कैसे बचें कार्य के तनाव से.....
दोस्तों,
कल्पना कीजिये आप एक बहुत ही प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं, माइकल एंजेलो की तरह ,जो संगमरमर पत्थर कि शिला को तराश कर अदभुद और सुन्दर मूर्तियों का निर्माण करता है !
अब एक सवाल आपसे ,मान लीजिये आपको संगमरमर की एक बड़ी मूर्ति बनाने का order मिलता है ,जिसके लिए उतनी बड़ी संगमरमर की शिला या पत्थर आप के पास है या आप खरीद लेते हैं ! अब आप क्या करेंगे ? कैसे मूर्ति बनायेंगे ??
या तो आप उस पत्थर के सामने बैठेंगे ,दिमाग में मूर्ति का खाका (design ) सोचेंगे ,उसे पत्थर पर उकेरेंगे ,फिर छैनी और हथोड़े से तराश कर उस पत्थर को एक सुन्दर मूर्ति का रूप देंगे ! और ये सब काम आप बड़ी सहजता ,धीरज और कल्पना से करेंगे ,बिना किसी दवाब और तनाव के ,है ना ?
या फिर आप सबसे पहले उस पत्थर की शिला को अपने सिर पर रख कर बाँध लेंगे ,फिर खाते,सोते , नहाते ,उठते-बैठते हर समय उसे अपने सिर पर रखेंगे और फिर अपने हाथ ऊपर कर मूर्ति बनाने की कोशिश करेंगे ?
दोस्तों हम सब जानते हैं कि पहला तरीका ही सही और व्यावहारिक है ! लेकिन विडम्बना है कि हम सब अधिकतर अपनी जिंदगी के रोजमर्रा के काम,परेशानियों ,जिम्मेदारियों की शिला को सामने रख कर सोचने की बजाय अपने सिर पर बाँध लेते हैं ,है ना ?
workplace का कोई काम हो या कोई target पूरा करना हो ,कोई planning करनी हो ,तो बजाय सहज रूप से उसके बारे में सोचने और plan बनाने के हम एक बोझ की तरह सबसे पहले उसे अपने सिर पर हावी कर लेते हैं !
अरे ! इतना काम करना है ! इतने से समय में करना है ! कैसे plan बनेगा ! कैसे output मिलेगा ! मैं कैसे इसे पूरा कर पाऊंगा ! कर पाऊंगा भी या नहीं ......................... .
हम इन सारी बातों को तनाव और परेशानियों की शिला का रूप देकर अपने सर पर लाद लेते हैं ! फिर उसका हल सोचना और उसे पूरा करना तो दूर ,हम उसके तनाव तले ही इतने दब जाते हैं ,कि मानसिक और शारीरिक रूप से बेदम और बेबस ,हताश हो जाते हैं !
हम इंसानों में से अधिकतर लोगों को कोई भी नई जिम्मेदारी मिलने पर हमारी पहली प्रतिक्रिया अधिकतर यही होती है कि .........अरे ! कैसे करूँगा ? कब करूँगा ? मुझे तो ढंग से करना आता भी नहीं है ? मैंने तो ये काम पहले कभी किया ही नहीं है ?.....
हम उस अवसर को तनाव और दवाब का रूप देकर उसे अपने ऊपर हावी कर लेते हैं !
कई लोगों को मैंने देखा है जो काम करने के दवाब तले ही दबे जा रहे हैं ! और अपनी शक्ति को कुंद कर रहे हैं ,बिना कुछ किये ,सिर्फ सोच सोच कर ही !
कार्य के तनाव से बचने के उपाय ----
आप सबसे पहले किसी भी काम(task) या जिम्मेदारी को तनाव और बोझ मानना छोड़िये !
फिर इसे अपने सर पर लादना बंद कीजिये !
काम रूपी चट्टान के सामने बेठिये ,दिमाग में design बनाइये की कहाँ सिर बनेगा ,कहाँ पर पैर बनाना सही रहेगा ! फिर उस design को उस चट्टान पर उकेरिये (planning ) बनाइये और फिर जुट जाइये मूर्ति तराशने में ( अपना काम पूरा करने में )
अगर आप काम को तनाव मानेंगे तो यह आपको धीरे धीरे मार डालेगा ,और अगर आप काम को अवसर मानेंगे तो यह अपने पंखों पर बिठा कर आपको नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा !
दोस्तों मान लीजिये आपके सामने काम का ढेर पड़ा है जो कि आने वाले कुछ दिन, महीने या साल में आपको करना है ! अब या तो उस गठरी को सिर पर लाद लीजिये और अपनी गर्दन तथा सर को दर्द से बेहाल कर लीजिये या फिर उस ढेर में से एक-एक काम उठाइये और निबटाते जाइये ,है ना ?
दोस्तों जब हम किसी भी काम या जिम्मेदारी को तनाव या चिन्ता के रूप में मन पर हावी कर लेते हैं तो यह चिन्ता बुरी तरह मन को थका देती है ,उसे अक्षम सा कर देती है ! और ये तो आप जानते ही होंगे कि मन और शरीर का समवाय (mutual ) सम्बन्ध होता है ! तो फिर ऐसे में हम जो मन में महसूस करते हैं ,कुछ समय बाद वो शरीर पर लागू होने लगता है !
चिन्ता से पहले हमारा मन थकता है फिर हमारा शरीर भी थक जाता है ! और हम बिना कुछ किये ही अपने आप को थक हुआ ,निढाल सा महसूस करते हैं ,है ना ?
तो इसीलिए चिंता ,तनाव छोडिये ,काम का पत्थर सम्हालिए और जुट जाइये एक बढ़िया मूर्ति बनाने में ( अच्छे से काम निबटाने में .........)
डॉ नीरज यादव
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again same comment.the way expressing thoughts with proper sort of examples makes ur article different.
जवाब देंहटाएंVery good article on this commen problem! अगर हम किसी समस्या को समस्या न मान कर उसमे आनंद खोजे तो तनाव नाम की कोई भी चीज नही रहेगी. माइकल इतने अच्छे कलाकार थे कि उन ने वेटिकन सिटी के पुलिस वालों के 16वी सदी में uniform का नमूना बनाया जो आज भी वेटिकन सिटी में पहना जाता है.
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