"माँ" तो आखिर माँ होती है .....
विशाल मरुथल ,सगन अगन
अग्नि सी बरसाता गगन
या तेज हवा ,घनघोर घटा
जग प्रलय सा बरसता सावन
मावस का वो गहन अँधियारा
दूर तक न दिखे उजियारा
पास आती वो शेरों की दहाड़
महसूस होती साँपों की फुफकार
खतरे असुरक्षा से भरा ये जीवन
पग पग पर संग्राम है हर क्षण
मुझे पता है ये सब संकट
फिर भी इनसे मै बच जाऊँगा
पा के तुम्हारी ममता की पतवार
जीवन भंवर से मैं तर जाऊँगा
भले कठिन हो कितना जीवन
चाहे हो कठिनाईयाँ अपार
निकालेगा इस भंवर से सकुशल
"माँ " मुझे तेरी ममता और प्यार
लगे बच्चे को गर चोट जरा सी
उसकी पीड़ा माँ को होती है
जन्मदात्री हो या जगजननी
माँ तो आखिर माँ होती है !
डॉ नीरज .......
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ब्लॉग बुलेटिन के माँ दिवस विशेषांक माँ संवेदना है - वन्दे-मातरम् - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंmaa ka darja iswar se bhi uncha hota hai
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (13-05-2013) के माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चा मंच 1243 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
मां को याद ना करें,उसे स्वीकार करें,क्योंकि याद उसे किया जाता है जो भूला भी जासके.
जवाब देंहटाएंWoman is the mother of kings
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