may14

सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

we are responsible




                                  हम पर निर्भर है



एक गाँव में एक सन्त रहा करते थे ! वो अपने पास आने वाले भक्तों ,व्यक्तियों के सवालों का सही जवाव दिया करते थे ! लोगों की उन पर बड़ी श्रद्धा थी ! गाँव के एक शरारती लड़के ने सोचा कि में इन महात्मा जी को गलत साबित कर के रहूँगा ! वो अपने हाथ की हथेली में एक छोटी सी चिड़िया छुपा कर ले गया ! अपने हाथ अपनी पीठ के पीछे कर उसने महात्मा जी से पूछा ---महाराज ,मेरे हाथ में क्या है ?   एक चिड़िया है ,महात्मा जी ने कहा 
वो चिड़िया जिन्दा है या मरी हुई ,लड़के ने पूछा ! वो ये सोच के गया था कि अगर महात्मा जी जिन्दा बताएँगे तो में पीठ के पीछे ही उस चिड़िया की गर्दन मरोड़ कर मार दूंगा , और अगर मरी हुई बताएँगे तो उसे जिन्दा आजाद कर दूंगा ! इस तरह उन महाराज को में गलत साबित कर दूंगा ! 
बताइये महाराज चिड़िया जिन्दा है या मरी है ? 
महात्मा जी मुस्कुराए ,बोले --ये तुम पर निर्भर है !

दोस्तों ,हम भी अपनी जिंदगी में जो बनना चाहते हैं ,पाना चाहते हैं ,करना चाहते हैं ,ये सब बहुत कुछ हम पर ही निर्भर है ! हम एक सफल इंसान बनेंगे या ऐसे ही जिंदगी बिता देंगे ,हम पर निर्भर है ! सब कुछ नहीं पर बहुत कुछ तो हम पर ही निर्भर है !

सुबह जल्दी उठने के लिए आप अलार्म लगाते हैं ,माँ bed-tea बनाकर ला देती हैं ! बहिन बार बार आवाज लगा कर उठाती  है ! छोटा भाई आपके मुंह पर पानी के छींटे डालता है ! कोशिश सब करते हैं आप को सुबह जल्दी उठाने की ,लेकिन जल्दी  उठना   या  नहीं उठना , finally तो आप पर ही निर्भर है ,है ना ?

मातापिता हमारे अच्छे भविष्य के लिए हमें अच्छी शिक्षा दिलाते हैं ,जरुरत की हर चीज ला कर देते हैं ! हमें motivate करते हैं ! दूसरे शहर में पढने भेजते हैं ! तपस्या करते हैं ! उनकी इस तपस्या को सफल करना या नहीं करना फिर हम पर ही निर्भर है !

मैं ये नहीं कहता की हर चीज 100 % हम पर ही निर्भर है ,कभी कभी कुछ परिस्थितियां होती हैं ,मजबूरियां होती हैं कि हम चाह कर भी कुछ  मन माफिक नहीं कर पाते ! 

हम लोगों में से अधिकतर मोटे नहीं होना चाहते ,छरहरे रहना चाहते हैं ! हम जीभ के 2 सेकंड के स्वाद के लिए ,बार बार ,unhealthy ,तला भुना ,junkfood /fastfood  खाएँगे ,या अपनी सेहत और स्वास्थ्य के लिए नियम संयम से खाएँगे ! ये भी हम पर ही निर्भर हैं !

एक गहरी नदी में कूदने पर हम हताश होकर डूब जाएंगे या लहरों से जूझ कर ,साहस के साथ तैर कर पार निकल जाएंगे ,हम पर ही निर्भर है !

last में…
इस post को पढ़कर आप अपने अमूल्य comments देंगे या नहीं ,ये भी आप पर ही निर्भर है 

डॉ नीरज 

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4 टिप्‍पणियां:

  1. सादर प्रणाम |
    बहुत मोटिवेशनल |
    हम जो भी बनेंगे हमारी वर्तमान सोंच से निर्धारित होंगा |
    अतीत यहाँ तक ले आया हैं तो भविष्य वहाँ तक ले जायेंगा ,जहा के सपने हम आज देख रहे हैं |
    डॉ साहेब ,बहुत ही प्रेरक पप्रस्तुति |आभार आपका |
    डॉ अजय |

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  2. फेसबुक पर तो शेयर कर देते सर जी पोस्ट तो मैने पढ़ ली हैं. अच्छी है पर please आगे से शेयर जरूर करें.

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दोस्त, आपके अमूल्य comment के लिए आपका शुक्रिया ,आपकी राय मेरे लिए मायने रखती है !