may14

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

article on self management in hindi




काम नहीं ,कर्मयोग कीजिये.... 


दोस्तों,
एक बार एक मूर्तिकार था ! वो बहुत सुन्दर मूर्तियां बनाता था ! उसकी मूर्ति 10-20 रुपये में बिक जाती था ! उसने अपने बेटे को भी मूर्ति बनाना सिखाया ! उसका बेटा भी सुन्दर मूर्तियां बनाने लग गया ! एक समय बाद उसकी मूर्ति अपने पिता की  मूर्ति से भी महँगी बिकने लगी !
फिर भी उसका पिता रोज उसे मूर्ति में सुधार करने और पहले से भी अच्छी बनाने कि सीख देता ! एक दिन झल्ला कर उसने अपने पिता से कहा ,--पिताजी ,आपको पता है मेरी बनाई मूर्तियां आपसे महँगी बिकती हैं ! मैं अब बहुत अच्छी मूर्तियां बनाता  हूँ ! आप मुझे और सुधार करने की  ना कहें ! मैं अपनी मूर्तियों से संतुष्ट हूँ !
पिता अपना सर पकड़ कर बैठ गया ! बोला--- बेटा , अब तेरी तरक्की रुक गई ! मैं तो तुझे और आगे और सफल देखना चाहता था ! इसलिए तुझमे सुधार की  लौ जलाये रखने के लिए रोज टोकता था ! लेकिन अब तेरी तरक्की कि आग बुझ गई है ! तेरे  में ठहराव आ गया है ! बेटा ,जहाँ संतुष्टि हो जाती है ,वहाँ  फिर प्रगति नहीं होती !

दोस्तों, हम भी कुछ उस लड़के की  तरह ही हैं ! हमें लगता है कि जो जैसा चल रहा है ,ठीक है ! हम उसमे सुधार की, बदलाव की कोशिश नहीं करते ! अनमने भाव से बस करना है इसीलिए किसी तरह काम किये जाते हैं !

एक होता है काम , जो हम शरीर से करते हैं ,मज़बूरी में करते हैं ! हमें रोज-रोज office या school  जाना पसंद नहीं है ,लेकिन बेमन से जाते हैं !
जिसे करने में कोई उमंग ,उत्साह या ख़ुशी महसूस न हो ,जिसे फिर भी करना मज़बूरी हो ,वह काम है !

और कर्मयोग वो होता है ,जो न सिर्फ शरीर बल्कि पूरे मनोयोग से किया जाता है ! हम पुरे दिल से ,उत्साह से जिस काम को करते हैं ! और उसे करते हुए हमारा यह भाव रहता है कि इसे और ज्यादा अच्छे से कैसे किया जाए ! 
जिसे दिन भर करने के बावजूद भी हमें रत्ती भर भी थकान नहीं होती ! जिसे अगले दिन करने के लिए हम पुनः पूरी उमंग और उत्साह से जुट जाते हैं ,वो कर्म योग है !

किसी ने कहा भी है ,काम क्या है ? काम इबादत है ,काम पूजा है ! पूजा भी अगर काम समझ कर की  जाए तो व्यर्थ है ! जबकि सच्चे मन और उत्साह से किया गया काम ही असली पूजा के समान है !
जिस काम में मन ,दिल, और भाव न जुड़े हों ,तो वो कर्म तो वैसे ही निष्प्राण सा है ,है ना ?
तन्मयता,तत्परता ,उमंग,उत्साह से किया गया कर्म सिर्फ काम नहीं रह जाता ,कर्मयोग बन जाता है ! और आपकी मनः स्थिति का प्रभाव आपके कर्म पर साफ़ दिखता भी है !

