दोस्तों ,
आप सभी Achhibatein के पाठकों और प्रियजनों को ...
दीपावली की अनेकों शुभ कामनाएं .............
दुआ है ...
रौशनी का ये पर्व जीवन में ....
उजाला ,खुशियाँ ,उमंग ,सुख ,समृद्धि और संतोष लेकर आये .........
आइये ,
अँधेरे की इस रात में हम भी दीपक सा एक संकल्प करें ...........अँधेरा मिटाने का , रौशनी को फेलाने का !
अपनी दुर्बलताओं ,डर ,भय ,तनाव के अन्धकार को अपने विवेक ,विश्वास और पुरुषार्थ के प्रकाश से मिटाने का !
दीपक का संकल्प
ढल चुका था सूरज ,अन्धकार था छाया !
तम ने अपना रूप बढ़ा ,अपने को सर्वत्र फेलाया !
हर तरफ घनघोर कालिमा ,कर को कर ना सूझ रहा था !
कौन लड़े इस घनघोर तिमिर से ,हर कोई यह सोच रहा था !
सबने अपने पाँव थे खींचे ,सबने अपने को सिमटाया !
उस तम से लड़ने को किन्तु ,कोई भी आगे ना आया !
अट्टहास कर हंसा फिर तिमिर ,प्रकाश को उसने था दबाया !
सर्वत्र छा गई फिर कालिमा .हर तरफ अँधेरा था छाया !
उसी समय कहीं दूर धरा पर , छोटा सा एक दीप जला !
दूर करने तम की सत्ता को , तम से फिर वो सतत लड़ा !
दूर हुआ अन्धकार धरा से ,दूर हुई तम की कालिमा !
छाया फिर नव प्रकाश धरा पर ,फैल गई सर्वत्र लालिमा !
जब तक उदित ना होगा सूरज ,तब तक मै स्वयं सतत जलूँगा !
नहीं बढेगा अब अँधियारा ,अन्धकार से सतत लडूंगा !
डॉ. नीरज यादव ....
बारां
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