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बुधवार, 18 जुलाई 2012

कैसे पायें जिंदगी की परेशानियों से छुटकारा


दोस्तों ,जिंदगी इक संघर्ष है, जिसमे तनाव है समस्याए है और परेशानिया हैं. है ना ?   जिस तरह दूध में मिठास और पानी में शीतलता होती है हम उसे अलग नहीं कर सकते !  उसी तरह जीवन में रोजमर्रा के दवाव ,और परेशानिया भी हमारी जिंदगी का इक हिस्सा हैं ,!अब ये हमारे ऊपर है ,की हम इस को किस नजरिये से देखते हैं, दोस्तों ,   हमारा नजरिया ही है, जो किसी राइ को पहाड़ और पहाड़ को राइ बना देता है,  है ना!


दोस्तों  सोचिये ,यदि हम अपना वाहन (bike,car) चलाते समय सड़क पर हर दूसरे मिनट ब्रेक लगायें ,ये देख कर की सामने कोई पोलीथिन है, कागज का टुकड़ा है ,या सड़क कांच की तरह साफ़ नहीं है, तो हमें हमारे गंतव्य तक पहुंचना बड़ा मुश्किल हो जाएगा, और वाहन का performence भी  प्रभाव्हित होगा !      हमें ब्रेक लगाने की जरुरत वहा ज्यादा होती है, जहा सामने कोई गड्डा हो, पत्थर हो ,कोई  जानवर सामने आ जाये , या कोई अन्य व्यवधान हो, है ना!        दोस्तों जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है, यदि हम जिंदगी की हर छोटी से छोटी परेशानी पर परेशां होने लगे, तनाव लेने लगे, जहा जरूरी नहीं है वहा भी अपनी  शारीरिक और मानसिक  उर्जा लगाने लगे तो हमारा वाहन(शरीर) भी समय से पहले ही ख़राब हो जाएगा,और सफ़र भी(जिंदगी का) बड़ा मुश्किल हो जाएगा !        जिस तरह हम सड़क पर सम्हाल कर चलते  हैं, इक निश्चित रफ़्तार से चलते है,  कागज, पोलीथिन इत्यादि को ignore कर के चलते हैं,जहा जरूरी है वहा ब्रेक लगाते हैं, उसी तरह जिंदगी में भी यदि हम व्यवस्थित  चले, छोटी छोटी परेशानियों को ignore करें  जो जरुरी परेशानिया हैं ,रूककर उनका हल ढूंढे !तो जिंदगी कही ज्यादा smooth होगी!


  जिंदगी में ७० से ८० %परेशानिया तो क्षणिक और मानसिक ज्यादा होती हैं  वो समय के प्रवाह में कब विलीन हो जाती हैं  पताही नहीं चलता! दोस्तों एसा कई बार होता है (आपके साथ भी होता होगा )की आज जिस परेशानी को हम हमारा वजूद हिलाने की अनुमति देते हैं, इक दिन बाद उस परेशानी का ही वजूद नहीं रहता,    अब ये हमारे ऊपर  है की हम उन आभासी परेशानियों से द्वन्द युद्ध कर उन्हें अपने पर हावी होने दे, या समय की तेज नदी में उन्हें अपने नजरो के सामने से सहज रूप से निकल जाने दे, क्योंकि समय के अनवरत प्रवाह में वो परेशानी कब ,कहाँ  ग़ुम हो जाएगी हमें पता ही नहीं चलेगा !

 इक बर्फ का बड़ा सा टुकड़ा (परेशानी), अब ये हमारे ऊपर है की हम उसपर अपना सर मार कर खुद को लहू लुहान कर लें ,या थोडा सब्र के साथ उसको पिघल कर पानी बन जाने दें ! लेकिन हां जो परेशानिया वाकई में महत्वपूर्ण हैं हमें शांत मन और स्थिर दिमाग से उनका हल निकालना चाहिये और जिंदगी के सफ़र में आगे बढ़ना  चाहिये !अब ये आपके ऊपर है की छोटी छोटी चीटियों और मक्खियों को मारने मे आप अपनी बन्दुक की कारतूस खर्च करना चाहते है या शेर और हाथी को काबू में करने मे !           डॉ. नीरज 

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