एक कहानी है ,शायद आपने पढ़ी हो....... 
एक मंदिर बन रहा था ,3 कारीगर उसके लिए पत्थर तराश रहे थे ! किसी राहगीर ने पहले कारीगर से पूछा ,भाई  क्या कर रहे हो ? उस कारीगर ने झल्लाकर बेरुखी से कहा --दिखता नहीं है क्या ? पत्थर तोड़ रहा हूँ !
राहगीर ने दूसरे से पूछा तो उसने कहा --अपनी रोजी-रोटी कमा रहा हूँ ,काम कर रहा हूँ भाई !
तीसरे कारीगर के पास जब वो गया तो वो बड़ी मस्ती में कोई गाना गुनगुनाते हुए पत्थर तराश रहा था ! उससे पूछने पर वो बड़े उल्लासपूर्ण स्वर में बोला --भाई, प्रभु के लिए मंदिर बना रहा हूँ ! मुझे ख़ुशी है कि इस भव्य मंदिर में मेरा भी योगदान हो रह है !
काम तीनो कर रहे हैं ! पैसे भी तीनों लगभग एक समान ही कमा  रहे हैं ! लेकिन जो सच्चा कर्मयोगी है ,वो तीसरा वाला है ,जिसके लिए काम, काम नहीं  एक आनंद है ,मस्ती है ,पूजा है ,है ना ?

डॉ नीरज यादव 


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शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

Do Yoga, but carefully in hindi-part 2







योग करें ,पर सावधानी से.… 2 


दोस्तों ,पिछले article में हमने योग से जुडी कुछ सावधानियों के  बारे में जाना ,आइये थोड़ी और सावधानियों कि बात करते हैं -----

  • अगर पार्क या छत पर योग कर  रहे हैं तो हवा सीधी शरीर पर ना लगे ,तेज हवा में भी योग न करें !

  • दो आसनों के बीच 10 से 20 sec. का gap रखें, जिससे कि किये गए आसन का प्रभाव शरीर और मन पर हो सके !

  • प्राणायाम शुरू करते समय एकदम कपालभाति और भस्त्रिका करना शुरू न करें !

  • प्राणायाम एक जंगली हाथी कि तरह है अगर साध लिया तो आपका पालतू बन आपके अनगिनत काम कर देगा और बेकाबू हो गया तो महावत को ही मार डालेगा !

  • चाहे आसन हों या प्राणायाम ,सहज रूप से क्षमतानुसार ही करें ! झटके से ,जोर लगा कर ,जबरदस्ती से न करें ! शरीर को नुक्सान हो सकता है !

  • आसन,प्राणायाम करने के बाद 5 मिनट ही सही पर शवासन (relaxation) जरुर करें ! शरीर और मन के बढे हुये ताप को सहज अवस्था में आने दें !

  • एक  ख़ास बात ,अगर आप प्राणायाम का अभ्यास कर रहे हैं तो आपको दही खाना बंद कर देना चाहिए !

  • सरल आसनों से शुरू करके धीरे धीरे कठिन आसनो कि ओर बढ़ना चाहिए !

  • कुछ आसन सारे शरीर पर प्रभाव डालते हैं ,जबकि कुछ अंग विशेष के लिए लाभकारी होते हैं ,इसकी भी जानकारी हमें होनी चाहिए !

  • सप्ताह में कम से कम एक बार तिल या सरसों के तैल से शरीर कि मालिश जरुर करनी चाहिए ,ताकि शरीर में लोच (flexibility)पैदा हो !

  • सुबह का शांत,ऑक्सीजन से भरपूर  वातावरण , ब्रह्म मुहूर्त ,उगते सूर्य का दर्शन और रात कि भरपूर  नींद से उठा हमारा चेतन्य शरीर योग करने के लिए श्रेष्ठ है !

  • लेकिन अगर किसी कारणवश सुबह योग नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं ,शाम को कीजिये ,पर lunch या कुछ खाने के 4 घंटे बाद !

  • नियमितता भी जरुरी है ! 2 दिन योग किया फिर 10 दिन आराम ,फिर 2-4 दिन योग किया फिर 8-10 दिन का gap . अगर आप इस तरह योग करने के आदी हैं तो योग ना ही करे तो बेहतर ,क्योंकि इस तरीके से किया गया योग फायदे कि जगह नुक्सान ज्यादा दे सकता है !

  • योग ठोस धरातल या हरी घास पर ही करें !

  • योग के लिए योग चटाई ,एक नेपकिन ,पानी की  बोतल और साथ में कोई meditation music हो तो कहना ही क्या ,music earphone से नहीं सुनना है ,यह ध्यान रखें !

  • नेपकिन पसीना और नाक पोंछने के लिए use करें ! और योग के बीच में घूँट दो घूँट पानी पीने के लिए ,ना कि बोतल भर एक साथ पियें !

