दोस्तों , एक इंसान की जिंदगी का सफ़र उसके अपनी मां के पेट मे आने के समय से ही शुरू हो जाता है ! या हम कहें की संस्कारों का बीजारोपण माँ के गर्भ से ही होने लगता है, जिस तरह अभिमन्यु ने माँ के गर्भ मे ही चक्रव्यूह तोड़ने का संस्कार पा लिया था !
हमारे पैदा होने से लेकर बाकी सारी जिंदगी के सफ़र मे कुछ बातें , कुछ द्रश्य , कुछ विचार , कोई सीख , किसी की सलाह ,ऐसी अनेक चीज हैं जो हम पर जाने अनजाने अपनी अमिट छाप छोड़ जाती हैं , वो अनजाने ही हमारे संस्कार बन जाते हैं हम उन्हें ताउम्र नहीं भूल पाते , है ना ?
ऐसे ही बहुत साल पहले जब मै बहुत छोटा था , मै किसी पेपर की xerox करवाने किसी शॉप पर गया था , उस समय एक रूपया आज के 10 रुपये के बराबर होता था
! वहां xerox के पैसे देते समय मेरी जेब से एक रूपए का सिक्का निकल कर जमीन पर गिर गया और टेबल के नीचे चला गया ! मैंने एक नजर देखा , नहीं दिखा तो मैंने सोचा जाने दो , मुझे बड़ा अजीब सा लगा , एक रूपए को ढूंढने के लिए जमीन पर झुकना !
मै xerox के पैसे देकर आने लगा तभी वहां एक सज्जन बैठे थे , वो city के माने हुए सेठ थे , वो इस परिस्थिति और मेरी मनस्थिति दोनों को देख रहे थे !
मुझे अभी भी वो शब्द याद हैं , जब मुझे उन्होंने पास बुला कर कहा , 'बेटा , नीचे झुको और अपना रुपया ढुंढो , रूपए की क़द्र करना सीखो, जब स्वयं कमाओगे तब जानोगे की एक रुपया कैसे कमाया जाता है ! और एक रूपये से ही एक लाख और करोड़ रुपये बनते हैं ,जो इंसान एक रूपए की क़द्र नहीं करता ,वो एक करोड़ रूपए की भी क़द्र नहीं कर सकता !
उन सज्जन के वो शब्द एक संस्कार की तरह मेरे स्मृति मे अमिट रूप से save हो गए ! आज इतने वर्ष बाद भी वो बात याद रहती है ! सही भी है जो इंसान पैसे की क़द्र नहीं करता एक समय बाद पैसा भी उसकी क़द्र नहीं करता ! और दोस्तों बूंद बूंद करके तो सागर भी खाली हो जाते हैं ! है ना ?
और हम स्वयं पैसे की कीमत समझेंगे , तभी अपने बच्चों को बचत कि अहमियत और पैसे की कीमत समझा पाएँगे !
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