may14

शनिवार, 14 सितंबर 2013

बढायें अपनी जीवनीय शक्ति


                                     बढायें अपनी जीवनीय शक्ति 


जिस प्रकार किसी कंप्यूटर का एंटीवायरस जितना सशक्त होता है ,उतना ही वो वायरस से महफूज और सही रहता है !   उसी प्रकार हमारे शरीर का एंटीवायरस यानी हमारी जीवनीय शक्ति जितनी सशक्त होगी ,हमारा शरीर वातावरण के जीवाणुओं और संक्रमणों से उतना ही सुरक्षित रहेगा !   वातावरण के ये  जीवाणु हमारी सांस ,खान-पान और  संपर्क के द्वारा हमारे शरीर में प्रविष्ट होते रहते हैं !  लेकिन हमारी मजबूत जीवनीय शक्ति के कारण बेअसर हो जाते हैं ! लेकिन जिन व्यक्तियों की जीवनीय शक्ति कमजोर होती है ,वे इन संक्रमणों या जीवाणुओं से आक्रांत हो कर बीमार हो जाते हैं ! जरा सी ठंडी हवा उनके लिए जुकाम और बुखार का सबब बन जाती है !

आयुर्वेद में जीवनीय शक्ति को बल भी कहा गया है ,बल 3 प्रकार का माना है ---

1. सहज बल -- जन्म से ही जो बल हमारे शरीर में होता है ! जिस प्रकार के माता-पिता से (रज-वीर्य से) शरीर की उत्पत्ति होती है ,वैसा ही संतान का भी बल होता है !

2. कालज बल -- यह बल समय के अनुसार स्वयं उत्पन्न होता है ! हेमन्त ऋतु (दिसम्बर-जनवरी)में शरीर में बल श्रेष्ठ होता है ,वहीँ ग्रीष्म ,वर्षा (जून-सितम्बर ) में शरीर में दुर्बलता ज्यादा रहती है ! हम बिमारियों से जल्दी आक्रांत हो जाते हैं ! मोसमी बीमारियाँ भी इन्ही महीनो में ज्यादा होती हैं !

अवस्था के अनुसार बचपन में बल की वृद्धि होती है ,युवावस्था में बल श्रेष्ट होता है  वहीँ वृद्धावस्था आने पर बल क्रमश कम होने लगता है !

3. युक्ति कृत बल -- जिस बल की प्राप्ति हम विभिन्न आहार -विहार की योजना के द्वारा कर सकते हैं !
हम सहज और कालज  बल ,जो की प्रकृति ने हमें दिया है  ,उसे नहीं बदल सकते ! लेकिन योजना के द्वारा कमजोर जीवनीय शक्ति को दूर कर शरीर में बल और शक्ति का संचार कर सकते हैं !



जीवनीय शक्ति बढ़ाने के उपाय --

  • हमेशा षड रस युक्त आहार का ही सेवन करें ! ये 6 रस हैं मधुर (मीठा ),अम्ल (खट्टा -नीबू,नारंगी ),लवण (नमकीन ),कटु (तीखा -हरी मिर्च ),तिक्त (कड़वा -करेला ) और कषाय (कसेला -पालक)!

  • रोटी-सब्जी के अलावा दूध ,दही  ,शुद्ध घी ,फल ,जूस ,अंकुरित अन्न आदि का भी सेवन करें !

  • ब्रह्मचर्य का पालन ,समय पर सही नींद और जरुरत पर आराम  हमारी जीवनीय शक्ति को बढ़ाने में सहायक हैं !

  • सुबह की शुद्ध प्राणवायु का सेवन ,प्राणायाम ,आसन-व्यायाम  हमारे शरीर में प्राण -वायु की बढ़ोतरी करते हैं !

  • जंक-फ़ूड ,फास्ट-फ़ूड ,चाय-काफी का अति सेवन ,शराब ,धूम्रपान ,चिंता ,तनाव ,भय आलस आपके बल को दुर्बल कर देते हैं !

  • तला हुआ आहार (चिप्स,कचोरी ,समोसा, भठूरे नमकीन,पूरी ,पकोड़ी ) और सफ़ेद आहार (मेदा ,पेस्ट्री ,ब्रेड,पिज्जा ,भटूरा आदि ) का सेवन कम से कम करें !

  • 3 से 4 लीटर पानी रोज पियें ! बहुत सारा  पानी एक साथ नहीं पियें ! ये आपके शारीर में कफ को बढ़ा देगा ! थोडा-थोडा पानी दिन में कई बार पियें ! खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पियें ,घूंट दो घूंट ले सकते हैं !

  • सोयाबीन,अलसी,आंवला ,नारंगी,गोभी ,अखरोट, बादाम, सेव ,दालचीनी आदि हमारी जीवनीय  शक्ति की वृद्धि में सहायक होते हैं !

  • अंतिम पर महत्वपूर्ण ,हमेशा गहरी सांस लें ! सुबह 5-10 मिनट प्राणायाम जरुर करें ! बिना कुम्भक के पूरक और रेचक करें ! बाकी दिन में जब भी समय मिले 2 या 3 मिनट तक गहरी सांस सहज रूप से लेने का अभ्यास करें ! गहराई तक ली गई प्राण वायु शरीर में प्राण तत्व को सहज ही बढ़ा देती है !  और प्राण तत्व की बढ़ोतरी से ही जीवनीय  शक्ति  सबल बनती है !

डॉ नीरज यादव 
MD(आयुर्वेद),
बारां 

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