  • कुछ आसन  होते हैं जो रोग विशेष में नहीं किये जाते ! for ex.  highBP , heart diseases, spondylitis आदि में शीर्षासन ,हलासन ,सर्वांगासन ,तीव्र कपालभाति ,अंतरकुम्भक नहीं करते हैं !इन बातों का भी ध्यान रखें !

  • आगे झुकने वाले आसनो के पश्चात पीछे झुकने वाले आसनो का क्रम रखें !

इन सब बातों को पढ़ कर अब आप कहेंगे कि जब इतनी सारी  बातें ध्यान रखनी हैं,ऐसे करना है वैसे नहीं करना ,इतने प्रपंचों में कौन पड़े ! इससे तो अच्छा है कि योग करे ही नहीं ! खायें पीयें मस्त रहे , है ना ?

लेकिन दोस्तों यह तो वही बात हुई कि खाने के लिए कौन बाजार से सब्जी लाये,काटे ,छोंके ,गैस चालू करे , कढ़ाई रखे , नमक के अनुपात का ध्यान रखे ! इससे तो अच्छा है कि खाना ही नहीं खाया जाए !
लेकिन ऐसा नहीं होता ! हम बहुत रच-पच कर खाना बनाते हैं ! खाना खाना नहीं छोड़ते तो फिर योग करना क्यों छोड़ें ?

सावधानी से करें, समझ कर करें ,सहजता से करें ,पर करें जरुर योग ! कहा भी है ----

"करें योग ,रहे निरोग "     



डॉ नीरज यादव 


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शनिवार, 9 नवंबर 2013

Do Yoga, but carefully in hindi




योग करें ,पर सावधानी से…… 



दोस्तों,

"करें योग,रहे निरोग "   यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी !  आजकल योग universal या कहें सर्व सुलभ हो गया है ! जहाँ देखिये वहीँ आपको योग होता हुआ दिख जाएगा ! सुबह-शाम TV पर बाबाजी योग सिखाते मिल जाएंगे ! book stores पर योग related किताबों के ढेर मिल जाएंगे ! आपके शहर के पार्क में भी योग करते लोगों के दर्शन आपको सहज ही हो जाएंगे !

कहने का आशय ,आज योग बहुत ही सुलभ हो गया है ! हर दूसरा आदमी योगाचार्य या yog guru बन गया है ! और अपना ज्ञान (?) दूसरों को देने में लगा है ! है ना ?

हम भी वातावरण से प्रभावित होकर ,TV में देख कर या कोई book पढ़कर योग करना शुरू कर देते हैं ! लेकिन होता यह है कि कभी कभी योग से बजाय फायदा होने के ,शरीर को नुक्सान भी हो सकता है ! योग अगर सही तरीके से किया जाए तो body के     लिए beneficial है अन्यथा गलत तरीके से किया गया योग शरीर को हानि भी पहुँचा सकता है !

आज कुछ सावधानियों की बातें ,योग शुरू करने से पहले………… 

योग में सावधानियों से पहले in short योग कि बात ,ठीक है ना ?
मैं ज्यादा विस्तार से इस बारे में बात नहीं करूँगा क्योंकि आप इस बारे में पढ़ चुके होंगे !

महर्षि पातञ्जलि ने अष्टांग योग का वर्णन किया है ,वे हैं --
1 यम  2 नियम 3 आसन  4 प्राणायाम  5 प्रत्याहार   6 धारणा  7 ध्यान  और 8 समाधि 

लेकिन आजकल हम सिर्फ आसन और प्राणायाम को ही योग समझ बेठे हैं !
योग केवल शरीर को ही साधने का विज्ञान नहीं है किसी नट कि तरह ! अपितु योग शरीर के साथ मन और अंतर्रात्मा को भी साधने कि कला है !
जीवात्मा को परमात्मा से मिलाने कि सीढ़ी है अष्टांग योग ! लेकिन ये बहुत गूढ़ विषय है ,जिस पर चर्चा फिर कभी !

आसन क्या हैं ?
"स्थिरसुखमासनम् " शरीर कि विभिन्न मुद्रायें जो अंग विशेष पर दवाव डालती हैं ,वो आसन कहलाती हैं !
वैसे तो 84 आसनो का वर्णन ज्यादा मिलता है और उनमे भी 32 आसन ही प्रमुख और ज्यादा जरुरी हैं ,शरीर सौष्ठव और स्वास्थ्य के लिए ,जिनकी चर्चा आगामी articles में !

