमें motivate करते हैं ! दूसरे शहर में पढने भेजते हैं ! तपस्या करते हैं ! उनकी इस तपस्या को सफल करना या नहीं करना फिर हम पर ही निर्भर है !

मैं ये नहीं कहता की हर चीज 100 % हम पर ही निर्भर है ,कभी कभी कुछ परिस्थितियां होती हैं ,मजबूरियां होती हैं कि हम चाह कर भी कुछ  मन माफिक नहीं कर पाते ! 

हम लोगों में से अधिकतर मोटे नहीं होना चाहते ,छरहरे रहना चाहते हैं ! हम जीभ के 2 सेकंड के स्वाद के लिए ,बार बार ,unhealthy ,तला भुना ,junkfood /fastfood  खाएँगे ,या अपनी सेहत और स्वास्थ्य के लिए नियम संयम से खाएँगे ! ये भी हम पर ही निर्भर हैं !

एक गहरी नदी में कूदने पर हम हताश होकर डूब जाएंगे या लहरों से जूझ कर ,साहस के साथ तैर कर पार निकल जाएंगे ,हम पर ही निर्भर है !

last में…
इस post को पढ़कर आप अपने अमूल्य comments देंगे या नहीं ,ये भी आप पर ही निर्भर है 

डॉ नीरज 

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