सफलता की सीढ़ी .....
जिंदगी मे हम सभी आगे बढना चाहते हैं ,सफलता की सीढ़ी पर चढ़ कर अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं ! लेकिन फिर भी कुछ ही व्यक्ति सफलता की पूरी सीढ़ी पर चढ़ कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं ! बाकी अधिकतर सीढ़ी के दुसरे या तीसरे पायदान पर ही अटक जाते हैं ! आइये जानते हैं सफलता की सीढ़ी के बारे में---
- 1.कल्पना --- सीढ़ी का पहला पायदान है ,कल्पना ! हम रोजाना असंख्य कल्पनाये करते हैं ,ख्याली पुलाव पकाते हैं ! अपनी मानसिक शक्ति का अधिकाँश भाग कोरी कल्पनाओं को करने मे ही खर्च कर देते हैं ! अगर हमे जीवन मे कुछ पाना है तो सर्वप्रथम उस लक्ष्य की कल्पना अपने मन मे करनी होगी ! क्योंकि जब तक मन रुपी जमीन पर कल्पना रुपी बीज नहीं पड़ेगा तब तक लक्ष्य रुपी पेड़ बनने की प्रक्रिया कैसे शुरू होगी ?
- 2.तीव्र इच्छा --- हमारी असंख्य कल्पनाओं मे से कुछ , इच्छाओं मे परिणित होती हैं ! अब ये हम पर है की हम अनेक चीजों (लक्ष्यों ) को एक साथ पाने की थोड़ी थोड़ी इच्छा मे अपनी शक्ति खर्च करें ! या किसी एक लक्ष्य को समग्र रूप से पाने की तीव्र इच्छा मे अपनी पूरी शक्ति खर्च करें !
- 3.संकल्प --- इच्छा जब बहुत तीव्र हो जाती है तो वह संकल्प मे परिणित हो जाती है ! संकल्प यानी निश्चय ! हम संकल्प तो बहुत करते हैं , नए साल पर , अपने जन्मदिन पर ! लेकिन वो ज्यादा लम्बे समय तक कायम नहीं रह पाते ,है ना ?
- 4.दृढ संकल्प ---आप कहेंगे संकल्प और दृढ संकल्प मे क्या अंतर है ? वही जो प्रतिज्ञा और भीष्म प्रतिज्ञा मे है ! जहाँ द्रढ़ता आ जाती है वहां स्थिरता भी आ जाती है ! जब संकल्प के साथ आत्म शक्ति और द्रढ़ता जुड़ जाती है तो वह दृढ संकल्प ,मे परिणित हो जाती है !
- 5. कार्य योजना -- बिना कार्य योजना के दृढ संकल्प सिर्फ एक मानसिक क्रिया बन कर रह जाता है ! वो यथार्थ मे परिणित नहीं हो पाता ! किसी भी लक्ष्य को जीवन मे पाने के लिए उसकी सही और पूरी कार्य योजना पूर्व मे ही बनानी जरूरी होती हो ! आखिर बिना route chart लिए तो train और plane भी अपना सफ़र शुरु नहीं करते !
- 6. कठिन परिश्रम ---- सिर्फ सोचने और योजना बनाने मात्र से ही लक्ष्य नहीं पाया जा सकता ! उस हेतु परिश्रम करना पड़ता है , वह भी कठिन परिश्रम ! ढुलमुल तरीके से किया गया परिश्रम व्यर्थ ही जाता है ! route chart लेकर driver गाडी मे ही बेठा रहेगा तो कहीं नहीं जा पायेगा ! लक्ष्य तक जाने के लिए उसे गाडी तो चलानी ही पड़ेगी !
- 7. एकाग्रता --- जिस तरह अर्जुन को सिर्फ चिड़िया की आँख ही दिखी थी , उसी तरह हमे भी सिर्फ अपना लक्ष्य ही दिखना चाहिये ! एकाग्र होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिये ! ड्राईवर भी सड़क पर एकाग्र होकर गाडी नहीं चलाएगा तो लक्ष्य पाना तो दूर दुर्घटना ग्रस्त हो जाएगा !
- 8. प्रबल विश्वास --- यह प्रबल विश्वास ही है जो भयंकर तूफानों मे घिरी कश्ती को सकुशल किनारे पर लगा देता है ! प्रबल विश्वास सर्वप्रथम अपने आप पर ,अपने लक्ष्य को पाने की इच्छा पर और इन सबसे ऊपर उस परम पिता पर , अपने उस आराध्य पर जो आपके जीवन के रथ का सारथी है !
- 9.अडिगता --- लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग मे कई प्रलोभन ,लालच और मृग मरीचिकायें रुपी फिसलनें आएँगी , जो आपको अपने लक्ष्य प्राप्ति की सड़क से फिसला कर असफलता रुपी गन्दगी के दलदल मे गिरा देंगी ! आपको दुर्घटना ग्रस्त कर देंगी ! इसलिए जरूरी है की आप इन सब प्रलोभनों से बचते हुए अडिगता से अपने लक्ष्य की ओर अपना सफ़र जारी रखें !
- 10. स्वास्थ्य--- खराब इंजिन,ख़राब आयल वाली किसी कार को हम रेस मे नहीं जीता सकते ,उसके लिए कार का फिट होना जरूरी होता है ! उसी तरह अपने किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए यह जरूरी है की आप ना सिर्फ शारीरिक अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ एवं सबल हों !
last but not least --
- नियमितता ओर निरंतरता -----आखिरी लेकिन सबसे जरूरी बात ! सफलता की सीढ़ी के ये दस पायदान जिन जिन डंडों के सहारे टिके होते हैं , वे हैं -- नियमितता ओर निरंतरता ! बिना इनके बाकी सब का कोई मोल नहीं ! नियमित रूप से किये जाने वाले कार्य ही अपना फल देते हैं !
अगर बीच के ये सारे पायदान हट भी जाएँ तो भी इन दो नियमितता ओर निरंतरता के डंडों के सहारे भी व्यक्ति अपने लक्ष्य तक पहुँच ही सकता है !
तो आइये ,बढ़ाते हैं अपनी सफलता की सीढ़ी पर पहला कदम...!
डॉ. नीरज .................
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बहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंNice...
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