may14

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

सफल जिंदगी की अनमोल सलाह .







              सफल जिंदगी की अनमोल सलाह ...

दोस्तों ,

college के दिनों की बात है ! first year की class का पहला दिन था ! subject wise teachers class में आ रहे थे ! कुछ ने पहले हम सब students का introduction लिया ,कुछ ने आते ही सीधा अपना subject पढाया और period पूरा होते ही क्लास से बाहर चले गए ! अगला period science का था ! bell बजते ही एक सोम्य व्यक्तित्व के सर क्लास में आये ! आते ही मुस्कुरा कर हम सब students को देखा ,हाथ में चॉक उठाई और blackboard पर कुछ लिखने से पहले हम सबको इंगित करते हुए कहा ,--dear students में आज इस पहली क्लास में तुम्हें जीवन का एक अनमोल सूत्र बताने जा रहा हूँ ! हमारी जिंदगी में कुछ लोग , कुछ कथन ,कुछ घटनाएं ,कुछ वाक्य ऐसे होते हैं जो हमारे जीवन की दिशा को निर्धारित कर देते हैं ! कुछ quotation हमारे जीवन की परेशानी रुपी बारिश में उस छाते की तरह होते हैं जो उन परेशानियों , तनावों की बारिश से हमें बचाती हैं ! अगर आप मानें तो यह सबक अच्छी जिंदगी का एक सबक है अन्यथा board पर लिखी हुयी 2 लाइन मात्र हैं ! अब ये आप लोगों पर है की आप इसे किस रूप में लेते हैं !

इसके बाद उन्होंने मुड़कर blackboard पर मोटे-मोटे अक्षरों में 2 लाइन लिखीं ! उन्होंने वो लाइन blackboard पर लिखी थीं ..., और students का तो पता नहीं लेकिन वो quotation  उसी समय मेरे मन में अंकित हो गईं ! 

दोस्तों उस quotation  के पहले में बताना चाहता हूँ की में भी उस समय आम लड़के की तरह मस्त,लापरवाह किस्म का इंसान था ! "करना ही तो है ,कर लेंगे ,ऐसी भी क्या जल्दी है " अपने ही ख्यालों में मगन रहना ,पढाई -लिखाई पर ज्यादा ध्यान ना देना ,काम और पढाई को कल पर टालना जैसी आदतें मुझमे सहज रूप से थीं !

मैं  हर साल session के शुरू में सोचता था की ,अरे अभी तो july शुरू हुआ ही है ,अभी से ही पढ़ कर क्या करना है !  पूरा साल पड़ा है पढने को .....! फिर  मुट्ठी से  रेत  की तरह  थोडा समय फिसल जाता था और सामने दिवाली आ जाती थी ! अक्टूबर ,नवम्बर का महिना होता था वो ! लेकिन तब भी मन सोचता था की अरे अभी जब सारी दुनिया लक्ष्मी जी की पूजा कर रही है तो में अभी सरस्वती जी की उपासना क्यों करूँ ?  समय फिर थोडा आगे बह जाता था !  दिसम्बर की कडकडाती ठण्ड आ जाती थी !  तब विवेक (मेरी अंतरात्मा  ) कहता था भैया ! अब तो थोडा serious हो जा पढने के लिए , अगर अभी भी नहीं पढ़ेगा तो कब पढ़ेगा ?  लेकिन तभी हमारे मन महाशय अकड़ कर कहते थे - अरे!  ऐसी ठण्ड में भी पढाई होती है क्या ?  रजाई से मुँह  तो बाहर निकाला  नहीं जा रहा और तुम (विवेक) इसे जल्दी उठ कर पढने के लिए कह रहे हो , क्या ज्यादती कर रहे हो !  थोड़ी सर्दी कम होने दो फिर पढ़ लेगा ! और महाशय फिर वापस रजाई में ,नींद के आगोश में .......!

