may14

शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

Quality और Quantity दोनों ही जरुरी है…








Quality और  Quantity दोनों ही जरुरी है……

दोस्तों,

आप एक restaurant में खाना खाने जाते हैं ,वहां आप waiter से कहते हैं कि इस restaurant का जो सबसे quality और famous ,tasty dish है उसे ले आओ ! थोड़ी देर के इन्तजार के बाद वो एक बहुत ही कलात्मक प्लेट में सजा कर एक dish लाता है ! आप चम्मच उठाते हैं ,उस dish को मुँह में डालते हैं ……लाजवाव ,अदभुद स्वाद ,लजीज ,ऐसा स्वादिष्ट पकवान तो आपने आज तक कभी खाया ही नहीं ,आपका रोम-रोम प्रफुल्लित हो जाता है ! आप तुरंत चम्मच को दूसरी बार प्लेट में डालते हैं ,दुबारा खाने के लिए ,लेकिन ये क्या वहां तो कुछ नहीं है ! waiter सिर्फ एक चम्मच भर ही वो dish लाया था ! आप झल्लाते हैं ,कहते हैं ,ये क्या मजाक है ! वो कहता है सर ये हमारे restaurant की सबसे best और सबसे tasty dish है इसीलिए हम इसे सिर्फ एक चम्मच ही अपने ग्राहकों को खिलाते हैं ! आखिर ये हमारी सबसे quality dish है और किसी भी चीज में quality हो तो वो कम मात्रा में ही मिलती है ,है  ना ? आप झल्ला कर कहते हैं ,क्या बकवास है ,और उठकर restaurant से बाहर आ जाते हैं ! क्या आप वहां दुबारा जाएंगे ?

चलिए दूसरा सीन ,आप कहीं छोटी जगह पर काम से गए हैं ,बहुत देर हो गई है ,आपको बहुत तेज भूख भी लगने लगी है ! लेकिन आपको वहां कोई भी अच्छा होटल या restaurant नहीं मिलता है ! आप बहुत ढूंढ़ते हैं तब एक ठीक ठाक सा ढाबा आपको मिलता है ! आप जा कर waiter से पूछते हैं ,तुरन्त खाने में क्या तैयार है ? जल्दी ले आओ बहुत भूख लगी है ! वो कान खुजा कर कहता है दाल और चावल !
आप मन मार कर order करते हैं ! खाना बिलकुल testy नहीं है ,लेकिन भूख के कारण आप उसे खा ही लेते हैं ,और आपका पेट भर भी जाता है ! क्या आप वहां शौक से दुबारा जाएंगे ?

दोस्तों, जिंदगी में quality और quantity दोनों जरुरी हैं ! हम हर जगह सिर्फ qualitative होकर या quantitative होकर नहीं चल सकते ! जिंदगी में कुछ जगह होती हैं जहाँ quality का महत्त्व है और कई जगहों पर quantity मायने रखती है !

for ex.  आपके office में आपकी value आपके वहां quantity time बिताने से नहीं बल्कि वहां पर अपना quality time देने और अपनी योग्यता सिद्ध करने से है !

आप नियम से रोज 10 से 5 office जायें ,पूरा समय भी रुकें ,अपना quantity time पूरा दें लेकिन दिन भर वहां करें कुछ नहीं ,बस गप्प लगायें ,चाय पियें ,ऐसे ही time pass करें और शाम को ठीक 5 बजे ही  office से निकलें ! तो आप उस office में ज्यादा नहीं टिक पाएंगे ! office, workplace जैसी जगहों पर quantity time से ज्यादा quality time का महत्त्व है !

वहीँ दूसरी ओर आप अपने घर पर अपने बच्चों से अपने spouse से बहुत प्यार तो करें लेकिन घडी देख कर ! 2 -5 दिन में उनसे 10-15 मिनट बहुत अच्छे से मिलें,बोलें ,पूरा  अपना  quality time उनको दें ,फिर 10-12 दिन गायब !अब आप कहेंगे ,अरे भाई मैं परिवार को अपना quality time तो दे ही रहा हूँ ना ?

नहीं दोस्तों, ये भी गलत है ! आपके परिवार को आपके quality time के साथ साथ आपके quantity time की भी जरुरत है ! वे आपका ज्यादा से ज्यादा सानिध्य चाहते हैं !

कहीं ऐसा तो नहीं की आप घर में समय तो बिताते हों लेकिन अपने काम में ही लगे रहते हों ,अपने परिवार से अच्छे से बोल भी नहीं पाते हों ,एक आत्मिक संवाद की कमी रहती हो ! आपके बच्चे आपकी गोद में आने और आपके गले लिपटने के लिए तड़प तो नहीं रहे ? तो ऐसा quantity time भी किसी काम का नहीं !
या आप उनसे प्यार तो बहुत करते हों ,उनका  बहुत ध्यान भी रखते हों ,पर चाह कर भी उनके साथ बहुत समय नहीं बिता पाते हों ?

दोस्तों, परिवार को या आपके ऑफिस को आपके quality time और quantity time दोनों की ही जरुरत है !

एक सफल और सुखी इंसान वो ही है ,जो देश,काल,परिस्थिति के अनुसार अपने quality time और quantity time में सामंजस्य बिठा कर चले !

खाना स्वादिष्ट भी हो और भर पेट भी तभी जिंदगी का काम चलता है ,है ना ?

डॉ नीरज यादव

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