दिल ना उम्मीद तो नहीं ..........
दिल ना उम्मीद तो नहीं ,नाकाम ही तो है !
लम्बी है गम की शाम ,मगर शाम ही तो है !!
शुक्रिया दोस्तों ,
इस अहसास के लिए की अभी तो शुरुआत ही है ! मंजिल अभी बहुत दूर है !
मुझे लगा था की शायद आपके और मेरे बीच एक रिश्ता बना है ,जो मुझे achhibatein लिखने के लिए प्रेरित करता है ! पिछली पोस्ट पर आपसे संवाद के सहयोग की अपेक्षा की थी लेकिन यहाँ मुझे थोड़ी मायूसी हुई
! मुझे लगा था की आपकी तरफ से शायद उस पहेली के ऐसे जवाब मुझे मिलेंगे जो शायद उस कहानीकार को भी पता ना हों !
शायद अभी मेरा प्यार एक तरफ़ा ही है ! लेकिन बहुत जल्दी ही ये दो तरफ़ा होने वाला है ..............आपकी तरफ से भी ,है ना ?
तो दोस्तों उस पहेली के किस्से को यहीं ख़तम करते हैं और उसकी 3 अनमोल शिक्षा को भी ! क्योंकि मुझे लगता है की शायद आप उन्हें जानना नहीं चाहते हैं ! इसलिए वो बात फिर कभी !
अपने दो तरफ़ा प्यार के लिए मेरा अगला कदम ...........अगली post ...
शुक्रिया
डॉ नीरज