लेकिन समय फिर अपने पथ पर सतत अग्रसर !  तभी फिर एक दिन झटका लगता जब final exam का timetable आ जाता ! पता पड़ता ,अरे केवल 1-2 महीने ही बचे हैं exam को और syllabus याद करना पूरा ही बाकी है !  तब फिर शुरु होता .....आपातकाल !
मुह पर पानी के छींटे डाल  कर जबरदस्ती जल्दी उठना  , उंघते हुए पढना ,रात में देर तक जाग कर पढना !  जिसमे भी पढना कम और चाय ज्यादा पीना !  रात को 10-11 बजे पढने बेठना और 12-1 बजते ही मन महाशय का गर्व से कहना , भई क्या बात है ! रात के 1 बजे तक पढ़ रहा है .......good .  चल अब सोते हैं ,आखिर सुबह भी तो जल्दी उठना है !   पढाई के चक्कर में कभी कभी बुखार भी आ जाना ! भगवान से यह वादा करना ,---  प्रभु ! इस साल ढंग से पास करा दे ,अगली क्लास में शुरू से ही पढाई करूँगा ,पक्का , god promise....
राम-राम करते हुए पेपर देना और किसी तरह ठीक-ठाक पास हो जाना !   जनाब पास हुए ! रात गई ,बात गई ! फिर वही जुलाई फिर वही कहानी .........!
दोस्तों हंसिये मत , हम मे से अधिकतर students का यही फसाना रहता है ,है ना ?

खेर ,तो मैं  बात कर रहा था उस सूत्र ,cotation की ,जिसने मुझे प्रेरणा दी ,मुझे जिंदगी को तरीके से जीना सिखाया ! 
सर ने बोर्ड पर लिखा था ..........


"शान्ति के समय ही इतना पसीना बहा लो ,की युद्ध के समय तुम्हें खून बहाने की जरुरत ना पड़े "


सच में लाख रुपये की बात है ! यह सूत्र केवल students के लिए ही नहीं बल्कि जिंदगी के हर पहलू और क्षेत्र में लागू होता है !

एक student के लिए इस cotation का अर्थ हो सकता है की शान्ति के समय अर्थात पूरे साल आराम से इतना पढ़ लो की युद्ध के (परीक्षा के ) समय खून बहाने की अर्थात रात रात भर जाग कर पढने की ,घबराहट से, जल्दीबाजी से ,हड़बड़ी से पढने की जरुरत ही ना पड़े ! है ना ?

उसी तरह हमें train से कुछ समय बाद कहीं जाना है ,तो क्यों ना शांति के समय महिना पहले सहज रूप से ,आराम से अपना reservation करवा कर रख लिया जाए ,बजाए युद्ध काल में अर्थात जाने के 1 दिन पहले तत्काल की लम्बी लाइन में सुबह से लगा जाए और फिर ये भी पक्का नहीं की conform seat मिलेगी भी या नहीं ! अंतिम क्षण तक घबराहट .........!

कहीं सफ़र पर जाना है ,तो क्यों ना 1 सप्ताह पहले या 2-3 दिन पहले (शान्ति के समय) सामान की पूरी list बना ली जाए ,जरुरी ले जाने वाला सामान एक जगह इकठ्ठा कर लिया जाए ,ताकि कोई जरुरी चीज ना छूट जाए ! बजाए सफ़र में  जाने वाले दिन ( युद्धकाल ) जल्दीबाजी और घबराहट में सामान pack करना ,भागते भागते train पकड़ना और train रवाना होने पर ध्यान आना ,अरे ! ticket तो घर ही भूल आये भईया ..............!

घर की महिलाओं का भी शाम को खाने के समय तुरंत पूछना की खाने में क्या बनाना है ? फिर जल्दीबाजी में जो सब्जी सामने दिखे उसे बना देना ! बजाए इसके दिन में ही decide कर लिया जाए की आज lunch ,dinner में क्या बनेगा ! समय से उसके लिए तैयारी कर ली जाए और पूरे मनोयोग ,आराम और दिल से स्वादिष्ट ,लजीज खाना बनाया जाए ! है ना ?

ज्यादा उदाहरण से artical और ज्यादा लम्बा हो जाएगा ! लेकिन ये cotation हमें जिंदगी में हड़बड़ी ,जल्दीबाजी , घबराहट आदि से सहज रूप से ही छुटकारा दिला  देता है ! 

मुझे उम्मीद है की जैसे इस cotation ने मेरे जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है ,उसी तरह ये आप सब के जीवन में भी सकारात्मकता और सहजता का मार्ग प्रशस्त करेगा !

डॉ नीरज यादव 



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