may14

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

अहिंसक बनें ,कायर नहीं ...



                   अहिंसक बनें ,कायर नहीं ...


एक बार गाँधी जी की कुटिया मे पंडित जवाहर लाल नेहरु घुसे की अँधेरे मे वो उनकी लाठी  से टकरा गए ,  नेहरु जी को बड़ी खीज हुई ,  बोले --बापू ,आप तो अहिंसा के पुजारी हैं ,   फिर ये लाठी यहाँ क्यों रख छोड़ी है ?  गाँधी जी बोले --'तुम्हारे जैसे शरारती लड़कों को सीधा करने के लिए ! '
थोडा गंभीर होकर बापू पुनः बोले --अहिंसा का मतलब ये नहीं की हर किसी से पिटने के लिए तैयार हों ! अनीति के विरुद्ध आत्मरक्षा के साधन जुटाना भी नीति के अंतर्गत ही आते हैं !

दोस्तों अहिंसा और कायरता मे अंतर है !   विडम्बना है की हम आज कायरता को ही अहिंसा समझ बेठे हैं !   हमारे सामने अगर कोई किसी को मार रहा हो कोई किसी को  सरे आम धमका रहा हो ,  किसी अबला का चीर हरण सरे राह हो रहा हो ,किसी लड़की पर कोई अश्लील फब्तियां कस रहा हो,   हमारे सामने ही कोई हमारे घर को लूट रहा हो तो भी हमारा खून नहीं खोलता ,हम उसे देख कर आगे बढ जाते हैं !  फिर बाद मे हम बड़े फक्र से कहते हैं --भाई ,हम तो बड़े अहिंसावादी हैं ! पर माफ़ कीजिएगा ,ये अहिंसा नहीं कायरता है दोस्तों ! जिसे अहिंसा की आड़ मे हम छुपाना  चाहते हैं !  

अहिंसा है दुसरे को नाजायज तंग नहीं करना ,   लेकिन दुसरे के नाजायज तंग करने को सहना भी नहीं ! 

आज हम देशवासी उस कबूतर की तरह होते जा रहे हैं , जो बिल्ली को देख कर अपनी आँखें बंद कर लेता है और सोचता है की अब उसे बिल्ली नहीं देख रही है !  परिणामतः थोड़ी देर मे वो बिल्ली के पेट मे होता है !   हम युवा देशवासी भी आज भ्रष्टाचार,महंगाई ,अश्लीलता ,नेतिक मूल्यों का अवमूल्यन ,दादागिरी ,सामाजिकता की कमी ,संस्कारों की कमी रुपी बिल्ली को देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं ! 
हम सिर्फ अपने मे ही जी रहे हैं ! हमे लगता है की घर  तो पडोसी का जल रहा है हमे क्या ? हम तो अपने घर मे सुरक्षित है ! हम क्यों बाहर जा कर बिना बात लड़ाई मोल लें ?   कोई आश्चर्य नहीं दोस्तों   की पडोसी के घर  लगी आग की लपट कुछ समय बाद आपके घर  को भी घेर ले ! 
बहुत सह लिया दोस्तों अत्याचार को अनाचार को ,गन्दगी को !  देश हमारा है ,ये समाज हमारा है !  इसे साफ़ करने का दायित्व भी हमारा है !   आइये दोस्तों गाँधी जी और शास्त्री जी के जन्मदिन पर हम संकल्प करें की हम अहिंसक बनेंगे कायर नहीं !  अपने ऊपर होने वाले अत्याचार का डट कर मुकाबला करेंगे !    एक कहानी मुझे याद आ रही है ---

एक बार एक बहुत विशालकाय राक्षस था ,वो गाँव के आदमियों को खा जाता था ! वो जैसे ही गाँव मे आता था ,गाँव वाले डर कर छुप जाते थे ! उससे लड़ने की कोई हिम्मत नहीं करता था ,  आखिर वो बहुत लम्बा चोडा जो था !   एक दिन एक छोटा सा लेकिन बहादुर लड़का गाँव मे आया ! उसने ये सब देखा ! उसने गाँव वालों को इकठ्ठा किया और उनसे कहा की अगर हम सब कोशिश करें तो इस राक्षस को मार सकते हैं ! इस पर एक गाँव वाला डरते हुए बोला की---वो राक्षस इतना बड़ा है की हम उसे मार नहीं सकते !
इस पर उस बहादुर लड़के ने कहा ---नहीं दोस्तों वो राक्षस इतना बड़ा है की हम उसे मारें तो चूक नहीं सकते ! और अंत मे उन छोटे छोटे गाँव वालों ने उस बड़े से राक्षस को मार दिया !

आइये दोस्तों हम भी हमारे समाज मे फेले इन  भ्रष्टाचार,महंगाई ,अश्लीलता ,नेतिक मूल्यों का अवमूल्यन ,दादागिरी ,सामाजिकता की कमी ,संस्कारों की कमी रुपी राक्षसों को ख़तम कर दें ! झूठे अहिंसावादी होना छोडें,सच्चे कर्त्तव्यनिष्ठ और देशभक्त बनें !

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