दोस्तों पिछले artical क्या है आपके जीवन का लक्ष्य ? मे हमने जीवन के लक्ष्य के बारे मे जाना ! दोस्तों जीवन का लक्ष्य decide करना एक बात है और उसे सही तरीके से achieve करना बिलकुल दूसरी बात है ! हम जिंदगी मे goals तो decide कर लेते हैं पर उन्हें पाने का तरीका सही नहीं होता है कई बार जाने अनजाने हम कुछ कमियां अपने लक्ष्य को पाने के प्रयास मे छोड़ देते हैं जिससे हम लक्ष्य के पास पहुँच कर भी उसे प्राप्त नहीं कर पाते !
आइये जानते है वो बिंदु जिन्हें अपना कर हम अपने लक्ष्य को आसानी से और पूरी तरह से पा सकते हैं ------
कैसे करें लक्ष्य निर्धारण ------
- विवेक से ,सोच समझ कर अपना लक्ष्य चुनें ----ऐसा अधिकतर होता है की किसी और की सफलता से प्रभावित होकर हम उस जैसा बनने का निर्णय लेते हैं जो की सही नहीं है ! हमे अपनी क्षमता ,स्थिति ,परिस्थिति और रूचि के हिसाब से लक्ष्य चुनना चाहिये ! एक ऊँट का लक्ष्य तेज गहरी नदी को खड़े खड़े पार करना हो सकता है, लेकिन वही लक्ष्य एक हिरन या लोमड़ी का नहीं हो सकता ! है ना?
- लक्ष्य पर चट्टान की तरह अडिग रहे---- main लक्ष्य वो होता है जो एक बार ठान लिया तो फिर ठान लिया ! उसे पाने से दुनिया की कोई भी ताकत या प्रलोभन आपको विचलित नहीं कर सकती ! लेकिन अफ़सोस हम मे से अधिकतर लोगों के लक्ष्य चट्टान की तरह दृढ (rigid) नहीं , रूई की तरह ढुलमुल होते हैं , जो किसी अन्य व्यक्ति के प्रभाव की जरा सी हवा से अपना स्थान बदलते रहते हैं! ऐसा अधिकतर होता है कि किसी हीरो को देख कर हम हीरो बनना चाहते हैं एक्टिंग करने की कोशिश करते हैं ! तभी किसी पहलवान को पदक जीतते देख हम उससे impress हो जाते हैं और फिर एक्टिंग सीखना छोड़ दंड पेलने (exercise करने) पर ध्यान देने लगते हैं ! किसी दिन किसी IAS select student का interview देख , उसके रुतबे से प्रभावित हो कसरत छोड़ किताब मे अपना ध्यान लगाने लगते हैं ! फिर कुछ दिनों बाद कोई नया आकर्षण हमे आकर्षित कर लेता है ! होता है ना दोस्तों? अधिकतर ऐसा ही होता है ! जमीन से पानी पाना अगर लक्ष्य है तो खुदाई तो एक ही जगह और गहराई से ही करनी पड़ेगी ना की छोटे छोटे गडडे बहुत सारी जगह ! है ना
- ब्रह्मास्त्र ना चलायें -----ऐसा अधिकतर होता है की या तो हम जिंदगी मे कोई लक्ष्य निर्धारित ही नहीं करते ! और जब करते हैं तो इतने सारे goals एक साथ निर्धारित कर लेते हैं की prectically वे पूरे ही नहीं हो सकते ! for example----हम बहुत आराम से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं! मौज-मस्ती ,घूमना -फिरना, खाना -सोना , कोई फिक्र नहीं कोई लक्ष्य नहीं ,बस पानी मे बहते हुए तिनके की तरह रीढ़ विहीन जिए जा रहे हैं ! लेकिन किसी दिन माँ -बाप की फटकार या किसी motivational article को पढ़ कर या कोई मूवी देख कर अचानक आपका आत्मविवेक जागता है ! आपका पोरुष आपको ललकारता है ! दूध मे आये उफान की तरह आप एकदम से उठ खड़े होते हैं और फिर आप संकल्प करते हैं की मुझे जिंदगी मे बहुत कुछ पाना है ! (अब जरा ध्यान दें ) फिर आप एक कॉपी पेन लेकर धीर गंभीर मुद्रा मे अपनी टेबल पर बैठते हैं बहुत सोचते हैं और कागज पर अपने लक्ष्यों को लिखना शुरू कर देते हैं ! कहाँ तो आपकी जिंदगी का एक भी लक्ष्य नहीं होता और कहाँ आप लक्ष्यों की पूरी रामायण तैयार कर लेते हैं ! आप अपने लक्ष्यों की लिस्ट बनाते हैं--------
- कल से सुबह जल्दी उठना
- रोज exercise करना
- हर काम regular और time से पूरा करना
- english spoken ( ये हम में से अधिकतर लोगों की ख्वाहिश होती है, और ख्वाहिश ही बनी रह जाती है ) सीखना
- dance class join करना
- गिटार बजाना सीखना
- gym जाना ,बॉडी बनाना(for boys)-ये बात अलग है की gym की फीस तो हम पूरे month की देते हैं , पर जाते अधिकतर 4 या 5 दिन ही हैं , है ना वैसे ये सब पर लागू नहीं होता है पर अधिकतर पर तो होता ही है !
- cookery classes join करना (for girls)
- पढाई मे टॉप आना
- daily का टाइम -टेबल बनाना ..............................
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हंसिये मत दोस्तों , आप और मै हम सब अधिकतर ये ही करते हैं , है ना?