प्राणायाम क्या है ?
प्राण+आयाम 
प्राण है जीवनीय  शक्ति  और आयाम है उसका नियमन ! जीवनीय शक्ति के नियमन को ही प्राणायाम कहा है !
जीवनीय शक्ति का  नियमन होता है श्वास-प्रश्वास inhale and exhale के द्वारा ! आम भाषा में कहें तो सही तरीके से सांस लेने और छोड़ने कि क्रिया ही प्राणायाम है !
अब वापस मुद्दे पर आते हैं !

योग शुरू करने से पहले सावधानियां ---

  • अगर आप जिंदगी में पहली बार योग करना शुरू कर रहे हैं तो धीरे धीरे ,कम समय के लिए ,सरल आसनो के साथ शुरू कीजिये ! शरीर को तानना ,उसमे हल्का खिंचाव पैदा करना ,अपने को warmup करना ,इन क्रियाओं को करने के बाद ही योग शुरू कीजिये !

  • शुरुआत सूक्ष्म व्यायामों से कीजिये !

  • योग करने से पहले अपनी capacity ,age ,शारीरिक अवस्था ,कोई बिमारी (high bp ,diabetes , heart problem , spondylitis ,slip disc ,obesity आदि ) का इतिहास ,आदि बातों का भी ध्यान रखिये !
होता  यह है कि TV पर बाबाजी या किसी trained yog guru को योग करते देख हम भी तुरंत दण्ड पैलने लग जाते हैं ! या सूर्य नमस्कार करना शुरू कर देते हैं ! है ना ?
फिर होता यह है कि हमारी किसी muscle में खिंचाव आ जाता है ! या टखने में मोच आ जाती है ,घुटने दुखने लगते हैं  और योग का अध्याय शुरू होने के पहले ही ख़तम हो जाता है !

  • योग में कभी भी अति न करें ! जबरदस्ती से किया गया योग आपकी सेहत को नुक्सान भी पहुंचा सकता है ! 
एक ऊंट और बकरी दोनों साथ साथ जा रहे थे ! रस्ते में नदी आयी ! ऊंट ने कहा ,पहले में जाता हूँ ,वो पानी में चल कर दूसरी पार निकल गया ! बकरी में चिल्ला कर पूछा ,-कितना पानी है ? ऊंट चिल्लाया ,आजाओ ,कमर तक ही है !
बकरी ने कहा भाई ,तुम्हारी तो कमर तक ही है ,लेकिन मैं तो पूरी ही डूब जाऊंगी ! मैं अपनी औकात और capacity क्यों भूलूँ ?

कहा भी है ---
देखा-देखी करे योग ,छीजे काया बढे रोग !

  • योग एक जीवन शेली है न कि कोई task जिसे fix time में पूरा करना है और काम ख़तम ! नहीं दोस्तों ,जैसे हम रोज श्वास लेते हैं ,रोज खाना खाते हैं ,रोज सोते हैं ! उसी तरह रोज थोडा सा योग भी हमारी life style का हिस्सा होना चाहिए !

  • योग हमेशा खाली पेट किया जाता है !

  • योग का सबसे अच्छा समय प्रातः काल होता है ,सुबह नित्य कर्म से निवृत होकर योग करना चाहिए !

  • योग करने के तुरंत बाद कुछ खाना नहीं चाहिए !

  • योग करते ही नहाने भी नहीं जाना चाहिए ! 

  • योग हमेशा साफ़ ,खुले और स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए !

दोस्तों, आज इतना ही ,बाकी अगले article में ,  अपने comments का 'योग' artical के साथ जरुर बनाये रखिएगा ! 

to be continued....

डॉ नीरज यादव ,
MD (Ayurved )

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रविवार, 3 नवंबर 2013

happy diwali to all of you.....





  Achhibatein 
      के 
     सभी दीप्तिमान 
     प्रकाशमान
      पाठकों 
     को
      दीपावली  
     की 
      प्रकाशमयी 
           शुभकामनायें … 

      डॉ नीरज 

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