या तो हम बिलकुल ही ढीले ढाले रहते हैं या फिर एकदम से अपने आप को कसना शुरू कर देते हैं !
ये तो आप सब भी जानते है की जीवन एक वीणा या सितार की तरह होता है , इसके तारों को अगर ढीला छोड़ दिया जाए तो सुर ही नहीं निकलेंगे और जरूरत से ज्यादा कस देंगे तो तार ही टूट जाएँगे !
अब आप बड़े उमंग से अपने इन सब लक्ष्यों को पाने का प्रयास करने लगते हैं लेकिन 4-6-10 दिन करने के बाद आपका मनोबल कम होने लगता है ,दूध का उफान ठंडा पड़ने लगता है और पुनः आप मेढक की तरह महीनो के लिए अपने लक्ष्य से दूर आलस्य और लापरवाही की शीत निद्रा मे चले जाते हैं , है ना?
फिर कभी कोई आपको झकझोरता है और फिर वही दूध का उफान ! और ये ही क्रम चलता रहता है और ये सोने जागने मे ही बिना कुछ ख़ास हासिल किये जिंदगी निकल जाती है ! इस बारे मे जरा सोचिएगा ?
- लक्ष्य प्राप्ति हेतु निरंतरता बनाये रखें----goal को पाने के लिए मेहनत से ज्यादा जरूरी है निरंतरता (continuity ) का होना ! नियमितता और निरंतरता (regularity and continuity) ये दो पहिये हैं ,जिन पर चढ़ कर आप अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं ! अगर आपका लक्ष्य बॉडी-बिल्डर बनना है तो daily नियम से सही खाना खुराक और exercise करना ही पड़ेगा ! ऐसा बिलकुल नहीं चलेगा की 2 दिन तो खूब दूध बादाम ,केला exercise और फिर 8 -10 दिन laziness. फिर वापस दूध बादाम ! ऐसे लक्ष्य नहीं पाए जा सकते ! धीरे धीरे ही सही पर निरंतरता से अगर काम करेंगे तो ही अच्छे से पूरा होगा ! कहा भी है ------- slow and steady wins the race .
- सिस्टम से चलें ------ दोस्तों हम लक्ष्य तो बना लेते हैं , वे हमे दिखते भी हैं पर उन तक पहुँचने का हमारा तरीका सही नहीं होता , इसलिए भी हम अपने लक्ष्यों को नहीं प्राप्त कर पाते ! आपने कचरा बीनने वाले बच्चे देखे होंगे , वे कचरा बीनते समय बीच ढेर पर दिखती कोई काम की चीज पर सीधे हाथ नहीं मारते ! वे system से एक कोने से कचरा बीनना शुरू करते हैं और धीरे धीरे अपने उस लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं ! सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ेगे तो छत पर पहुँच ही जाएंगे !
- लक्ष्य हमेशा अपनी नजर, अपनी सोच के सामने रखें -------- दोस्तों एक कहावत है --out of sight,out of mind . नजर से दूर तो मन से दूर है ना? ऐसा अधिकतर होता है की जो इंसान , वस्तु पाठ ,विचार हमारी नजर से दूर होता है उसे धीरे धीरे हम भूलने लगते हैं ! आपकी नजर और आपके दिमाग मे हमेशा वो लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिये जो आप पाना चाहते हैं !
आप ऐसे जानवर पर निशाना नहीं लगा सकते जिसे आप देख ही ना पा रहे हों !
जिस प्रकार नदी या समुद्र मे हजारों जहाज बहते जाते हैं और किनारे पर उन्हें बांधे रखने के लिए लंगर डालना पड़ता है ! उसी तरह आपके मन और दिमाग से अनेक विचार लगातार निकलते रहते हैं , उन विचारो की बाढ़ मे आपका लक्ष्य रुपी विचार भी ना बह जाए , इसके लिए जरूरी है की आप उस विचार को लंगर डाल कर अपने मन के किनारे पर बाँध लें ताकि वो आपको लगातार दिखता रहे !
एक कागज़ पर अपना लक्ष्य लिखें और अपने बिस्तर के पास या mirror के पास चिपका लें ! दिन मे जितनी बार आप उस कागज को देखेंगे आप उस लक्ष्य को पाने के लिए motivate होंगे !
दोस्तों ये आर्टिकल लिखा मैंने है पर मुझे लगता है की ये लागू हम सब पर ही होता है ! है ना ?
अगर आप मुझसे सहमत हों तब भी और असहमत हों तब भी अपने कमेंट्स से जरूर वाकिफ कराइएगा!
Thanks
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The words you say seems to be experiential, not just something to be told. It just seems that somebody is saying not with the bookish knowledge but actually you have lived it or shared it..
जवाब देंहटाएंThanks for sharing with us... :)
bahut achha
जवाब देंहटाएंसुनकर बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंसुनकर अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi baate kahi. . . .shayad inhe mai pehle he pd leta..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंnice.....bahut acchi baate h..
जवाब देंहटाएंbahut accha laga sunke....
जवाब देंहटाएंWhatever you wrote here is like,I am going through now. After reading this post, from today or Now I will overcome or reduce my weakness. Because, now I know what are the my weaknesses.
जवाब देंहटाएंthanks lot to u for continuity and regularity
जवाब देंहटाएंthanks sir...................................!
जवाब देंहटाएं100% such kaha aapne meri akhen khol di sir thank u verry much
जवाब देंहटाएंनीरज जी आपके द्वारा बताई गयी बाते बहुत ही यथार्थ है| आप ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियां अब शब्दनगरी पर भी प्रकाशित कर सकते हैं| जिससे यह और भी पाठकों तक पहुंच सके|
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